पारा है हानिकारक, थर्मामीटर टूटने पर वापस लेना चाहिये कम्पनी को
लखनऊ। ब्लड प्रेशर का रोग हर उम्र के लोगों में पाया जा रहा है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वाकई में व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर की डायग्नोसिस करने से पूर्व सही तरह से जांच की गयी थी? जी हां चौंक गये न। आम तौर पर हम सब यही जानते हैं कि ब्लड प्रेशर नापने वाली मशीन से जब ब्लड प्रेशर नापा जाता है और चिकित्सक उसकी रीडिंग देखता है, और वह बताता है कि आपके ब्लड प्रेशर की गति क्या है। महत्वपूर्ण बात यह है कि जब व्यक्ति को पहली बार ब्लड प्रेशर की शिकायत की पुष्टि की गयी तो उस समय उसे वाकई ब्लड प्रेशर की शिकायत थी?
इसके बारे में शुक्रवार से शुरू हुए तीन दिवसीय अमेरिकन कॉलेज ऑफ फिजीशियन्स कांग्रेस इंडिया चेप्टर-2018 में महत्वपूर्ण जानकारियां दी गयीं। इस बारे में गवर्नर ऑफ एसीपी एवं ऑर्गनाइजिंग प्रेसिडेंट डॉ0 बी मुर्गनाथन, आयोजन कमेटी के ऑर्गेनाइज चेयर डॉ नरसिंह वर्मा और आयोजन सचिव डॉ अनुज माहेश्वरी ने अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।
डॉ0 बी मुर्गनाथन ने बताया कि वर्तमान समय मे घर पर जिस प्रकार ब्लड शुगर मॉनिटरिंग प्रचलित है, उसी प्रकार अब समय है कि बीपी मॉनिटरिंग भी घर पऱ किया जाए, ऐसा करने से बीपी की वजह से होने वाले विभिन्न प्रकार के जीवन के खतरों को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हार्ट अटैक के खतरे को 60 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
डॉ नरसिंह वर्मा ने बताया कि डॉक्टर अक्सर ब्लड प्रेशर नापने में गलती करते हैं। उन्होंने कहा कि बहुत छोटी-छोटी बातों से बीपी की रीडिंग पर असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि ब्लड प्रेशर को सही तरीके से नापने के लिए सबसे पहले मरीज को आने के थोड़ी देर बाद तक शांत होकर बैठने का मौका देना चाहिये। इसके बाद जब उसका ब्लड प्रेशर लिया जाये तो मरीज पीछे टेक लगाये रखे। यह भी ध्यान रखना चाहिये कि मरीज टांग पर टांग (क्रॉस लेग) की स्थिति में न बैठे। इसके अलावा ब्लड प्रेशर नापने के लिए हाथ में बांधा जाने वाला कफ हार्ट के लेवल में होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इसी के साथ यह भी आवश्यक है बीपी नपवाने के आधा घंटे पहले तक मरीज ने तम्बाकू, चाय, कॉफी, सिगरेट, शराब या कोई अन्य नशा न किया हो, एक्सरसाइज, गुस्सा न की हो। उन्होंने बताया कि तीन बार ब्लड प्रेशर नापा जाये और आखिरी दो बार की रीडिंग का औसत लेकर उसे फाइनल मानना जाये।
इसके अलावा उन्होंने पारा से होने वाली हानियों के बारे में बताया कि पारा पर प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन अक्सर देखा जाता है कि थर्मामीटर में पाया जाने वाला थर्मामीटर खराब होने या टूट जाने पर उसे कूड़े में फेंक दिया जाता है। ज्रबकि ऐसा करना गलत है, उन्होंने बताया कि नियम तो यह है कि थर्मामीटर टूटने पर कम्पनी को उसे वापस लेना चाहिये, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।
डॉ.अनुज महेश्वरी ने बताया कि चिकित्सक की क्लीनिक पर बीपी नापने और घर पर नापने पर बीपी का परिणाम में अंतर होता है, क्लीनिक पर बढ़ा हुआ होता है जबकि घर पर कम होता है। क्योंकि क्लीनिक पर साइक्लोजिक इफेक्ट की वजह से मरीज का बीपी बढ़ जाता है, इसलिए घर पर ही बीपी मापना चाहिये, बीपी दो बार मापना चाहिये, दो बार मापने से क्रास चेक करने के बाद ही दवा लेने का निर्णय करना चाहिये। साथ ही उन्होंने बताया कि डायबिटीज लोगों में बीपी का खतरा सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक होता है। इसी तरह मोटे व्यक्ति में बीपी बढऩे का खतरा अधिक होता है। उन्होंने बताया कि बीपी नियंत्रण में दवाओ से ज्यादा, लाइफ स्टाइल की भूमिका होती है, इसलिए खान-पान और टहलने से मोटापा,डायबिटीज और बीपी को नियंत्रित करना आसान है।
डॉ0 अनुज माहेश्वरी ने बताया कि बीपी को दो बार मॉनिटर कर कन्फर्म कर लेना चाहिए। केवल 3 प्रतिशत लोग ही अपना बीपी 130/80 मेंटेन कर पाते हैं, यहां तक कि अमेरिका में भी यही हाल है। जबकि 14 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनका ब्लड प्रेशर 140/ 90 रहता है।