Thursday , May 2 2024

सिर की चोट से बचें, अगर लग जाये तो उपचार शुरू करने में देर न करें

-संजय गांधी पीजीआई में विश्व सिर चोट जागरूकता दिवस के मौके पर विभिन्न आयोजन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन का कहना है कि सड़क यातायात दुर्घटनाओं में सिर की चोट को रोकने के लिए हेलमेट पहनना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि बच्चों को बचपन से ही यातायात नियमों का पालन करना सिखाया जाना चाहिए।

प्रो धीमन ने ये विचार संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर, में न्यूरोसर्जरी विभाग के सहयोग से शारीरिक चिकित्सा और पुनर्वास विभाग द्वारा 20 मार्च को विश्व सिर चोट जागरूकता दिवस के मौके पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में व्यक्त किये। इस दिन जागरूकता कार्यक्रमों की शुरुआत एपेक्स ट्रॉमा सेंटर से वॉकथॉन के साथ हुई। इसका उद्देश्य विशेष रूप से सड़क यातायात दुर्घटनाओं से सिर की चोट की रोकथाम के बारे में आम जनता में जागरूकता पैदा करना था। वॉकथॉन का नेतृत्व निदेशक प्रो धीमन ने किया।

इस मौके पर न्यूरोसर्जरी के विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अवधेश जयसवाल ने बताया कि सिर की चोट के पीड़ितों के जीवन को बचाने के लिए उचित उपचार की शीघ्र शुरुआत महत्वपूर्ण है। प्रोफेसर अरुण श्रीवास्तव ने सड़क यातायात दुर्घटनाओं और संबंधित सिर की चोटों की घटनाओं को कम करने के लिए यातायात नियमों के सख्त कार्यान्वयन और सख्त पालन पर जोर दिया। इसमें एसजीपीजीआई और एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के विभिन्न संकाय, रेजिडेंट डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हुए।

इस अवसर पर सिर की चोट से पीड़ित रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों के साथ एक पैनल चर्चा के साथ एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। चर्चा का उद्देश्य सिर की चोट, निदान और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाना था, जिसमें ऐसे रोगियों के चोट से पूर्व के स्तर पर पुनर्वास पर विशेष ध्यान दिया गया था।
कार्यक्रम का उद्घाटन संजय गांधी पी जी आई के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी प्रोफेसर अरुण श्रीवास्तव ने किया, जिन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार की दर्दनाक मस्तिष्क की चोट और सिर की चोट के बाद शीघ्र पुनर्वास अत्यंत महत्वपूर्ण है। एपेक्स ट्रामा सेंटर के एडीशनल चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर आर. हर्षवर्धन ने बताया कि पुनर्वास चिकित्सा का उद्देश्य रोगियों को उनकी दैनिक गतिविधियों में यथासंभव स्वतंत्र बनाना और उन्हें जल्द से जल्द समाज में फिर से एकीकृत करना है।

पीएमआर के एसोसिएट प्रोफेसर सिद्धार्थ राय ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि ऐसे गंभीर रूप से बीमार मामलों में जल्दी ठीक होने, जटिलताओं और दिव्यांगता को कम करने के लिए शीघ्र हस्तक्षेप और पुनर्वास बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि दीर्घकालिक पुनर्वास से मरीजों और उनके परिवार पर इलाज की लागत कम करने में मदद मिलती है। पीएमआर विशेषज्ञता किसी भी प्रकार की न्यूरोलॉजिकल कमजोरी और पक्षाघात वाले रोगियों की देखभाल के लिए चिकित्सा और पैरामेडिकल उपचार दृष्टिकोण दोनों के साथ समग्र देखभाल प्रदान करती है।

कार्यक्रम में दबाव घावों (pressure sores) की रोकथाम और उपचार, सिर की चोट के बाद बोलने और निगलने की समस्याओं और रोगियों के लिए चाल प्रशिक्षण और हाथों के कार्य-प्रशिक्षण जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में सिर की चोटों के कुछ पूर्व प्रबंधित रोगियों, को भी आमंत्रित किया गया था, जिनमें पुनर्वास उपचार के बाद काफी सुधार हुआ था, जिन्होंने अपने अनुभव साझा किये और अन्य समान रोगियों को प्रेरित किया। पैनल में सीनियर रेजिडेंट डॉ. स्निग्धा मिश्रा, डॉ. अंजना, वरिष्ठ फीजियोथेरेपिस्ट ब्रजेश त्रिपाठी, कमल भट्ट, मधुकर दीक्षित और अंकिता कर्ण ने प्रतिभागिता की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.