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ग्वालियर की सांगीतिक सुगंध को रंगों भरी कूची से उकेरा अवधेश मिश्र ने

-तानसेन की संगीत परंपरा और जनजीवन से उसके सरोकार पर बनाया चित्र

-डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कलाचार्य अवधेश मिश्र का चित्र तानसेन शताब्दी समारोह में प्रशंसा बटोर रहा

सेहत टाइम्स

लखनऊ। तानसेन शताब्दी समारोह, ग्वालियर में 13 से 19 दिसंबर तक चल रहे संगीत समारोह और चित्रकला शिविर में देश से पधारे हुए महत्त्वपूर्ण कलाकारों के मध्य लखनऊ के डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के कलाचार्य और प्रख्यात कलाकार अवधेश मिश्र ने तानसेन द्वारा प्रतिपादित राग रागिनियों के प्रकृति और जनजीवन से संबंधों को अपनी चिर परिचित शैली में रुपायित करते मध्य प्रदेश की सांस्कृतिकधानी ग्वालियर की सांगीतिक सुगंध को खेतों में खड़े बिजूका के माध्यम से अपने चित्र में समाहित किया है। यह चित्र समारोह का आकर्षण है।

अवधेश मिश्र का यह प्रतिभाग न कि सिर्फ डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के लिए अपितु उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का विषय है। राग रागिनियों, उनके पुत्रों और पुत्रवधुओं तथा विभिन्न थाटों का भाव, रागों का चरित्र, उनका गायन समय, लय और मानव मन पर पड़ने वाले प्रभावों को इस चित्र में देखा जा सकता है। गले में मृदंगम डाले चित्र में उभर रहा बिजूका संयोजन का मुख्य पात्र है। चित्र में प्रकृति और ग्वालियर की सांस्कृतिक थाती के सरोकारों के साथ ही ध्वनित होते नाद को रंगों और आकारों में देखा जा सकता है।

सभी प्रदेशों को मनाना चाहिये ऐसे समारोह


इस बारे में अवधेश मिश्र का कहना है कि अनेक सांस्कृतिक विधाओं से संबंधित विभूतियों के नाम पर आयोजित किए जा रहे ऐसे समारोहों का विशेष महत्त्व है। इसे सभी प्रदेशों को उत्साह के साथ मनाना चाहिए जिससे देश की अनेक विधाओं से संबंधित सांस्कृतिक विभूतियां और साधक आपस में जुड़कर नया प्रयोग कर सकें और शास्त्रीय संगीत के समानांतर उनके व्यावहारिक पक्ष को और सुगम्य बनाते हुए सामान्य जन जीवन से उसे जोड़ सकें। इससे न कि हमारी थाती संरक्षित होगी बल्कि अगली पीढ़ी को हम अपनी गौरवपूर्ण थाती और परंपराओं से जोड़ सकेंगे और उनमें अपनी आंचलिकता और राष्ट्रीय भावना को समाविष्ट कर सकेंगे।

चित्रकला शिविर तानसेन समाधि स्थल हजीरा, ग्वालियर में आयोजित किया जा रहा है। इसमें आमंत्रित कलाकारों में देश के विविध क्षेत्रों के प्रख्यात और प्रतिनिधि कलाकार हैं। संगीत और कला के इस भव्य और प्रतिष्ठित आयोजन में विविध विधाओं का साहचर्य और उसकी व्यावहारिक प्रस्तुति देखते ही बनती है जिसमें उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक सुगंध भी अवधेश मिश्र द्वारा रचे गए खेतों में खड़े विकास और संस्कृति के साक्षी विजूका पर आधारित रचे गए चित्र के माध्यम से अनुभूत की जा सकती है। यह चित्र संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश की धरोहर होगी। उल्लेखनीय है कि देश विदेश में अनेक कला प्रदर्शनियां आयोजित कर चुके अवधेश मिश्र कला दीर्घा, अंतरराष्ट्रीय दृश्य कला पत्रिका के संपादक और पहला दस्तावेज, संवेदना और कला, कला विमर्श आदि पुस्तकों के लेखक और कला जगत के अनेक सम्मान और पुरस्कारों से विभूषित प्रख्यात कलाकार हैं।

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