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आईवीएफ की सफलता को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचायेगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

-लखनऊ में दो दिन लगा देश के नामचीन आईवीएफ विशेषज्ञों का जमावड़ा

-आईएफएस और अजंता होप सोसाइटी के संयुक्‍त तत्‍वावधान में संगोष्‍ठी सम्‍पन्‍न

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अब आईवीएफ (इन विट्रो फर्टीलाइजेशन) को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाने की तैयारी है, आईवीएफ विशेषज्ञों का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आईवीएफ डॉक्टरों के लिए वरदान साबित होगी। वर्तमान में विदेशों का डाटा उपलब्‍ध है, अपने-अपने लेवल पर आईवीएफ कर रहे चिकित्‍सकों को एकसाथ आकर भारतीय परिप्रेक्ष्‍य में आर्टीफि‍शियल इंटेलिजेंस के लिए डाटा उपलब्‍ध कराने की दिशा में शुरुआत हो चुकी है। इस दिशा में इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी पूरी सक्रियता के साथ कार्य कर रही है।

यह महत्‍वपूर्ण जानकारी रविवार 1 अक्‍टूबर को लखनऊ में इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी और अजंता होप सोसाइटी ऑफ ह्यूमैन रिप्रोडक्‍शन एंड रिसर्च के संयुक्‍त तत्‍वावधान में होटल क्‍लार्क्‍स अवध में आयोजित आईवीएफ और हाई रिस्क प्रेगनेंसी विषय पर दो दिवसीय संगोष्‍ठी के मौके पर संगोष्‍ठी की आयोजक आईवीएफ विशेषज्ञ व इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी की उपाध्‍यक्ष डॉ गीता खन्‍ना ने एक पत्रकार वार्ता में दी। पत्रकार वार्ता में देश के नामचीन आईवीएफ विशेषज्ञ भी शामिल रहे।  डॉ गीता खन्‍ना ने कहा कि आईवीएफ के क्षेत्र में एआई अभी भी एक अपेक्षाकृत नई तकनीक है, लेकिन इसमें बांझपन के इलाज के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है।

पत्रकार वार्ता में अजंता अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ. अनिल खन्ना ने  बताया कि इस संगोष्‍ठी में देश भर से आये आईवीएफ के स्टारल्वार्ट्स ने व्याख्यान दिया जिसमें यूपी से आये 400 से अधिक स्त्री रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। उन्‍होंने बताया कि संगोष्‍ठी आईवीएफ और उच्च जोखिम गर्भावस्था के मामलों में नवीनतम विकास पर चर्चा करने के लिए एक मेगा शैक्षणिक कार्यक्रम था।

इस अवसर पर इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी के प्रेसीडेंट प्रो केडी नायर, सेक्रेटरी डॉ सुरवीन घुम्‍मन, डॉ सोनिया मलिक, मुंबई से डॉ. जतिन शाह दिल्ली से डॉ. कुलदीप जैन, अहमदाबाद से डॉ. जयेश अमीन, सर गंगा राम अस्‍पताल की वरिष्‍ठ संकाय डॉ. श्वेता मित्तल, डॉ प्रीती कुमार सहित 13 स्‍पीकर्स ने भाग लिया। विशेषज्ञों ने राय दी कि आधुनिक जीवन शैली की बीमारियाँ (रक्तचाप मधुमेह, थायरॉयड आदि) और देर से विवाह बांझपन का आम कारण हैं, साथ ही ये उच्च जोखिम वाले गर्भावस्था के मामलों को जन्म देते हैं।

डॉ गीता खन्‍ना ने बताया कि उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि केजीएमयू की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद थीं। उन्होंने डॉक्टरों के लिए ऐसा सार्थक सत्र आयोजित करने के लिए डॉ. गीता खन्ना, उनकी टीम और आईएफएस के प्रयासों की सराहना की, जिन्हें लखनऊ में आईवीएफ स्टारलवार्ट्स के साथ बातचीत करने का अवसर मिला।

एक लाइन ऑफ ट्रीटमेंट होगा तैयार

आईवीएफ के क्षेत्र में आर्टीफि‍शियल इंटेलिजेंस के बारे में जानकारी देते हुए डॉ केडी नायर ने बताया कि मरीज से सम्‍बन्धित कई प्रकार का डाटा इकट्ठा करना पड़ता है, इसके बाद इस डाटा को एक मशीन में डाला जाता है, मशीन इस डाटा के अनुसार कई तरह के मॉडल तैयार करती है जिससे अलग-अलग प्रकार के मरीजों के लिए आईवीएफ की सफलता तय करने में मदद मिलती है। उन्‍होंने बताया कि चूंकि अभी डाटा हमारे पास विदेशों का है ऐसे में भारतीय परिप्रेक्ष्‍य में डाटा जुटाने का कार्य चल रहा है। उन्‍होंने बताया कि हम उम्‍मीद करते हैं कि भारत में जब मरीजों के डाटा इकट्ठा हो जायेंगे तो आर्टीफि‍शियल इंटेलिजेंस से सफल आईवीएफ का एक लाइन ऑफ ट्रीटमेंट तय किया जा सकेगा, जिसे अपना कर आईवीएफ की सफलता दर को बढ़ाया जा सकेगा।

अंडों का साइज एक सा होना जरूरी

डॉ सुरवीन ने अपने व्‍याख्‍यान में बताया कि किस प्रकार की तकनी‍क अपना कर, दवाओं का निर्धारण तथा दवाओं को देने के समय निर्धारित कर हम यह तय कर सकते हैं कि आईवीएफ के लिए बनने वाले अंडों का साइज एक सा हो, उनकी परिपक्‍वता एक हो, क्‍योंकि अलग-अलग साइज के अंडे होने और मेच्‍योरिटी कम या ज्‍यादा होने से भ्रूण बनने में बाधा आती है।

गर्भाशय एक कर्मस्‍थली, इसका स्‍वस्‍थ होना जरूरी

डॉ सोनिया मलिक ने गर्भाशय को स्‍वस्‍थ रखने के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एक गर्भाशय का स्‍वस्‍थ रहना आईवीएफ तकनीक की सफलता के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है, गर्भाशय एक तरह की कर्मस्‍थली है क्‍योंकि यहीं पर भ्रूण के बढ़ने की सारी प्रक्रिया होनी है।

सही मात्रा और सही क्‍वालिटी के अंडे आवश्‍यक

डॉ श्‍वेता ने अपने व्‍याख्‍यान में कहा कि आईवीएफ में यह महत्‍वपूर्ण होता है कि सही मात्रा में और सही क्‍वालिटी के अंडे बनना क्‍योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो सफलता नहीं मिल पाती है। उन्‍होंने बताया कि लगभग हर दस साल में कोई नयी दवा या इंजेक्‍शन आ जाता है, ऐसे में यह आवश्‍यक है कि आईवीएफ विशेषज्ञ भी अपडेट रहें, उन्‍होंने कहा हर महिला की प्रकृति अलग-अलग होती है, ऐसे में यह ध्‍यान देना आवश्‍यक है कि उस महिला का उपचार आईवीएफ से पूर्व व आईवीएफ के दौरान किस प्रकार किया जाये कि उसके अंडे की क्‍वालिटी और मात्रा दुरुस्‍त रहे जिससे आईवीएफ सफल हो सके।

आईवीएफ प्रेगनेंसी साधारण गर्भधारण करना नहीं

संगोष्‍ठी की साइंटिफि‍क कमेटी की चेयरपर्सन डॉ प्रीती कुमार ने अपनी प्रस्‍तुति में एआरटी गर्भावस्था में खतरनाक जटिलताएँ-प्रीक्लेम्पसिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गर्भधारण करने वाली महिला और उनके घरवालों को यह समझना बहुत आवश्‍यक है कि आईवीएफ से गर्भधारण करना साधारण तरीके से गर्भधारण करने की तरह नहीं है, इसमें कई प्रकार की जटिलताएं होती हैं, डिलीवरी ज्‍यादातर सिजेरियन ही होती है, प्री मेच्‍योर डिलीवरी हो सकती है, इसलिए हमेशा डिलीवरी के लिए उसी अस्‍पताल का चुनाव करें जहां सभी आवश्‍यक सुविधाएं मौजूद हों।    

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