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50 लाख लोगों की मौत का जिम्मेदार है एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस : डॉ सूर्यकान्त

-एएमआर को रोका न गया तो 2050 तक लेगा हर वर्ष एक करोड़ लोगों की जान

-केजीएमयू के रेस्पाइरेटरी मेडिसिन व फार्माकोलॉजी विभागों ने मनाया जागरूकता सप्ताह

सेहत टाइम्स

लखनऊ। एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग के कारण पूरी दुनिया में लगभग 50 लाख लोगों की मौत हो जाती हैं। यदि बढ़ते एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) को रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया, तो एएमआर के कारण 2050 तक वार्षिक मृत्यु दर 1 करोड़ होने का अनुमान है।

यह बात केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष तथा ग्लोबल एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस मीडिया एलायंस (जीएएमए) के को-चेयरमेन डॉ0 सूर्यकांत ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, यूपी, लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग एवं फॉर्माकोलॉजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विश्व रोगाणुरोधी प्रतिरोध, जागरूकता सप्ताह (18 से 24 नवंबर 2023) के अवसर पर आयोजित “रोगाणुरोधी-प्रतिरोध” विषय पर एक संगोष्ठी में कही।

संगोष्ठी में रोगाणुरोधी-प्रतिरोध को एक साथ रोकने के विषय पर हुई इस विशेष चर्चा में उन्होंने कहा कि अगर एंटीबायोटिक दवाओं सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जाए तो बैक्टीरिया को मारने की उनकी क्षमता खत्म हो जाती है, इसे रोगाणुरोधी प्रतिरोध कहा जाता है। डॉ0 सूर्यकांत ने कहा कि एएमआर (एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस) तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं और दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं, जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है और बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एएमआर को मानवता के सामने आने वाले शीर्ष 10 वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक घोषित किया है।

उन्होंने कहा कि लंबे समय तक एंटीबायोटिक का उपयोग, अधिक उपयोग और अनुचित उपयोग एएमआर का प्रमुख कारण है। दुनिया को तत्काल एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के तरीके को बदलने की जरूरत है। भले ही नई दवाएं विकसित की जाएं, व्यवहार में बदलाव के बिना एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बड़ा खतरा बना रहेगा।

एम्स, भुवनेश्वर के डीन डॉ प्रशांत राघब महापात्रा ने कहा कि हमें सामान्य सर्दी, गले में खराश आदि जैसी वायरल बीमारियों में एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से बचना चाहिए। डॉ0 आर.ए.एस. कुशवाहा ने कहा कि यह सही समय है जब हमें एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग बंद करना चाहिए। डॉ0 ए.के. सचान ने कहा कि हमें दूरदराज के इलाकों में आधुनिक चिकित्सा का अभ्यास करने वाले लोगों में एएमआर जागरूकता संदेश का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ0 अमोद कुमार सचान (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष फार्माकोलॉजी विभाग), प्रोफेसर आरएएस कुशवाहा, प्रोफेसर पी.आर. महापात्रा (डीन, एम्स भुवनेश्वर) ने की। इस सत्र का संचालन प्रोफेसर अजय कुमार वर्मा (रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग) और प्रोफेसर सर्वेश सिंह (फार्माकोलॉजी विभाग) द्वारा किया गया और सह-संचालन डॉ0 अंकित कुमार सहायक प्रोफेसर (रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग) द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में रेस्पिरेटरी मेडिसिन एवं फार्माकोलॉजी विभाग के विभिन्न संकाय सदस्य, रेजिडेंट्स, पैरामेडिकल स्टाफ और शोध छात्रों ने भाग लिया।

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