-क्षेत्र में करीब एक लाख मुस्लिम मतों के विभाजन की संभावना बढ़ रही
-सपा हमेशा से मुस्लिम मतों को मानती है अपना, आप प्रत्याशी भी हैं मुस्लिम
-सीएए मुद्दे को लेकर मुस्लिम समुदाय से समर्थन की आस लगाये हैं सदफ
-इस सीट पर 1977 के बाद से आठ बार कब्जा रहा है भारतीय जनता पार्टी का
सेहत टाइम्स
लखनऊ। 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर आने के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार के समय से लखनऊ मध्य विधानसभा सीट पर जनता पार्टी के रामप्रकाश ने जो जीत का परचम लहराया था उसके बाद से अब तक हुए 11 चुनावों में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा है।
पिछले 2017 के चुनावों में भी भाजपा के बृजेश पाठक ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा को हराकर लखनऊ मध्य की इस सीट पर अपना परचम लहराया था। इन 11 चुनावों में 8 बार (1 बार जनता पार्टी) भाजपा विजयी रही है, दो बार कांग्रेस और एक बार समाजवादी पार्टी को जीत हासिल हुई है। कांग्रेस (तात्कालिक कांग्रेस आई) के मोहम्मद रफी सिद्दीकी को 1980 में तथा इसके अगले चुनाव 1985 में नरेश चंद्र को जीत हासिल हुई थी। सपा को 2012 के चुनावों में इस सीट पर विजय हासिल हुई थी। सपा के रविदास मेहरोत्रा ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया था।
रविदास मेहरोत्रा इस बार भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में व्यापारी नेता व पार्षद रजनीश कुमार गुप्ता ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस ने इस सीट से सदफ जफर को उतारा है। बहुजन समाज पार्टी ने आशीष चंद्रा को टिकट दिया है जबकि आम आदमी पार्टी की ओर से नदीम अशरफ को उतारा गया है।
सदफ जफर के मैदान में आने से सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम का मुद्दा तेजी से उभर गया है। दरअसल सदफ जफर दिसम्बर 2019 में लखनऊ में हुए सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन की आरोपी हैं। सदफ जफर उस समय गिरफ्तार की गई थी जब राजधानी लखनऊ के हजरतगंज इलाके में परिवर्तन चौक पर हिंसा भड़कने के बात बाद वह फेसबुक लाइव कर रही थीं।
सदफ को जेल भेजा गया था। इस समय सदफ जफर जमानत पर चल रही हैं। सदफ जफर के मैदान में उतरने से सीएए का मुद्दा इसलिए और भी ऊपर आ गया है क्योंकि सीएए समर्थक भाजपा के उम्मीदवार रजनीश गुप्ता कुमार गुप्ता पार्षद के रूप में रहते हुए सीएए के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद का प्रस्ताव नगर निगम में ला चुके हैं।
सदफ जफर ने इस सीट से मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। इस सीट पर लगभग 1 लाख मुस्लिम मतदाता हैं, इनमें 75 हजार सुन्नी और 25 हजार शिया हैं। यहां मुस्लिम मतों के विभाजन की संभावना दिख रही है क्योंकि आमतौर पर मुस्लिम मतदाताओं को समाजवादी पार्टी से जुड़ा होना माना जाता है, चूंकि इस सीट से सदफ जफर के अतिरिक्त आम आदमी पार्टी के नदीम अशरफ मुस्लिम प्रत्याशी हैं, ऐसे में मुस्लिम वोट तीन तरफ विभाजित हो सकता है। मुस्लिम वोटों पर सदफ जफर अपना दावा सी ए ए के विरोध ने मैं आवाज उठाने के लिए के कारण ज्यादा मानती हैं।