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‘अंतरा’ या ‘छाया’ का करें इस्तेमाल और हो जायें बेफिक्र

इंजेक्शन अंतरा और गोली छाया है सुरक्षित गर्भनिरोधक

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में मंगलवार को विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर भारत सरकार की मिशन परिवार विकास योजना के तहत दो अस्थायी गर्भनिरोधक अन्तरा और छाया को लॉन्च किया गया।
ब्राउन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूति विभाग की हेड प्रो विनीता दास ने अपने सम्बोधन में कहा कि महिलाएं प्रसव के बाद दो तरह के गर्भनिरोधक का इस्तेमाल कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि अन्तरा एक इन्जेक्शन है जो कि महिला को हर तीन महीने में लगवाना है इससे जब तो वह गर्भधारण नहीं करना चाहेगी तब तक कर सकती है। पुन: गर्भधारण करने के लिए इंजेक्शन बंद करना होगा। बंद करने के 6 से 8 माह के अंदर महिला गर्भवती हो सकती है। उन्होंने बताया कि यह एक लम्बे वक्त तक काम करने वाला प्रोजेस्टेरोन इन्जेक्शन है जिसका बहुत कम साइड इफेक्ट है। इस इंजेक्शन का दूध पिलाने वाली महिलाएं भी प्रयोग कर सकती है। बच्चे के जन्म से तीसरे एवं छठे सप्ताह के अन्दर यह इन्जेक्शन लगाया जा सकता है। यह महिलाओं द्वारा अपनाये जाने वाला एक असरदार व गोपनीयता रखने वाला सुरक्षित इन्जेशन है।

सीडीआरआई की खोज है छाया

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार छाया यहीं सीडीआरआई की खोज सेन्टक्रोमैन नामक गर्भनिरोधक गोली है। यह गोली काफी असरदार है। उन्होंने बताया कि प्रसव के बाद शुरू के तीन माह तक इसे सप्ताह में दो बार तथा इसके बाद सप्ताह में एक बार ही खाना है। उन्होंने बताया कि इस गोली को भी दूध पिलाने वाली माताएं खा सकती हैं, यही नहीं जो महिलाएं हारमोन का प्रयोग नहीं कर सकती हैं उन्हें भी यह गोली आसानी से दी जा सकती है।
डॉ विनीता दास ने बताया कि इन दोनों गर्भनिरोधक उपायों को भारत सरकार द्वारा पूरे देश के अस्पतालों में मुफ्त में उपलब्ध कराया जा रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निदेशक, चिकित्सा शिक्षा विभाग प्रो. केके गुप्ता एवं चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मदन लाल ब्रह्म भट्ट थे। कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने कहा कि अंतरा और छाया गर्भनिरोधकों को पूरे देश में जनसमुदाय के बीच चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या की 18 प्रतिशत है जबकि विश्व के 2.3 प्रतिशत भू भाग पर फैला हुआ है। भारत की इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था करना बहुत कठिन कार्य है। भारत की जनसंख्या अभी 134 करोड़ है तथा जनसंख्या के मामले में चीन पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर है किन्तु अगले सात साल में हम चीन को पीछे छोड़ते हुए नम्बर एक पर आ जायेंगे। सबसे बड़ी चुनौती इतनी बड़ी जनसंख्या के वेस्ट मैनेजमेण्ट की होगी। आज भारत की कुल जनसंख्या के 50 प्रतिशत 25 वर्ष आयु वर्ग के लोग हैं। इतने युवा जनमानस के सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए बड़ी शक्ति बन सकते हैं किन्तु जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं किया जायेगा तो यह एक बड़ी समस्या बन सकती है। जनसंख्या नियंत्रण का सबसे बड़ा हथियार है शिक्षा और समाज के लोगों की अर्थिक व्यवस्था में सुधार। अशिक्षा जनसंख्या का सबसे बड़ा कारण है। इन गर्भनिरोध को उपाय कर के जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण किया जा सकता है।

देश के 7 राज्यों के 145 जिलों में चल रहा है कार्यक्रम

कार्यक्रम में सिफ्सा की उप महाप्रबंधक डॉ. रिन्कू श्रीवास्तव ने कहा कि भारत सरकार के मिशन परिवार विकास योजना के तहत आशा बहुएं जहां पर भी नई शादी होगी वहां जाकर अन्तरा और छाया और अन्य गर्भनिरोधक उपायों की जानकारी लोगो को देंगी और यह किट उपलब्ध करायेंगी। यह योजना देश के 7 राज्यों के कुल 145 जिलों में चलाया जा रहा है जिसमे यूपी के सबसे ज्यादा 57 जिले हैं। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थित क्वीनमैरी अस्पताल इसका टेक्निकल पार्टनर है।
कार्यक्रम में चिकित्सा विश्वविद्यालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो एसएन संखवार ने कहा कि यह जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए बहुत सुरक्षित तरीका है। इन उपायों को शिशु को दूध पिलाने वाली माताएं भी अपना सकती हैं। कार्यक्रम में महिलाओं को अन्तरा और छाया किट प्रदान की गयी। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों में चिकित्सा अधीक्षक प्रो. विजय कुमार, प्रो. स्मृति अग्रवाल, प्रो. संदीप तिवारी, प्रो. सुजाता सहित स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के संकाय सदस्य एवं छात्रायें और अन्य महिलायें उपस्थित रहीं।

 

 

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