-देश में चुने गये 15 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में यूपी का इकलौता सेंटर बना
-टीबी को जड़ से उखाड़ने के लिए देशव्यापी ‘आई डिफीट टीबी प्रोजेक्ट’ प्रारम्भ
सेहत टाइम्स
लखनऊ। क्षय रोग यानी टीबी को वर्ष 2025 तक भारत से मिटाने की दिशा में किये जा रहे प्रयास के तहत आज से देश में ‘आई डिफीट टीबी प्रोजेक्ट’ का पूरे देश में शुभारम्भ हुआ। इसके तहत देश भर में 15 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चुने गये हैं उनमें एक के0जी0एम0यू0 का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग भी शामिल है। यह यूपी का पहला और इकलौता ‘सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स’ है।
इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत के अवसर पर रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग अपनी स्थापना का 75वां वर्ष मना रहा है, यह विभाग के लिए गौरव की बात है कि देश के 15 “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स“ में से चुना गया है। यह उ0प्र0 में पहला और अकेला केन्द्र है। केजीएमयू में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो0 एस. एन. संखवार ने रेस्पिरेटरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकान्त एवं विभाग के समस्त लोगों को इस कार्यक्रम के शुरू होने के उपलक्ष्य में बधाई देते हुये कहा कि टी.बी. उन्मूलन हमारे प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इस टी.बी. प्रोजेक्ट से इस मुहिम को और बल मिलेगा।
पूरी तरह प्रतिबद्ध है केजीएमयू : कुलपति
इस मौके पर भेजे गये अपने संदेश में के.जी.एम.यू, के कुलपति, लेफ्टिनेंट जनरल (डा0) बिपिन पुरी ने कहा कि टी.बी.उन्मूलन के लिए के.जी.एम.यू. पूरी तरह से प्रतिबद्ध है एवं प्रदेश के 75 जिलों के समस्त मेडिकल कॉलेजों को पूर्ण सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।
डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि टी.बी. प्रोजेक्ट एक्सटेंशन फॉर कम्युनिटी हेल्थ आउटकम्स (इसीएचओ) विश्व स्तर पर टी.बी. के मरीजों की बेहतरी के लिए काम करता है। हमारे विभाग को इस प्रोग्राम से टी.बी. उन्मूलन में सहायता मिलेगी। ड्रग रेजिस्टेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के खात्मे के लिए उ0प्र0 के सभी 62 मेडिकल कॉलेज और सभी 75 जिलो में टी.बी. विशेषज्ञों एवं टी.बी. से सम्बन्धित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आनलाइन प्रशिक्षित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त नये शोध एवं नवीन विषयों पर सेमिनार आयोजित कराये जायेंगें। यह “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स“, विश्व की दो अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं – इन्टरनेशनल यूनियन अगेस्ट ट्यूबरकुलोसिस एण्ड लंग डिसीज एवं युनाइटेड स्टेट्स ऑफ एजेन्सी फॉर इन्टरनेशनल डेवलोपमेन्ट एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से प्रारम्भ किया गया है।
प्रोजेक्ट ईसीएचओ का नोडल अधिकारी बनाया गया डॉ ज्योति बाजपेई को
ज्ञात रहे कि डा0 सूर्यकान्त जो उ0प्र0 स्टेट टास्क फोर्स (क्षय उन्मूलन) के चेयरमैन भी हैं एवं विगत कई वर्षों से टी.बी. उन्मूलन में प्रदेश के साथ-साथ देश में नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स“ के टीबी प्रोजेक्ट इसीएचओ का नोडल ऑफिसर डा0 ज्योति बाजपेई, असिस्टेन्ट प्रोफेसर, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को नियुक्त किया है।
भारत में प्रतिदिन 1000 लोगों की टीबी से हो रही मौत
डा0 सूर्यकांत ने बताया कि विश्व में टी.बी. का हर चौथा मरीज भारतीय है। विश्व में प्रतिवर्ष 14 लाख मौते टी.बी. से होती हैं, उनमें से एक चौथाई से अधिक मौतें अकेले भारत में होती हैं। भारत विश्व का टी.बी. रोग से सर्वाधिक प्रभावित देश है। हमारे देश में लगभग 1000 लोगों की मृत्यु प्रतिदिन टी.बी रोग के कारण होती हैं। वहीं आकड़ों के अनुसार भारत में ड्रग रेजिसटेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के 1 लाख में से लगभग 9 मरीज हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने 2025 तक टी.बी. मुक्त भारत बनाने का सपना देखा है। टी.बी. के इलाज में पिछले कुछ वर्षों से बहुत प्रगति हुयी है, पहले बड़ी टी.बी. या एम.डी.आर. टी.बी. के इलाज में दो साल तक का समय लग जाता था, परन्तु अब नई दवाओं जैसे- बिडाकुलीन और डेलामिनिड के आने से एक साल से कम समय में मरीज का इलाज हो जाता है। पिछले कुछ वर्षों में एम.डी.आर. टी.बी. के रोगियों को सुई लगने वाले इलाज से मुक्ति मिली है, अब इनका इलाज खाने की गोलियों से हो जाता है। इसमें रेस्पिरेटरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने टी.बी. उन्मूलन में विभाग द्वारा किये जा रहे विभिन्न कार्यों जैसे- गांव अर्जुन पुर व मलिन बस्ती ऐशबाग, लखनऊ एवं टी.बी. रोग से पीड़ित 52 बच्चों को गोद लेना, विभिन्न माध्यमों से टी.बी. के प्रति लोगों को जागरूक करना आदि से अवगत कराया।
इस अवसर पर स्टेट टी.बी. ऑफिसर डा0 संतोष गुप्ता ने कहा कि ड्रग रेजिसटेन्ट ट्यूबरकुलोसिस एवं टी.बी. उन्मूलन के क्षेत्र में इस सेन्टर के बनने से मदद मिलेगी। प्रोग्राम का संचालन रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की इसीएचओ की नवनियुक्त नोडल ऑफिसर असिस्टेंट प्रोफेसर डा0 ज्योति बाजपेई द्वारा किया गया। इस अवसर पर डब्ल्यूएचओ कंसलटेन्ट- डा0 अपर्णा एवं के.जी.एम.यू. के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के चिकित्सक – डा आर एस कुशवाहा, डा0 सन्तोष कुमार, डा0 राजीव गर्ग, डा0 अजय कुमार वर्मा, डा0 आनन्द श्रीवास्तव, डा0 दर्शन बजाज, रेजिडेन्ट डाक्टर्स, डाट्स सेन्टर के समस्त स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं अन्य स्टाफ उपस्थित रहे।