-ऑर्थोपेडिक सर्जन और फीजियोथिरेपिस्ट के एक लाइन पर साथ मिलकर काम करने के परिणाम आयेंगे बेहतर
सेहत टाइम्स
लखनऊ। फीजियोथेरेपी की उपयोगिता इलाज की हर विधा में है। न्यूरो-फीजियोथेरेपी, ऑर्थो-फीजियोथेरेपी, कार्डियो-फीजियोथेरेपी और स्पोर्ट्स फीजियोथेरेपी जैसी कई विधाएं अब प्रचलित है, जो विभिन्न बीमारियों के उपचार में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
यह बात लखनऊ स्थित चंदन हॉस्पिटल के ऑर्थोपैडिक सर्जन डॉ नवीन श्रीवास्तव ने रविवार को लखनऊ में आयोजित ऑर्थो रिहैब्लीकॉन 2022 में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि लोग आमतौर पर फीजियोथेरेपी तब लेना चाहते हैं जब वे किसी बड़ी चोट या सर्जरी से उबर रहे होते हैं, लेकिन किसी भी चोट की रिकवरी में यदि फीजियो शुरू से लिया जाए तो गतिशीलता और ताकत को प्रतिबंधित करने वाले दर्द में तेज़ी से राहत मिलती है। मांसपेशियों की ऐंठन, गलत मुद्रा, मांसपेशियों में खिंचाव आदि को ठीक करने के लिए, कई प्रकार का दर्द भगाने के लिए यह राम बाण इलाज साबित होता है।
फिजियोथेरेपिस्ट मरीज़ों को ये भी बताता है कि भविष्य में किन चीजों से उन्हें बचकर रहना है ताकि वे फिर से चोट खाने से बच सकें। डॉ. नवीन श्रीवास्तव बताते हैं पहले ऑर्थो के डॉक्टर व सर्जन अकेले इलाज करते थे और फीजियोथेरेपिस्ट अलग वर्क करते थे, लेकिन अब वो दिन नहीं रहे कि अकेले-अकेले काम करके किसी भी मरीज़ को सौ फ़ीसदी ठीक किया जा सके। ऑर्थोपेडिक्स और फीजियोथिरेपिस्ट को एक लाइन पर साथ मिलकर काम करने से कई तरह की समस्याओं से निजात पायी जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह आवश्यक है कि अच्छे फीजियोथेरेपिस्ट के पास ही जायें वरना फायदे के बजाय नुकसान होने की संभावना पैदा हो जाती है।
चंदन हॉस्पिटल के फीजियो हेड डॉ. योगेश कुमार सिंह ने कहा कि फीजियो के सबसे बड़े लाभों में से एक दर्द से स्थायी राहत है। यदि दर्द आपके दैनिक दिनचर्या में बाधक बनना शुरू हो जाए तो समझ लीजिए कि आपको किसी फीजियोथेरेपिस्ट से मिलने का समय आ गया है। फीजियो सत्र दर्द को कम करने और दर्द निवारक दवाओं पर आपकी निर्भरता को रोकने में मदद करता है, जो भविष्य में आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। अक्सर आपने देखा होगा कि लोग चोट या सर्जरी से ठीक हो जाते हैं, लेकिन लंबे समय तक बिस्तर पर पड़े रहते हैं, उन्हें सामान्य चाल में लौटने में थोड़ा समय लगता है और दर्द के कारण दैनिक कार्यों का करना लगभग असंभव हो जाता है। उस समय फीजियोथेरेपी से बहुत मदद मिलती है। एक अच्छे फीजियोथेरेपिस्ट की मदद से, आपका शरीर ताकत हासिल करेगा, गतिशीलता/लचीलापन हासिल करेगा और आप सामान्य हो जाएंगे।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि चंदन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. फारूक व विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. राजगोपाल रेड्डी उपस्थित रहे। डॉ. फारुख ने कहा कि फीजियो की आवश्यकता कभी भी पड़ सकती है और यह किसी भी उम्र में आ सकती है, अगर आपको मोच, फ्रैक्चर, इनवेसिव सर्जरी या मांसपेशियों में विकार का अनुभव हो तो तुरंत एक फीजियोथेरेपिस्ट की मदद लेनी चाहिये।
वहीं डॉ. राजगोपाल रेड्डी ने कहा कि फीजियोथेरेपी कई शाखाओं में बंट गई है। हर फीजियोथेरेपिस्ट को एक खास क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल होती है। एक ऑर्थो-फीजियोथेरेपिस्ट हड्डियों/फ्रैक्चर से संबंधित चोटों और या ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के मामलों को देखता है और एक न्यूरो-फीजियोथेरेपिस्ट रीढ़ की हड्डी की चोटों, पैरालिसिस और स्ट्रोक वाले लोगों का इलाज करता है।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉक्टरों को अध्यक्ष के हाथों सर्टिफिकेट भी बाँटे गए। कार्यक्रम में ऑर्थोपेडिक्स डॉ. सचिन अवस्थी, डॉ. राहुल पवार, डॉ. रजत प्रताप सिंह, डॉ. वंदना सिंह, डॉ. हर्ष वर्मा, डॉ. पुनीत चौबे, डॉ. शक्तिवीर सिंह, डॉ. योगेश मार्तण्ड, डॉ. सर्वेश शुक्ला, डॉ. नगेंद्र सिंह, डॉ. अंजलि अग्रवाल, डॉ. गरिमा चौरसिया, डॉ आनंद सिंह, डॉ. अभय सक्सेना, डॉ. शिवम् सिंह, डॉ. राहुल कुमार, डॉ. पीयूष वाजपेयी, डॉ. विजेंदर ठाकुर, डॉ. दुर्गा सिंह, डॉ. अविनाश वर्मा के साथ-साथ संजय कुमार, कासिफ समेत कई युवा डॉक्टर और फीजियोथेरेपिस्ट उपस्थित रहे।