-इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की प्रक्रिया में सुधार की मांग
सेहत टाइम्स
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र ने बताया कि भारत सरकार एवं प्रदेश की सरकारों ने रिक्त पदों पर नव सृजित पदों पर नियुक्तियों के लिए चयन प्रक्रिया की जो नीति बनाई है। उसके तहत विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती कभी भी पूरी नहीं हो सकती है। इसका कारण है कि आयोगों को रिक्त पदों का अधियाचन भेजा जाता है। प्रक्रिया के अनुसार जब तक चयन होता है तब तक उतनी ही पद सेवा निवृत्त होने से रिक्त होते रहते हैं। श्री मिश्र ने मांग की है की नियुक्ति प्रक्रिया एवं पदोन्नति प्रक्रिया में व्यापक सुधार किए जाने जिससे विभागों में पद रिक्त ना रहे।
एक विज्ञप्ति के माध्यम से यह बात कहते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि उदाहरणार्थ उत्तर प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 20000 कर्मी सेवानिवृत्ति होते हैं। यह आंकड़ा कई वर्ष पूर्व का हूं। वर्तमान प्रक्रिया के अनुसार आयोग 20000 कर्मियों का चयन प्रतिवर्ष कर नहीं पता है। इसी कारण पद रिक्त ही पड़े रहते हैं। पहले दैनिक दर पर रखकर काम चलाया जाता था। वह प्रक्रिया बंद होने के बाद अब आउटसोर्स से कर्मचारी रखकर कम चलाया जा रहा है ।जिनका कोई भविष्य नहीं है। वे 6000 से 8000 पारिश्रमिक से अपना ही जीवन यापन नहीं कर पाते हैं एक तरह से यदि कोई और कमाई नहीं है तो उनका परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच जाता है।
वी पी मिश्र ने भारत सरकार एवं राज्य सरकारों को सुझाव दिया है कि समूह ग एवं समूह ग की नियुक्तियां विभागीय चयन समिति के माध्यम से किया जाए। श्री मिश्र ने कहा कि समूह क एवं समुख ख के पदों पर चयन प्रक्रियाओं में भी परिवर्तन की आवश्यकता है। विभागों से सूचना मांग कर अगले 2 वर्ष में होने वाली रिक्तियों के लिए चयन किया जाए और उसी वेटिंग लिस्ट से नियुक्तियां की जाए। पदोन्नतियों में भी यही व्यवस्था लागू की जाए।
श्री मिश्र ने विभागों में समूह ‘ग’ ‘घ’ एवं तकनीकी पद खाली रहने से सरकारी कार्य में बाधा पड़ी है। देखा गया है कि एक कर्मचारी पर तीन चार कर्मचारियों का भार रहता है, जिसमें कार्य निपटने में विलंब होता है। कर्मचारी मानसिक रूप से तनाव में रहते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।