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थायरॉयड नोड्यूल और थायरॉयड नियोप्‍लाज्‍म की सटीक जांच एफएनएसी से ही करनी चाहिये

-केजीएमयू के पैथोलॉजी विभाग ने आयोजित की है 13 व 14 मई को दो दिवसीय कार्यशाला

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। थायरॉयड नोड्यूल और थायरॉयड नियोप्‍लाज्‍म की जांच एफएनएसी (फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी) से होती है, इस जांच में निदान होने पर आगे के इलाज की योजना बनायी जाती है। यह जानकारी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजी विभाग द्वारा 13 और 14 मई को केजीएमयू स्थित कलाम सेंटर में डायग्नोस्टिक थायराइड पैथोलॉजी पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में दी गयी।

विभागाध्‍यक्ष प्रो यूएस सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला के प्रथम दिन पैथोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. चंचल राणा ने यह जानकारी देते हुए कहा कि कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य सलाहकार पैथोलॉजिस्ट और पैथोलॉजी जूनियर/सीनियर रेजिडेंट को थायरॉयड नियोप्लाज्म के निदान के साथ अपडेट करने में मदद करना है। उन्होंने कहा कि थायराइड नोड्यूल का प्राथमिक निदान एफएनएसी की मदद से किया जाता है। उन्‍होंने कहा कि एफएनएसी सुई की मदद से की जाने वाली प्राथमिक जांच है। थायराइड नोड्यूल्स के मामले में, FNAC रिपोर्ट के आधार पर रोगी के सर्जिकल प्रबंधन की योजना बनाई जाती है। अनुचित रिपोर्टिंग से न केवल रोगियों को मनोवैज्ञानिक तनाव हो सकता है, बल्कि कम या अधिक उपचार भी हो सकता है। इस कार्यशाला में थायराइड नियोप्लाज्म की सभी महत्वपूर्ण संस्थाओं पर चर्चा की गई और प्रतिभागियों को व्यापक तरीके से दिखाया गया। एफएनएसी के साथ प्रतिभागियों को हिस्टोपैथोलॉजी डायग्नोसिस से भी अवगत कराया गया। विशिष्ट सूक्ष्मदर्शी का उपयोग डिजिटल अटैचमेंट के साथ किया गया था जो प्रतिभागियों को एक साथ देखने और चर्चा करने में मदद करता था। उनका कहना था कि हमारी सर्वोत्तम जानकारी के अनुसार, अब तक इस विधा में कोई कार्यशाला आयोजित नहीं की गई है।

इस कार्यशाला की सह आयोजन सचिव डॉ रिद्धि जायसवाल हैं, तथा पैथोलॉजी विभाग के पूरे विभाग ने संयुक्त रूप से डॉ मधु कुमार, डॉ माला सागर, डॉ मालती कुमारी मौर्य, डॉ प्रीति अग्रवाल, डॉ सुमैरा कयूम और डॉ शालिनी भल्ला सहित इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। इस आयोजन को आकार देने में संजय गांधी पीजीआई के दो प्रोफेसर डॉ नरेंद्र कृष्णानी और डॉ मनोज जैन का भी महत्वपूर्ण योगदान था। विभाग के जूनियर और सीनियर रेजिडेंट ने भी इस कार्यक्रम के आयोजन में काफी मेहनत की। प्रदेश भर के फैकल्टीज, कंसल्टेंट्स, जूनियर रेजिडेंट्स और सीनियर रेजिडेंट्स ने इस कार्यशाला में भाग लिया और लाभान्वित हुए।

थायरॉयड कैंसर अनुसंधान में सक्रिय रूप से शामिल डॉ. चंचल राणा ने आगे बताया कि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, पैथोलॉजी विभाग भविष्य में इसी तरह की और कार्यशाला आयोजित करने की योजना बना रहा है। इससे उन मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पैथोलॉजिस्ट को प्रशिक्षित करने में मदद मिलेगी जहां सुपर स्पेशलाइज्ड रिपोर्टिंग का एक्सपोजर उपलब्ध नहीं है।

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