-विश्व थैलेसीमिया दिवस पर वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट डॉ अनिल नौसरन ने की अपील

सेहत टाइम्स
लखनऊ। थैलेसीमिया पर हरसंभव लगाम लगाने का उद्देश्य लेकर मेडिकल कुंडली मिलवाने का अभियान चलाने वाले वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट डॉ अनिल नौसरन ने एक बार फिर अपील की है कि विवाह से पूर्व लड़के-लड़की की थैलेसीमिया जांच उनके भावी वैवाहिक पारिवारिक जीवन की खुशी का रास्ता सुनिश्चित कर सकता है। उन्होंने सरकार से भी इसकी जांच अनिवार्य किये जाने की अपील की।
विश्व थैलेसीमिया दिवस (8 मई) के मौके पर डॉ अनिल नौसरन ने विवाह पूर्व थैलेसीमिया परीक्षण यानी “मेडिकल कुंडली” की महत्ता पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि यदि दो थैलेसीमिया वाहक विवाह करते हैं, तो उनके बच्चे के थैलेसीमिया मेजर से ग्रस्त होने की 25% संभावना होती है। एक साधारण रक्त जांच इस गंभीर समस्या को रोक सकती है।
डॉ. नौसरन ने सरकार से अपील की कि थैलेसीमिया जांच को जनजागरूकता अभियानों, स्कूलों, कॉलेजों और विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया में शामिल किया जाए, जिससे आने वाली पीढ़ियों को इस रोग से मुक्त किया जा सके। उन्होंने बताया कि विश्व थैलेसीमिया दिवस 2025 का यह संदेश स्पष्ट है कि ‘रोकथाम संभव है, ज़िम्मेदारी साझा है, और एक थैलेसीमिया-मुक्त भारत हमारा लक्ष्य है’।


डॉ.नौसरान ने थैलेसीमिया की भयावह स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसके रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत में थैलेसीमिया के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है, और यह एक ऐसा रोग है जिसे जागरूकता और समय पर जांच से रोका जा सकता है।
डॉ. नौसरान ने कहा, “थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसकी वजह से मरीज को जीवन भर रक्त चढ़वाना पड़ता है। इस रोग से न केवल मरीज प्रभावित होता है, बल्कि पूरा परिवार आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से पीड़ित होता है। इसलिए इसकी समय पर पहचान और रोकथाम अत्यंत आवश्यक है।”
