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व्यवहार परिवर्तन भी मिर्गी रोग का लक्षण : डॉ.सुनील प्रधान

जरूरी नहीं मिर्गी रोग में अकड़न, मुंह से झाग, बेहोशी हो

150 वें स्थापना दिवस पर बलरामपुर अस्पताल में सीएमई आयोजित 

 

लखनऊ। हर देश की जलवायु व लाइफ स्टाइल बदली होने की वजह से बीमारियों की वजह और लक्षण भी बदल जाते हैं। अपनी शोध रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरोलॉजी हेड डॉ.सुनील प्रधान ने कहा कि भारत में जरूरी नही है कि सभी मिर्गी रोगियों में शरीर में अकड़न, मुंह से झाग निकले, बेहोश हो जाये या दौरा पड़े। व्यक्ति बोलते हुये भूल जाये कि क्या बोल रहा है, एकाएक बोलने का विषय बदल दे या कुछ देर के लिए मौन धारण कर स्टैचू बनकर खड़े हो जाते हैं।

 

बलरामपुर अस्पताल के समागार में, अस्पताल के 150 वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित सीएमई में बोल रहें डॉ.प्रधान ने कहा कि भारत में मिर्गी के रोगों को अंधविश्वास के साथ जोड़कर देखा जाता है, झटकों के साथ अकडऩ आते ही लोग जूता सूंघाने लगते है मगर इलाज के लिए  अस्पताल नहीं आते हैं।

 

डॉ प्रधान ने बताया कि शोधों से ज्ञात हुआ कि भारत में मिर्गी दो प्रकार की होती है, एक में व्यवहार परिवर्तन और दूसरा मौन धारण करना मुख्‍य लक्षण हैं। सभी का इलाज जरूरी है। शोध रिपोर्ट के साथ मिर्गी की नई क्लासीफिकेशन को इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित होने के लिए भेजा जायेगा। उन्होंने बताया कि पैरालाइज मरीजों के अंगों को पुन: सक्रिय बनाने में फिजियोथेरेपी विशेष कारगर है।

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ.राजीव लोचन ने बताया कि बलरामपुर अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है यहां पर मरीजों को उच्च गुणवत्ता युक्त विभिन्न बीमारियों का इलाज मिलता है। कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि केजीएमयू के कुलपति प्रो.एमएलबी भटट्, पूर्व निदेशक डॉ.टी पी सिंह समेत तमाम चिकित्सक मौजूद रहे। डॉ राजीव गर्ग ने ब्रॉन्‍को स्‍पास्‍म पर महत्‍वपूर्ण व्‍याख्‍यान प्रस्‍तुत किया।

सीएमई में व्याख्‍यान देने वालों को सीएमएस डॉ.आरके सक्सेना और एमएस डॉ.हिमांशु चतुर्वेदी ने, प्रशस्ति पत्र दिये। कार्यक्रम का संचालन डॉ.एससी श्रीवास्तव ने किया।