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लम्बित मांगों को लेकर फार्मासिस्‍टों ने बजा दिया आंदोलन का बिगुल

15 को घेराव से शुरुआत के बाद 10 दिसम्‍बर से हड़ताल का ऐलान 

 

लखनऊ।  फार्मेसिस्ट संवर्ग की विभिन्न लंबित मांगों के समर्थन और मध्य सत्र में नीतिविरुद्ध स्थानांतरण के विरोध में डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा आंदोलन की घोषणा कर दी गयी है । मांगों की पूर्ति न होने पर 15 नवम्बर को महानिदेशालय का घेराव/ धरना, 3,4,5 दिसम्बर को काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन, 6-7 दिसम्बर को 2 घंटे का कार्य बहिष्कार , 8 दिसम्बर को द्वितीय शनिवार  का सामूहिक उपभोग और 10 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी गयी है ।

 

डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संदीप बडोला की अध्यक्षता में सम्पन्न प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में उक्त कार्यक्रम की घोषणा की गई। आंदोलन को सफल बनाने के लिए जनपद में तैयारी प्रारम्भ हो गयी है।

 

आंदोलन के प्रस्तावित कार्यक्रम की जानकारी देते हुए संघ के प्रवक्ता और राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि बैठक में सभी प्रांतीय पदाधिकारी, मंडलीय सचिव और जनपद शाखाओं के पदाधिकारियों ने एक स्वर से मांग की कि पूर्व में हुए उच्चस्तरीय समझौतों और अनेक वार्ताओं में लिए निर्णयों के बावजूद संघ की किसी भी मांग पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

 

संघ के महामंत्री केके सचान ने शासन स्तर पर अब तक हुए बैठकों की जानकारी देते हुए कहा कि संघ की वेतन विसंगति की रिपोर्ट लगभग डेढ़ वर्ष से शासन में लंबित है, जिसके कारण सम्मानजनक वेतन नहीं मिल रहा, भत्तों का वर्षों से पुनरीक्षण नहीं हुआ। महानिदेशालय के प्रस्ताव के बाद भी संवर्ग के पदों का पुनर्गठन नहीं हो रहा, कार्य और आवश्यकता के अनुसार मानक नहीं बन रहे, पदों का सृजन लंबित है, ट्रॉमा सेंटरो में अभी तक फार्मेसिस्ट के एक भी पद सृजित नहीं हुआ,  उच्च पदों का सृजन भी नहीं हो रहा है, जिससे पदोन्नति नहीं हो पा रही, नियुक्ति प्रक्रिया भी बाधित है।

 

सुनील यादव ने बताया कि महानिदेशालय द्वारा फार्मेसिस्ट संवर्ग के कुल सृजित पदों की संख्या हमेशा अलग-अलग बताई जाती है,  मात्र कुछ जनपदों से प्राप्त जनसूचना, पीएचसी, सीएचसी  के मानक को अगर आधार मान लें तो भी अभी फार्मेसिस्ट के 500 से अधिक पद रिक्त हैं जबकि महानिदेशालय के पास सही सूचना नहीं है, फार्मेसिस्ट रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं।

 

नवनियुक्त फार्मेसिस्ट उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में पुरानी पेंशन योजना के हकदार हैं परंतु उन्हें नई पेंशन योजना में रखा जा रहा है, लगभग 4000 से अधिक नवनियुक्त फार्मेसिस्टों के नाम वरिष्ठता सूची में नही जोड़े गए , जो सामान्य प्रक्रिया के अंतर्गत जुड़ जाने चाहिए थे।

 

शासन स्तर पर निर्णय लिया गया था कि प्रत्येक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन जिला फार्मेसी अधिकारी,  प्रत्येक महिला चिकित्सालय में प्रभारी अधिकारी फार्मेसी, अपर निदेशक और 500 बेड के चिकित्सालयो में विशेष कार्य अधिकारी तथा कुल 4 संयुक्त निदेशक के पदों का सृजन करते हुए विभाग में पदोन्नति के पदों को बढ़ाकर पिरामिड ठीक किया जाएगा, लेकिन लगभग 15 साल बीतने के बाद भी इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिससे अधिकांश फार्मेसिस्ट अपने मूल पद से सेवानिवृत्त हो जाते हैं, उनकी पदोन्नति नहीं हो पाती।

 

उपरोक्त मांगों के लिए संघ द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों और पत्रों के माध्यम से शासन का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया, परन्तु लगता है शासन जान बूझकर आंदोलन की स्थिति उत्पन्न कर रहा है, इसीलिए सर्वसम्मति से आंदोलन का निर्णय लिया गया। संघ ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करते हुए फार्मेसिस्ट संवर्ग की लंबित मांगों पर कार्यवाही की मांग की है ।