संस्थान ने 100 से ज्यादा एसडीआरएफ कर्मियों को दो दिवसीय प्रशिक्षण देने के साथ रखा इस विशेष क्षेत्र में कदम

लखनऊ। यह संयोग ही है कि जब बिहार के मुंगेर में मंगलवार को अपरान्ह करीब तीन बजे बोरवेल में गिरी तीन साल की मासूम सना को बचाने के लिए एनडीआरएफ और बिहार की एसडीआरएफ टीमें दिन-रात एक किये थीं उसी समय यहां लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश की एसडीआरएफ टीम को अपने प्रबंधन में निपुण बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा था। सना को बचाने के लिए करोड़ों लोग दुआएं कर रहे थे, टेलीविजन के माध्यम से लगातार वहां हो रहे राहत कार्य को दिखाया जा रहा था। करोड़ों आंखें लगातार राहत कार्य कर रहे कर्मियों को आशा भरी निगाहों से देख रही थीं। क्योंकि उनके लिए सना के बाहर आने की आस ऊपरवाले की कृपा और राहत कर्मियों के कर्म पर टिकी थी। और फिर ईश्वर की कृपा हुई व उन राहत कर्मियों की मेहनत रंग लायी और 31 घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद बुधवार को रात्रि करीब 9 बजकर 50 मिनट पर मासूम सना को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता प्राप्त हुई।
यहां मुंगेर की घटना का उदाहरण देने का आशय इतना ही है कि जिन आपदा राहत कर्मियों की संघर्षशीलता और मेहनत रंग लायी। ऐसे ही आपदा राहत कर्मियों को तैयार करने के लिए आधुनिक तकनीकियों की जानकारियों के साथ “एएएएस” (जागरूकता-अलर्ट-एक्शन-उत्तरजीविता) ‘आस’ कोस से प्रशिक्षित करने की पहल केजीएमयू ने की है। “एएएएस” का मुख्य उद्देश्य एसडीआरएफ कर्मियों को प्रशिक्षित करना है ताकि वे बड़े आपातकालीन मामलों में आने पर विशेषज्ञ बलों को सहायक भूमिका निभा सकें।
केजीएमयू के ट्रामा सर्जरी विभाग (डॉ संदीप तिवारी, प्रोफेसर एंड हेड) और सेंटर फॉर अग्रिम कौशल विकास के निदेशक डॉ विनोद जैन, डीन, पैरामेडिकल साइंसेज संस्थान की टीम में एनेस्थेसिया विभाग के डॉ जीपी सिंह, प्रोफेसर, रेडियोथेरेपी विभाग डॉ कीर्ती श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर, ट्रामा सर्जरी विभाग, डॉ समीर मिश्र और कार्यक्रम समन्वयक डॉ राजीव मिश्रा के सहयोग से एक व्यापक कौशल कार्यक्रम किया गया था।
राहत कार्य की चिकित्सकीय दृष्टिकोण से बारीकियां सिखाने के लिए उत्तर प्रदेश के एसडीआरएफ कर्मियों का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम बुधवार को सम्पन्न हुआ। कार्यशाला में 100 से अधिक एसडीआरएफ कर्मियों ने भाग लिया। यह कार्यक्रम आपात स्थिति में विभिन्न तकनीक और प्रबंधन के बारे में जानने का एक उत्कृष्ट अवसर बन गयाI 2 दिन की कार्यशाला 31 जुलाई को सुबह 8:30 बजे प्रोफेसर संदीप तिवारी (विशेषज्ञ) द्वारा स्वागत नोट के साथ शुरू हुई और केजीएमयू के प्रमुख विशेषज्ञों समीर मिश्रा, डॉ अनीता सिंह, डॉ यदुवेन्द्र धीर, डॉ विनोद जैन, डॉ हेमलता, डॉ प्रेम राज, डॉ कीर्ती श्रीवास्तव, डॉ मोनिका कोहली, डॉ विक्रम वर्मा, डॉ सौम्य सिंह द्वारा प्रशिक्षण और प्रोटोकॉल के साथ समाप्त हो गई ।
कार्यशाला के दूसरे दिन डॉ राजीव मिश्रा द्वारा प्रश्न और उत्तर सत्र के साथ पहले दिन के विषय में संशोधन और डॉ समीर मिश्रा द्वारा सुरक्षित हस्तांतरण विषय पर व्याख्यान शुरू हुआ। दो दिन के दूसरे चरण में, कुलपति प्रोफेसर एम एल बी भट्ट के भाषण की अध्यक्षता में कार्यशाला का समापन समारोह सरस्वती वंदना और दीपक प्रकाश व्यवस्था के साथ प्रोफेसर संदीप तिवारी द्वारा स्वागत के साथ हुआ। कार्यशाला मूल्यांकन प्रश्नावली और प्रतिभागियों से प्रतिक्रिया के साथ समाप्त हो गई। कार्यशाला का पूरा ध्यान जीवन बचत तकनीकों, आपदा तैयारी और प्रबंधन, स्वास्थ्य अपशिष्ट प्रबंधन, और आघात रोकथाम और प्रबंधन के मौजूदा अपडेट के साथ-साथ विभिन्न चुनौतियों पर था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह थे। उनके अलावा एडीजी पीएसी आरके विश्वकर्मा, आईजी पीएसी सतीश गणेश और कमांडेंट एसडीआरएफ हेमंत कुटियाल भी मौजूद थे।

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