पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं ये, सामान्य गर्भधारण में होगी दिक्कत
लखनऊ। किशोरवस्था से शुरू होकर युवावस्था तक आते-आते आधुनिक और लापरवाह जीवन शैली हमें तात्कालिक ख़ुशी तो देती है लेकिन इससे होने वाले नुकसान का पता ज्यादातर तब चलता है जब विवाह के बाद गर्भधारण करने में परेशानियां आती हैं, और जब डॉक्टर से संपर्क कर हाल बताया जाता है तब जांच में पता चलता है कि इसका कारण पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम यानि पीसीओएस है. जिसकी वजह से महिला गर्भ धारण नहीं कर पा रही है. महिलाओं मे कैरियर सेटेलमेंट और कैरियर सेटेल होने के बाद की आधुनिक सुख-सुविधाओं से युक्त लाइफ स्टाइल, महिलाओं में बांझपन बढ़ा रही है। इतना ही नहीं, किशोरावस्था में ही पीसीओएस का शिकार हो जा रही हैं, जिसकी वजह से विवाह उपरांत गर्भधारण की दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि पीसीओएस का कोई सटीक इलाज नहीं है, हार्मोनल दवाओं और योग व प्राकृतिक आहार विहार से गर्भधारण की संभावनाएं उत्पन्न की जाती हैं। यह महत्वपूर्ण जानकारी बुधवार को यहाँ होटल इंडिया अवध में आयोजित एक प्रेस वार्ता में नोवा आईवीआई फर्टिलिटी की डॉ. आंचल गर्ग ने दी।
डॉ.गर्ग ने बताया कि पीसीओएस महिलाओं की अहम् समस्या है, उन्होंने कहा कि हालाँकि यह सभी को नहीं होती है, मगर जिन्हें होती है उन्हें खासा परेशान कर देती है। उन्होंने बताया कि इसके होने के निश्चित कारणों की जानकारी नहीं है, लेकिन इतना जरूर देखा गया है कि जीवन शैली का जरूर फर्क पड़ता है, उन्होंने कहा कि व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए और मोटे होने से बचने के उपाय करने चाहिए यानि जो चीजें फैट बढ़ाती हैं, उनका सेवन कम से कम करना चाहिए.
पीसीओएस के उपचार के बारे में डॉ. आँचल ने बताया कि स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर संतुलित आहार एवं पर्याप्त व्यायाम सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि युवतियों को स्टार्चयुक्त भोजन, जटिल कार्बोहाईड्रेट एवं वसा से परहेज करने की सलाह दी जाती है. उन्होंने कहा कि खानपान की स्वस्थ आदतों और व्यायाम से यदि 5% भी वजन कम हो जाता है तो समय से अन्डोत्सर्जन होने लगता है. मुख्य रूप से वजन पर नियंत्रण और हार्मोन असंतुलन पर काबू पाना और मासिक चक्र सुनिश्चित करना शामिल है. उन्होंने बताया कि पीसीओएस वाली 20% महिलाओं को अन्डोत्सर्जन या गर्भधारण की समस्या नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि जब प्रजनन की इच्छा हो तो अन्डोत्सर्जन नहीं करने वाली महिलायें इसके लिए ओवेरियन स्टिमुलेशन का सहारा ले सकती हैं, यह दवाओं के जरिये किया जाता है, इसके बाद आसान आईयूआई के जरिये गर्भधारण करना संभव हो जाता है.
उन्होंने बताया कि बच्चेदानी में अपरिपक्व अंडाणुओं की भरमार होती है, ओवरलोड अंडाणु, असामान्य हॉर्मोन परिवेश उत्पन्न कर देते हैं। जिसकी वजह से अंडाणु विकसित नहीं होते हैं। उन्होंने बताया कि नोवा आईवीआई फर्टिलिटी लखनऊ सेंटर की बात करें तो बीते तीन माह में बांझपन की समस्या से जूझ रही महिलाओं में 15 से 20 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से ग्रस्त पाई गयीं. हालांकि इनके इलाज में इन्हें हार्मोन्स इंजेक्शन दिये जाते हैं और मोटापा को कम कराया जाता है। इसके अलावा मासिक चक्र को सुनिश्चित कराया जाता है ताकि अंडोत्सर्जन उपरांत गर्भधारण की इच्छापूर्ति हो सके।