-गॉल ब्लेडर के ऑपरेशन के नाम से डरने वाले लोगों से कहा, डर के आगे जीत
-हेल्थ सिटी विस्तार मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के गैस्ट्रो लेप्रोस्कॉपिक सर्जन डॉ के बी जैन से विशेष बातचीत
सेहत टाइम्स
लखनऊ। गॉल ब्लेडर की पथरी का पता चलते ही लोगों में घबराहट शुरू हो जाती है, क्योंकि वे जानते हैं कि ऑपरेशन ही इसका एक इलाज है। इस ऑपरेशन को लेकर उनके मन में डर बैठा रहता है, इसलिए वे इसे टालते रहते है, ऐसे लोगों से मैंं यह कहना चाहता हूं कि ऑपरेशन से बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है, डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि पथरी को पड़े रहने देने की स्थिति अच्छी नहीं है।
यह बात यहां गोमती नगर विस्तार के सेक्टर चार स्थित हेल्थ सिटी विस्तार मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निदेशक व गैस्ट्रो के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ केबी जैन ने ‘सेहत टाइम्स’ से एक विशेष वार्ता में कही। उन्होंने बताया कि गॉल ब्लेडर में पथरी का लेप्रोस्कोप विधि से ऑपरेशन में मरीज का अस्पताल में बिताने का समय काफी कम हो गया है। डॉ जैन ने बताया कि जिस दिन मरीज भर्ती होता है उसी दिन उसका ऑपरेशन हो जाता है और अगले दिन अस्पताल से छुट्टी हो जाती है। तीन दिन में मरीज बिल्कुल फिट हो जाता है।
उन्होंने बताया कि डर के आगे जीत है की बात ऑपरेशन में बिल्कुल फिट बैठती है, डर को परे हटाकर ऑपरेशन करा लिया, ऑपरेशन के बाद तीन दिन में मरीज बिल्कुल फिट हो जाता है। डॉ जैन ने बताया कि इसके विपरीत यदि ऑपरेशन नहीं कराया और पथरी पड़ी रहने दी तो अनेक प्रकार के कॉम्प्लीकेशन पैदा हो सकते हैं, मवाद पड़ सकता है, जिगर से आंत तक जाने वाली नली में पत्थर जा सकता है जिससे पीलिया हो सकता है, और बहुत समय तक अगर पथरी पड़ी रहे तो कैंसर भी हो सकता है।


एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पेट के बीचोबीच या दाहिनी तरफ पसली के नीचे पित्त की थैली में पथरी का दर्द उठता है। पथरी होने का कोई विशेष कारण तो सामने नहीं आया है लेकिन यह देखा गया है कि ज्यादा घी-तेल खाने वाले तथा जिनका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ होता है, उनमें पथरी होने की संभावना ज्यादा होती है। डॉ जैन ने बताया कि ऐसा नहीं है कि फलां चीज खाने से पथरी हो जाती है या न खाने से पथरी नहीं होती है, क्योंकि पथरी बच्चों को भी हो जाती है, बड़ों को भी हो जाती है। मोटे लोगों के भी पथरी हो जाती है, बहुत पतले लोगों के भी पथरी हो जाती है।उन्होंने बताया कि पथरी का निर्माण कैल्शियम मिश्रित कोलेस्ट्रॉल के साथ ही जिन लोगों का पित्त बहुत गाढ़ा होता है, उसके जमने से भी होता है।
एक सवाल के जवाब में डॉ जैन ने कहा कि इस ऑपरेशन में गॉल ब्लेडर निकाल दिया जाता है, लेकिन इसके निकालने से मरीज के खानपान, रहनसहन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि शरीर में गॉल ब्लेडर की भूमिका घर में बने स्टोर रूम की तरह है। जिनके घरों में स्टोर रूम है उनका भी घर ठीक से चल रहा है और जिनके घर में स्टोर रूम नहीं है, उनका घर भी ठीक चल रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि गॉल ब्लेडर निकाले जाने के बाद मरीज का काम नहीं चलेगा, मरीज का काम जैसे पहले चल रहा था, वैसे ही गॉल ब्लेडर निकाले जाने के बाद भी चलता है, इसके साथ ही किसी भी प्रकार के खाने में प्रतिबंध नहीं है।
