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जटिल क्रेनियोफेशियल दोषों और सिन्ड्रोम की सर्जरी करने वाले उन्नत केंद्रों की सूची में अब लोहिया संस्थान भी

-एसजीपीजीआई के विशेषज्ञ के साथ मिलकर की काउज़ोन सिंड्रोम से पीड़ित पाँच वर्षीय बच्ची की सर्जरी

सेहत टाइम्स

लखनऊ। डा० राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले और जटिल क्रेनियोफेशियल दोषों और सिन्ड्रोम के इलाज के लिए नवीनतम उन्नत केंद्रों में से एक बन गया है। पिछले सप्ताह एडवांस न्यूरोसाइंसेज सेन्टर में न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दीपक कुमार सिंह की देखरेख में काउज़ोन सिंड्रोम से पीड़ित पाँच वर्षीय बच्ची का ऑपरेशन किया गया। यह सर्जरी न्यूरोसर्जरी विभाग द्वारा प्रोफेसर राजीव अग्रवाल, जो संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न्स विभाग के विभागाध्यक्ष हैं, के साथ संयुक्त रूप से की गई है।

प्रो दीपक कुमार सिंह व प्रो राजीव अग्रवाल द्वारा द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार काउज़ोन सिन्ड्रोम एक दुर्लभ क्रेनियोफेशियल स्थिति है, जिसमें कोरोनल सूचर (ये टांके खोपडी के अग्र भाग में मौजूद होते हैं) का समय से पहले फ्यूजन हो जाता है, जिससे माथे का चपटा होना और खोपड़ी के पिछले हिस्से का फुलाव असामान्य हो जाता है।
इस बीमारी में खोपड़ी मस्तिष्क के विकास के साथ बढने में सक्षम नहीं होती है और इसलिए यह हाइड्रोसिफलस और अन्य जीवन के खतरे वाली स्थितियो को जन्म देती है। खोपडी के चपटे आकार के कारण आँखों का असामान्य उभार होता है जिससे पूरे सिर और चेहरे की उपस्थिति भद्दी हो जाती है।

डॉ दीपक कुमार सिंह ने संस्थान में हुई सर्जरी के बारे में बताया कि गोंडा निवासी एक किसान के घर जन्मी बच्ची आराध्या सिंह का सिर जन्म से ही असामान्य था। सिर का आकार असामान्य रूप से बढ़ता रहा और साल दर साल विकृति बढ़ती गई। बच्ची गोंडा के बचपन प्ले स्कूल में नर्सरी सेक्शन में पढ़ाई कर रही है और स्कूल में अच्छा प्रदर्शन कर रही है। उसने डा० राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दीपक कुमार सिंह से परामर्श लिया, जिन्होंने उसकी जाँच की और पाया कि वह एक जटिल क्रेनियोफेशियल विकार से पीड़ित है।
समस्या का आरेखीय निरूपण
1. सिर का असामान्य आकार
2. उभरी हुई आँखें
3. चेहरे का असामान्य आकार

समस्या का समाधान करने के लिए संयुक्त न्यूरो सर्जरी और क्रेनियोफेशियल सर्जरी की आवश्यकता थी। लोहिया संस्थान में की गयी सर्जरी का प्रारम्भिक भाग प्रोफेसर दीपक कुमार सिंह और उनकी न्यूरोसर्जरी की टीम द्वारा किया गया, इस भाग में रोगी की पूरी विकृत खोपड़ी को निकालना शामिल था। एक बार जब पूरा वॉल्ट हटा दिया गया, तो इस विकृत सिर को आकार देने के लिए क्रेनियोफेशियल सर्जन प्रोफेसर राजीव अग्रवाल को सौंप दिया गया। प्रोफेसर अग्रवाल ने सबसे पहले चपटे माथे के स्वरूप का सुधार किया और फिर उन्होने रीमॉडलिंग की प्रक्रिया द्वारा पूरे विकृत कपाल वॉल्ट को सावधानीपूर्वक पुनः आकार दिया। केनियल वॉल्ट रीमॉडलिंग में खोपड़ी की हड्डी के टुकड़ों को काटना और ड्रिल करना और फिर खोपड़ी को सामान्य आकार देना शामिल है।

भारत में सिर और चेहरे की विकृतियाँ असामान्य नही हैं और कई बच्चे इन स्थितियों के परिणाम स्वरूप दर्द और सामाजिक उदासीनता से पीड़ित हैं। क्रेनियोफेशियल सर्जरी की उप- विशेषता और इसकी विशेषज्ञता भारत में सीमित है और बहुत कम सर्जन इस प्रकार की सर्जरी करते हैं, क्योंकि यह मस्तिष्क के आसपास की जाने वाली बेहद नाजुक सर्जरी है और सर्जरी के दौरान कोई भी गलती मरीज के लिए घातक साबित हो सकती है। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में इस जटिल सर्जरी के सफल निष्पादन ने एडवांस न्यूरोसाइंसेज सेन्टर में भविष्य में ऐसी सर्जरी का मार्ग प्रशस्त किया है। निदेशक प्रोफेसर सी० एम० सिंह ने इस सर्जरी के सफल होने पर ऑपरेटिव टीम को बधाई दी।

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