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पीडियाट्रीशियन हैं, पीडियाट्रिक सर्जन हैं तो पीडियाट्रिक ऐनेस्थिसियोलॉजिस्ट क्यों नहीं?

डॉ प्रगन्या सावंत

लखनऊ। अगर बड़ों के इलाज के लिए फिजीशियन, बच्चों के इलाज के लिए , पीडियाट्रीशियन, बड़ों की सर्जरी के लिए सर्जन, बच्चों की सर्जरी के लिए पीडियाट्रिक सर्जन लेकिन सर्जरी में अहम भूृमिका निभाने वाले ऐनेस्थिसियोलॉजिस्ट यानी बेहोशी वाले चिकित्सक बड़ों की सर्जरी में भी वही, बच्चों की सर्जरी में भी वही। है न चौंकने वाली बात, लेकिन यह सत्य है, बच्चों वाले ऐनेस्थिसियोलॉजिस्ट देश में बहुत ही कम संख्या में हैं। जो हैं भी वह मेट्रोपोलिटन सिटीज में हैं। यह महत्वपूर्ण जानकारी वाडिया चिल्ड्रन हॉस्पिटल की विभागाध्यक्ष तथा ऐनेस्थिसियोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष डॉ प्रगन्या सावंत ने सेहत टाइम्स को एक मुलाकात में दी।
उन्होंने कहा कि वह पिछले तीस सालों से पीडियाट्रिक ऐनेस्थिसियोलॉजिस्ट के रूप में काम कर रही हैं। हमारी एसोसिएशन का गठन वर्ष 2006 में हुआ था तब से हम लोग देश भर में इस आवश्यकता को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं। इसी क्रम में वह लखनऊ आयी हैं इस बार यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ऐनेस्थीसियोलॉजी विभाग द्वारा यह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया है।  तीन दिवसीय पीडियाट्रिक एनेस्थीसिया का राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन यहां कन्वेंशन सेंटर में 17 से 19 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है।
40 फीसदी मृत्यु दर कम हो जायेगी
बच्चों वाले बेहोशी के डॉक्टर अलग होने के फायदे के बारे में पूछने पर डॉ सावंत कहती हैं कि एक मोटे अनुमान के अनुसार 40 प्रतिशत तक बच्चों की मृत्यु दर कम हो जायेगी। डॉ सावंत की इस जानकारी को अगर दूसरे अर्थों में देखा जाये तो इन स्पेशियलिस्ट के न होने से 40 फीसदी बच्चों की मौत हो रही है जो निश्चित ही चिंता का विषय है। ज्ञात हो जिस तरह से बच्चों और बड़ों के लिए आवश्यकता के अनुसार हर खुराक तय की जाती है, उसी प्रकार बेहोशी की दवा का डोज भी बच्चों और बड़ों में अलग-अलग होता है। इसका निर्धारण वजन और शारीरिक प्रकृति पर निर्भर करता है।
एमसीआई ने भी नहीं दिया ध्यान
डॉ सावंत से जब पूछा गया कि इस तरह की स्थिति क्यों उत्पन्न हो गयी कि भारत जैसे देश में जहां हर विधा के विशेषज्ञ तैयार हो रहे हैं वहीं बच्चों की सर्जरी के लिए बेहोशी वाले डॉक्टर पर्याप्त मात्रा में नहीं है, इस पर उन्होंने कहा कि यह भी विडम्बना ही है कि चिकित्सा शिक्षण संस्थानों को चिकित्सक बनाने की अनुमति देने से लेकर उनके कामकाज पर नजर रखने के लिए बनी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उनका कहना था कि जब पीडियाट्रिक सर्जरी की अनुमति दी जा रही है तो फिर पीडियाट्रिक ऐनेस्थिसियोलॉजिस्ट की अनिवार्यता क्यों नहीं की गयी। उन्होंने बताया कि हालांकि हम लोग इसके लिए कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पीडियाट्रिक ऐनेस्थिसियोलॉजिस्ट का लाभ मिले इसके लिए हम लोग इम्पैक्ट इंडिया द्वारा चलायी जा रही  लाइफ लाइन एक्सप्रेस रेलगाड़ी, जिसमें देश भर में दूरस्थ इलाकों में जाकर चिकित्सा सुविधा जाती है, उसमें सर्जरी के लिए पीडियाट्रिक ऐनेस्थिसियोलॉजिस्ट की सेवाएं उपलब्ध कराते हैं।
आमजनों के ध्यान देने योग्य बातें
उन्होंने कहा कि आम जन को भी इस बारे में जागरूक किये जाने की जरूरत है कि वे अपने बच्चे की सर्जरी के समय चिकित्सक की बतायी हुई बातों का विशेष ध्यान रखे, जैसे कि ऑपरेशन के पहले छह घंटे खाली पेट होना चाहिए, इस दौरान मरीज को पानी और जूस जिसमें पल्प न हो, दिया जा सकता है। बच्चे के घरवालों को चाहिये कि वे चिकित्सक से कुछ न छिपायें।

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