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होम्योपैथिक रिसर्च फाउंडेशन के समाजसेवा के भवन का होगा विस्तार

-समाज सेवा के इच्छुक लोगों का प्रतिनि​धिमंडल पहुंचा गोल्डन फ्यूचर ट्रस्ट स्कूल

सेहत टाइम्स

लखनऊ। होम्योपैथिक रिसर्च फाउंडेशन के नौबस्ता खुर्द, गायत्री नगर मडि़यांव स्थित बहुउद्देशीय भवन में गरीब बच्चों के लिए संचालित गोल्डन फ्यूचर ट्रस्ट स्कूल को देखने समाजसेवा के इच्छुक लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार 30 नवम्बर को पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल में शामिल मित्तल एंड कम्पनी के सीईओ सीए आयुष मित्तल और सीए रूपाली मित्तल ने बच्चों को खिलौने, पेंसिल, बिस्कुट आदि वितरित किये। इस मौके पर होम्योपैथिक रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ गिरीश गुप्ता और स्कूल का संचालन करने वाले गोल्डन फ्यूचर ट्रस्ट के शोभित नारायण अग्रवाल ने मित्तल दम्पति का आभार जताते हुए उनका स्वागत किया। इस प्रतिनिधिमंडल में अयोध्या से आयीं ब्रहमकुमारी रेखा, पतंजलि स्टोर के वितरक मलय अग्रवाल और किरण स्टेट के सीईओ अजय अग्रवाल भी शामिल थे। इन सबने बच्चों से मन लगाकर पढ़ाई करने का आह्वान किया तथा कहा कि अगली बार हम लोग आयेंगे तो क्विज का आयोजन किया जायेगा जिसमें विजयी बच्चों को अच्छा सा इनाम दिया जायेगा। बच्चों को सम्बोधित करते हुए सीए रूपाली ने कहा कि मन लगाकर पढ़ाई करिये, स्कूल रोज आइये। पढ़ाई करने से ही कुछ अच्छे बनते हैं। सीए आयुष मित्तल और सीए रूपाली मित्तल ने घोषणा की कि जल्दी ही बच्चों को गर्म कपड़े दिये जायेंगे। इस मौके पर कुछ बच्चों ने कविताएं सुनायीं तथा कुछ बच्चों ने डान्स प्रस्तुत किये।

शोभित नारायण अग्रवाल की पहल पर प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के साथ भवन का एक मंजिला विस्तार करने पर भी वार्ता हुई। शोभित अग्रवाल ने बताया कि शीघ्र ही भवन विस्तार के लिए निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा। स्कूल की अध्यापिका रचना ने स्कूल के कार्यकलापों के बारे में जानकारी दी। डॉ गिरीश गुप्ता ने प्रतिनिधिमंडल को भवन में चल रही स्कूल सहित पांचोें परियोजनाएं सांई शरण धर्मार्थ होम्योपैथिक चिकित्सालय, रोटरी सीमा प्रेरणा सिलाई स्कूल, सरस्वती डेंटल कॉलेज ग्रामीण सेटेलाइट सेन्टर, सम्राट विक्रमादित्य कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र के बारे में जानकारी दी।

बच्चों को सम्बोधित करते हुए ब्रहमकुमारी रेखा ने अच्छे नागरिक बनने के लिए अनेक बातें बतायीं। उन्होंने बताया ​कि पुराने समय में भी राजा के बच्चे भी जब पढ़ने के लिए गुरुकुल जाते थे तो वे भी दूसरे बच्चों की तरह ही मेहनत करते थे, ताकि उनके अंदर साधारण जनता को होने वाले दु:ख-दर्द का अहसास हो सके। इसके बाद ही बड़े होकर वे राजा बने। उन्होंने बच्चों को मेडिटेशन भी कराया तथा इसे रोज करने को कहा।

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