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रात्रि में जागकर मोबाइल-लैपटॉप का प्रयोग दे रहा अनिद्रा व मानसिक तनाव

-आहार-विहार एवं दिनचर्या सही न होने के कारण मनुष्य आसानी से हो जाता है बीमार

-बलरामपुर चिकित्सालय में 7वें राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर संगोष्ठी संपन्न

सेहत टाइम्स

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग के कोऑर्डिनेटर डॉ. अमरजीत यादव ने कहा है कि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति मनुष्य जाति के सर्वांगीण स्वास्थ्य में अहम भूमिका निभाती है, जगत के समस्त प्राणी प्रकृति के नियमों का पालन करते हुए आजीवन स्वस्थ रहते हैं। मनुष्य आहार- विहार एवं दिनचर्या का सही अनुपालन न करने के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियों की चपेट में शीघ्रता से आ जाता है, रात्रि जागरण तथा मोबाइल लैपटॉप, डेस्कटॉप का रात्रि में प्रयोग से लोग मानसिक तनाव तथा अनिद्रा के शिकार हो रहे हैं।

डॉ यादव 18 नवम्बर को यहां बलरामपुर चिकित्सालय के आयुष विभाग में 7वें राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के शुभ अवसर पर आयोजित संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। प्राकृतिक चिकित्सा विभाग, विवेकानंद आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. दिनेश कुमार मौर्य ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा विधा शरीर शोधन, स्वास्थ्य संवर्धन, स्वास्थ्य संरक्षण एवं रोग निवारण में नैसर्गिक भूमिका अदा करती है। प्रत्येक मनुष्य प्राकृतिक चिकित्सा युक्त जीवनशैली अपना कर आजीवन स्वस्थ रह सकता है।

बलरामपुर चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ संजय कुमार ने बताया कि बलरामपुर चिकित्सालय के आयुष विभाग में योग-प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद की चिकित्सा परामर्श एवं सेवाएं उपलब्ध हैं, मरीज आयुष विभाग में पहुंच कर परामर्श एवं स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि अंकुरित आहार के सेवन, नियमित प्रचुर मात्रा में स्वच्छ पानी पीने, नियमित योगअभ्यास करने तथा जंक फूड के परहेज से स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ अरुण कुमार निरंजन ने बताया कि एलर्जिक राइनाइटिस, साइनोसाइटिस एवं माइग्रेन जैसे जैसे कष्ट साध्य बीमारियों का इलाज आयुष विभाग में सर्वोत्तम होता है।

बलरामपुर चिकित्सालय के योग चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. नन्दलाल यादव ने बताया कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपैथी तथा प्राचीन चिकित्सा पद्धति योग-प्रकृति चिकित्सा एवं आयुर्वेद के संयुक्त प्रयोग एवं प्रयास से संपूर्ण मानव जगत को स्वस्थ रखा जा सकता है। साध्य, कष्टसाध्य एवं असाध्याय समझे जाने वाले रोगों पर भी काबू पाया जा सकता है। संगोष्ठी में बलरामपुर चिकित्सालय स्कूल आफ नर्सिंग की प्रधानाचार्य रागिनी त्रिवेदी, व्याख्याता आशुतोष द्विवेदी ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में बलरामपुर चिकित्सालय स्कूल ऑफ नर्सिंग की छात्राएं एवं छात्र तथा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के चिकित्सक एवं मरीजों ने प्रतिभाग किया।

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