-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में ‘इनकल्केटिंग क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स इन मेडिकल एजुकेशन’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला
सेहत टाइम्स
लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ के निदेशक प्रो सीएम सिंह ने कहा है कि डॉक्टरी पेशे में कभी भी किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। उस वक्त यह” क्रिटिकल थिंकिंग” ही उन्हें उस स्थिति का सामना करने में मददगार साबित होती है।
प्रो सिंह ने यह बात संस्थान की मेडिकल एजुकेशन यूनिट द्वारा “इनकल्केटिंग क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स इन मेडिकल एजुकेशन” विषय पर आयोजित दो दिवसीय नेशनल कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में दिये गये अपने उद्बोधन में कही। उन्होंने मेडिकल एजुकेशन यूनिट टीम को इस कार्यशाला के आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि भविष्य में इस प्रकार की और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा जो कि हमारे चिकित्सकों में मूल्यांकन करने की प्रतिभा को और निखारेंगी।
कार्यशाला में 34 लोगों ने प्रतिभाग किया, जिसमें लोहिया संस्थान के साथ-साथ और अन्य मेडिकल कॉलेज जैसे सैफई, इरा और हिम्स बाराबंकी के संकाय सदस्यों एवम रेजिडेंट्स द्वारा भी प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला में एम्स पटना से आए संकाय सदस्यों ने कार्यशाला को संबोधित किया। जिसमें डॉ श्रुति सिंह, डॉ वीणा कुमारी सिंह, डॉ प्रशांत कुमार सिंह और डॉ मीनाक्षी तिवारी शामिल थे।
कार्यशाला में उपस्थित संस्थान के डीन प्रोफेसर प्रद्युम्न सिंह ने इस बात पर बल दिया कि जिस प्रकार का पाठ्यक्रम आजकल के मेडिकल छात्रों के लिए बनाया गया है उसके दृष्टिगत “क्रिटिकल थिंकिंग स्किल” वर्तमान समय की जरूरत है।
कार्यशाला की आयोजक अध्यक्ष प्रोफेसर ज्योत्सना अग्रवाल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि संकाय विकास कार्यक्रम (फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम) के अंतर्गत आयोजित इस कार्यशाला द्वारा चिकित्सकों में क्लिनिकल समस्याओं को सुलझाने की क्षमता बढ़ेगी और वह प्रभावी रूप से इसका समाधान निकाल सकेंगे।
अंत में कार्यशाला के आयोजक सचिव डॉ मनीष कुमार सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि यह कार्यशाला संकाय सदस्यों को इस बात के लिए भी प्रशिक्षित करती है कि वह उनके विभाग के रेजिडेंट चिकित्सकों को भी चिकित्सीय क्षेत्र में आने वाली समस्याओं एवं आकस्मिकताओं का सामना बखूबी करने के लिए प्रशिक्षित करें।