परिवार नियोजन की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं पर डालना ठीक नहीं, पुरुष भी समझें जिम्मेदारी
लखनऊ। बढ़ती जनसंख्या यूँ तो बड़ा मुद्दा रहा है, सरकारों ने समय-समय पर खानापूर्ति के लिए बढ़ती जनसंख्या पर चिंता तो जताई लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर जितना और जैसे किये जाने की जरूरत है वह नहीं हुआ. इन सबके बीच अच्छी खबर यह है कि आज उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बढ़ती जनसँख्या को लेकर आज जोरदार बहस हुई. सरकार की ओर से जानकारी दी गयी कि पुरुष नसबंदी के लिए योजना तैयार की गयी है जिसे प्राइवेट नर्सिंग होम्स की मदद से लागू किया जायेगा.
बसपा नेता रितेश पांडेय के सवाल पर परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि जनसंख्या में वृद्धि को रोकने के लिए पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देना जरूरी है। जोशी ने सदन में कहा कि पुरुष नसबंदी की भागीदारी महज एक प्रतिशत है। इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार ने योजना बनाई है, जिसे प्राइवेट नर्सिंग होम्स के साथ मिलकर आगे बढ़ाया जाएगा। जोशी ने कहा कि परिवार नियोजन का पूरा भार महिलाओं के कंधे पर डालने से काम नहीं चलने वाला।
सदन में कमोबेश सभी दलों ने बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताई. चर्चा के दौरान अनिल सिंह कहा कि ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों राशन पानी ही बंद करा देना चाहिए। इस दौरान एक रोचक बात यह हुई कि जैसे ही अनिल सिंह नेराशन पानी बंद करने की बात कही, वैसे ही सत्ता पक्ष के विधायकों ने मेज थपथपाने लगे। अनिल सिंह ने आगे कहा कि अगर आबादी को नहीं रोका गया तो संसाधन कम पड़ जाएंगे। अनिल सिंह ने आगे कहा कि आज अगर जनगणना कराई जाए तो उत्तर प्रदेश की आबादी 30 करोड़ से अधिक मिलेगी।
इसके बाद बसपा नेता असलम राइनी ने भी जनसंख्या कम करने के उपायों की समीक्षा करने की बात कही। राइनी ने तो सदन में जनसंख्या कम करने के लिए एक जर्मन दवा तक का सुझाव दे डाला। इसके बाद तो क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष सभी ठहाके लगाकर हंसने लगे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में बढ़ती जनसँख्या पर जोरदार बहस
हालांकि बढ़ती जनसंख्या पर नरेंद्र मोदी से लेकर सोनिया गांधी तक कभी किसी शीर्ष नेता ऐसी बात नहीं कही, जो कि जिससे कि देश में इस मुद्दे पर चर्चा हो सके। देश की संसद बढ़ती जनसंख्या भले ही बड़ा मुद्दा न हो, लेकिन लखनऊ विधानसभा में इस मामले पर मंगलवार को जोरदार बहस हुई।