-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में सीएमई का आयोजन
सेहत टाइम्स
लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के निदेशक प्रोफेसर सीएम सिंह का कहना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) नेगलेक्टेड ट्राॅपीकल डिजीज के निदान में एक मूल्यवान उपकरण हो सकता है।
प्रो सिंह ने यह बात संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा 27 मार्च को आयोजित 11वें वार्षिक समाचार पत्र के विमोचन के साथ-साथ डायग्नोस्टिक पैरासिटोलॉजी में एआई की भूमिका : नेगलेक्टेड ट्राॅपीकल डिजीज पर फोकस विषय पर एक सीएमई में मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम नेगलेक्टेड ट्राॅपीकल डिजीज के बारे में जागरूकता पैदा करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा उल्लिखित 31 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग हैं, जिनमें से मलेरिया, फाइलेरिया, कालाजार, न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस सहित 12 भारत में मौजूद हैं। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि सीएमई के मुख्य वक्ता, प्रोफेसर एससी पारिजा प्रोफेसर एमेरिटस, नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज को आमंत्रित किया गया था।
प्रोफेसर अजय कुमार सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि ए0आई0 न केवल प्रयोगशाला निदान के क्षेत्र में बल्कि न्यूरोलॉजिकल मामलों और उनसे संबंधित रेडियोलॉजिकल जांच में भी सहायता कर रहा है।
प्रोफेसर प्रद्युम्न सिंह, डीन, डॉ.आरएमएलआईएमएस ने बताया कि एआई का उपयोग चिकित्सक के नैदानिक कौशल को प्रतिस्थापित नहीं करता है, बल्कि वास्तव में प्रयोगशाला या रेडियोलॉजिकल जांच में सहायक के रूप में कार्य करता है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रोफेसर ज्योत्सना अग्रवाल ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और माइक्रोबायोलॉजी में एआई के महत्व से परिचित कराया।
मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर एससी पारिजा ने दैनिक जीवन के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल में एआई के महत्व, सिद्धांत और घटक के बारे में बात की। उन्होंने सदस्यों को सूक्ष्म जीव विज्ञान विशेषकर पैरासिटोलॉजी से संबंधित प्रयोगशाला निदान के क्षेत्र में एआई की भागीदारी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने एआई और मेडिकल पैरासाइटोलॉजी में इसके उपयोग पर अपने कुछ व्यावहारिक काम साझा किए। इसके बाद सीएमई में दिलचस्प मामलों पर पैनल चर्चा जारी रखी गई। पैनल चर्चा में एकत्रित दर्शकों के लिए टोक्सोप्लाज्मा एन्सेफलाइटिस, न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस और मिट्टी से प्रसारित कृमि जैसे प्रासंगिक विषय शामिल थे, जिसमें वरिष्ठ चिकित्सक, संकाय और छात्र शामिल थे। पैनल के सदस्य में प्रो. एससी परीजा, प्रो. केएन प्रसाद ,पूर्व एचओडी माइक्रोबायोलॉजी, एसजीपीजीआई, डॉ. रितु करोली (मेडिसिन), डॉ. निखिल गुप्ता (मेडिसिन), डॉ. विनीता शुक्ला (सामुदायिक चिकित्सा) और डॉ. मनोदीप सेन (माइक्रोबायोलॉजी) शामिल रहे।
प्रो. मनोदीप सेन, कार्यक्रम सचिव ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ सत्र का समापन किया।