लखनऊ। यदि महिलाओं के स्तनों या निप्पल का आकार बदल रहा है तो वे सावधान हो जायें क्योंकि यह स्तन कैंसर का लक्षण हो सकता है। यह कहना है किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के जनरल सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अभिनव अरुण सोनकर का। उन्होंने बताया कि खुद के हार्मोन्स से महिलाओं के स्तन प्रभावित होते हैं जिनसे स्तन कैंसर हो जाता है। उन्होंने कहा कि स्तन कैंसर का इलाज केजीएमयू में बहुत कम खर्च पर सफलतापूर्वक हो रहा है।
ज्ञात हो महिलाओं में होने वाले विभिन्न प्रकार के कैंसरों में ब्रेस्ट का कैंसर एक प्रमुख है। हालांकि इसके प्रति जागरूकता के लिए अनेक कोशिशें की जा रही हैं लेकिन अभी बहुत कुृछ करना बाकी है।
मनमाने तरीके से न खायें गर्भ निरोधक गोलियां
प्रो.सोनकर से ‘सेहत टाइम्स’ ने ब्रेस्ट कैंसर को लेकर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन अपने मन से करना ठीक नहीं है, इसे अपने चिकित्सक की सलाह से ही लेना चाहिये क्योंकि महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर का यह भी एक कारण है हालांकि स्तन कैंसर के इसके अलावा और भी कई कारण हैं। उन्होंने बताया कि माहवारी जल्दी शुरू होने और देर से बंद होने वाली महिलाओं में भी ब्रेस्ट कैंसर पाया जा रहा है इसी प्रकार अधिक उम्र में मां बनने वाली महिलाओं को, अपने शिशु को अपना दूध न पिलाने वाली महिलाओं को, उन महिलाओं को, जिनके परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास रहा है तथा ठीक से भोजन न लेने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर पाया गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह कहना मुश्किल है कि किस चीज के खाने से या न खाने से नुकसान होता है, इस पर अभी रिसर्च चल रही है।
स्तन कैंसर के प्रति जागरूक रहने की अपील करते हुए प्रो सोनकर ने बताया कि अगर महिलाएं अपने स्तन में यदि कुछ बदलाव महसूस करें या देखें तो उन्हें तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिये। उन्होंने बताया कि अगर स्तन में गांठ हो तो उसे नजरंदाज न करें हालांकि यह सत्य है कि हर गांठ कैंसर नहीं होती है इसलिए मात्र गांठ का पता लगते ही महिलाएं घबरायें नहीं। इसके अलावा यदि स्तनों या निप्पल के आकार में परिवर्तन हो रहा हो, निप्पल धंसे हुए से लग रहे हों, स्तन और निप्पल की त्वचा में बदलाव हो रहा हो, निप्पल से किसी प्रकार का सादा या खून मिश्रित स्राव हो रहा हो, स्तन या कांख मेें दर्द हो (माहवारी से संबंधित नहीं) स्तन की त्वचा में लाली हो, एक बगल में सूजन, हड्डियों में दर्द या फिर एकदम से वजन गिरने पर तुरंत ही चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।
स्वयं करें स्तनों में गांठ की जांच
स्तन में गांठ की जांच के लिए प्रो सोनकर ने सलाह देते हुए बताया कि 40 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओंं को समय-समय पर अपने स्तनों में गांठ की जांच स्वयं कर लेनी चाहिये इसके लिए वह शीशे के सामने खड़े होकर अपने हाथ से स्तनों को दबाकर देखें कि कहीं गांठ तो नहीं है। इलाज के बारे में उन्होंने बताया कि यह कैंसर की स्थिति पर निर्भर करता है। सर्जरी होने की दशा में भी यह जरूरी नहीं है कि पूरा स्तन निकाल दिया जाये, प्रभावित भाग को निकालने से भी इलाज सम्भव हो जाता है। उन्होंने बताया कि केजीएमयू में इसकी सर्जरी बाहर की अपेक्षा बेहद सस्ती हो जाती है।