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जानिये, क्‍यों जरूरी है पांच साल तक के बच्‍चों के लिए विटामिन ए की खुराक

-नियमित टीकाकरण के अंतर्गत यूपी में 16 अगस्‍त से विटामिन ए खुराक पिलायी जा रही

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। नियमित टीकाकरण के अन्तर्गत प्रदेश में बीते 16 अगस्त से ‘‘विटामिन – ए’’ सम्पूर्ण कार्यक्रम शुरू हो गया है जिसके तहत 9 माह से 5 साल तक के बच्चों को ‘‘विटामिन-ए’’ की दवा पिलाई जा रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ‘‘विटामिन-ए’’ की कमी का समय से इलाज न होने पर आँखों की रोशनी चली जाती है। ‘‘विटामिन-ए’’ की कमी बच्चों में आँखों की रोशनी जाने के मुख्य कारणों में से एक है, जिसे रोका जा सकता है। दुनिया में एक साल में 2.50 लाख से 5 लाख बच्चे ‘‘विटामिन-ए’’ की कमी के कारण आँखों की रोशनी खो देते हैं और उनमें से आधे बच्चों की मृत्यु आँखों की रोशनी खोने के एक साल के अंदर हो जाती है। इसकी कमी की वजह से प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट आती है, साथ ही बच्चों में डायरिया, श्वसन संबंधी संक्रमण, हड्डियों के विकास में कमी और शारीरिक विकास में रुकावट आती है। इसके साथ ही गंभीर बीमारी से बचने की संभावना में भी कमी आती है।

संजय गांधी परास्नातक चिकित्सा संस्थान की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. पियाली भट्टाचार्य बताती हैं कि ‘‘विटामिन – ए’’ की कमी की समस्या विकसित देशों की अपेक्षा विकासशील देशों में आम है। ‘‘विटामिन – ए’’ की कमी दुनिया भर के बच्चों में अंधेपन का प्रमुख कारण है। ‘‘विटामिन – ए’’ दांतों, हड्डियों, कोमल ऊतकों, लेष्मा झिल्ली और त्वचा को स्वस्थ बनाने और बनाए रखने में मदद करता है। इसे “रेटिनॉल” के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह आंख की रेटिना में रंगद्रव्य पैदा करता है। ‘‘विटामिन – ए’’ अच्छी दृष्टि को बढ़ावा देता है खासकर कम रोशनी में।

डा. पियाली के अनुसार ‘‘विटामिन – ए’’ की कमी आहार में पर्याप्त ‘‘विटामिन – ए’’ का सेवन न करने के कारण होती है। संक्रमण की उच्च दर, विशेषकर दस्त और खसरे से यह कमी और बढ़ सकती है। शिशुओं, बच्चों और गर्भवती या धात्री महिलाओं को ‘‘विटामिन – ए’’ की कमी से सबसे अधिक खतरा होता है। स्वस्थ गर्भावस्था और स्तनपान में भी इसकी भूमिका है।

इसकी कमी न हो इसके लिए ‘‘विटामिन – ए’’ से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि बीफ, चिकन, अंडे, फोर्टिफाइड दूध, गाजर, आम, शकरकंद और पत्तेदार हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। एनएफएचएस-4 के अनुसार 9 से 35 माह के लगभग 43.8 फीसद बच्चों ने ‘‘विटामिन – ए’’ की दवा का सेवन किया था जबकि एनएफएचएस- 5 में यह आंकड़ा बढ़कर 74 फीसद हो गया है।

सरकारी प्रवक्‍ता के अनुसार  ‘‘विटामिन – ए’’ सम्पूर्ण कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश में 9 माह से 5 साल की आयु के कुल 2 करोड़ 42 लाख बच्चों को ‘‘विटामिन – ए’’ की दवा पिलाने का लक्ष्य है। यह दवा ग्रामीण/ शहरी स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस सत्रों के माध्यम से पिलाई जाएगी। इसका संचालन एएनएम, आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के माध्यम से किया जा रहा है। प्रदेश में ‘‘विटामिन – ए’’ की दवा समुचित मात्रा में उपलब्ध है।

सरकारी प्रवक्‍ता के अनुसार  बच्चों को दी जाने वाली सभी खुराकों की एन्ट्री ई-कवच पोर्टल और मातृ शिशु सुरक्षा कार्ड पर की जाएगी। इसके साथ ही ‘‘विटामिन – ए’’ की जो भी बोतल खोली जाएगी उस पर तिथि और समय भी लिखा जाएगा। समस्त जनमानस, खासकर माताओं से, जनप्रतिनिधियों से एवं प्रेस के बंधुओं से अपील की गयी है कि ‘‘विटामिन – ए’’ के अभियान में 9 माह से 5 साल के बच्चों को ‘‘विटामिन – ए’’ की खुराक दिलवाने में सहयोग करते हुये जन जागरूकता में अपना योगदान दें।

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