उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में 2015 में लिए गए नमूनों की जांच रिपोर्ट आई
लखनऊ. मैगी के शौकीनों के लिए एक बार फिर चिंतित होने की खबर है. मल्टी नेशनल कंपनी के लोकप्रिय प्रोडक्ट मैगी को लेकर पहले भी ख़बरें आती रही हैं. अब एक बार फिर मैगी के कई नमूने जांच में फेल हो गए हैं। नमूने फेल हो जाने के बाद जिला प्रशासन ने मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले पर 35 लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2015 मे 29 व 30 मई और व 12 जून को शाहजहाँपुर में कई स्थानों से नेस्ले के वितरकों और विक्रेताओं से मैगी छोटू, मैगी टू मिनट्स नूडल, मैगी मसाला, मैग वेज आटा नूडल्स, मैगी मीट्रिलिटियस, मैगी पास्ता आदि उत्पादों के सात नमूने सील किए थे। मीडिया से मिल रही ख़बरों में बताया गया है कि न्याय निर्णायक अधिकारी /एडीएम प्रशासन जितेन्द्र कुमार शर्मा के अनुसार सील किए गए नमूने जांच के लिए लखनऊ स्थित राजकीय जन विश्लेषक प्रयोगशाला में भेजे गए थे। इन नमूनों की जांच मे एश कंटेट (धातु भस्म) की मात्रा निर्धारित मानक से कई गुना अधिक पाई गई है।
इस मामले मे मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा दर्ज कराए मुकदमों की सुनवाई करते हुए खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा 51 के तहत नेस्ले कंपनी को 35 लाख रुपये और उसकी इकाईयों के संचालकों को पांच-पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इसके साथ ही एडीएम प्रशासन ने विक्रेताओं और वितरकों पर भी 17 लाख का जुर्माना लगाया है। रिपोर्ट मे कहा गया है कि सभी नमूनों मे टोटल एश कंटेट की मात्रा तय मानक से कई गुना अधिक है।
खाद्य पदार्थ मे अखाद्य राख की भारी मिलावट को गंभीरता से लेते हुए सीएफएसओ ने एडीएम कोर्ट मे विक्रेता रिंकू गुप्ता पुत्र प्रकाश गुप्ता निवासी मिरानपुर कटरा, निगोही स्थित बालाजी ट्रेडर्स के प्रोपराइटर रवि किशोर पुत्र नंद किशोर, पुवायां के मोहल्ला गढ़ी के रहने वाले आदेश गुप्ता पुत्र राम औतार गुप्ता, नेस्ले के वितरक अनिल कपूर पुत्र राम कृष्ण कपूर निवासी बहादुरगंज, और प्रमोद लखोरिया पुत्र शंभू दयाल लखोरिया निवासी माधौबाङी बरेली के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। एडीएम प्रशासन जितेन्द्र कुमार शर्मा ने उम्मीद जताई कि इस कार्रवाई से खाद्य वस्तुओं का कारोबार करने वाली नामचीन कंपनियां अपने उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के प्रति अधिक सतर्कता बरतेंगी।