Saturday , November 23 2024

केजीएमयू का बड़ा शोध : दंत प्रत्‍यारोपण में अब छह माह नहीं, लगेगा सिर्फ एक दिन

-डॉ कमलेश्‍वर व डॉ पूरन चंद के शोध में सर्जरी भी अब दो नहीं, एक ही बार करनी होगी

-इंडियन प्रौस्‍थोडॉन्टिक्‍स सोसाइटी के प्रतिष्ठित जर्नल के जनवरी के अंक में शोध होगा प्रकाशित

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। किसी भी कारण दांत टूट गया हो तो नया दांत लगवाने के लिए अब न तो दो बार सर्जरी पड़ेगी और न ही तीन से छह माह का इंतजार करना है, अब एक ही बार में एक ही सर्जरी में नया दांत लगवा सकेंगे, और अपने चेहरे की खूबसूरती की वापसी के लिए भी इंतजार 3 से छह महीने से इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इस शोध को किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय के प्रौस्‍थोडॉन्टिक्‍स विभाग के संकाय डॉ कमलेश्वर सिंह और डॉ पूरन चंद ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इस शोध को इंडियन प्रौस्‍थोडॉन्टिक्‍स सोसाइटी के प्रतिष्ठित जर्नल में जनवरी के अंक में प्रकाशन के लिए स्‍वीकार कर लिया गया है। ज्ञात हो इस शोध को सोसाइटी के रिसर्च शोकेस में दूसरा पुरस्‍कार प्राप्‍त हुआ है।

इस बारे में डॉ कमलेश्‍वर ने बताया कि अभी तक दांत टूटने पर नया दांत लगाने के लिए लगाये जाने वाले बेस के इम्‍प्‍लांट के लिए सर्जरी कर के तीन से छह माह छोड़ दिया जाता था, इसके बाद जब बेस वाला इम्‍प्‍लांट मजबूत हो जाता था तब दोबारा दांत लगाने के लिए सर्जरी करनी होती थी। उन्‍होंने बताया कि नयी शोध में हम अब दांत लगाने के लिए बेस का इम्‍प्‍लांट लगाने के लिए सर्जरी करते समय ही कैपिंग कर देते हैं जिससे तीन से छह माह का समय बच जाता है साथ ही दूसरी सर्जरी भी नहीं करने की जरूरत पड़ती है। शोध को प्रकाशनार्थ स्‍वीकार करने के लिए केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी ने दोनों संकाय सदस्यों को बधाई दी है और कहा कि विभाग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा कार्य कर रहा है।

प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग के प्रधान अन्‍वेषक डॉ कमलेश्‍वर सिंह को उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद से 2 वर्षों के लिए शोध अनुदान प्राप्त हुआ है। डॉ अनुपमा पाठक, जो कनिष्ठ अनुसंधान सहायक के रूप में कार्यरत हैं, को इस परियोजना में रोगी देखभाल और अनुसंधान के लिए 20,000 रुपये प्रति माह का अनुदान मिला।

डॉ कमलेश्‍वर ने बताया कि इस अध्ययन को पबमेड इंडेक्सिंग के साथ इंडियन प्रोस्थोडॉन्टिक्स सोसाइटी के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया है। डॉ कमलेश्वर सिंह, डॉ पूरन चंद के साथ ही रिसर्च टीम में अखिलानंद चौरसिया, नीति सोलंकी, अनुपमा पाठक शामिल रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.