-लंग केयर फाउंडेशन ने नागरिक समाज संगठनों से मिलाया हाथ
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। बढ़ते वायु प्रदूषण और इससे होने वाले स्वास्थ्य के खतरों को के प्रति नागरिकों के साथ जुड़कर जागरूकता फैलाने के लिए नेटवर्क बनाने की पहल की गई है। लंग केयर फाउंडेशन और दूसरे नागरिक समाज संगठनों ने इसके लिए हाथ मिलाया है। ज्ञात हो भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों की सूची में शीर्ष स्थान पर है और वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (ए क्यू एल आई) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण एक भारतीय के औसत जीवन काल को 6.3 वर्ष कम कर देता है।
यह जानकारी आज यहां डायल 112 भवन में आयोजित कार्यक्रम में लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी राजीव खुराना ने देते हुए बताया कि सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी डॉ ए पी माहेश्वरी नेटवर्क का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम एक मजबूत सार्वजनिक निजी भागीदारी विकसित करने, संयुक्त रुप से मुद्दों को समझने और स्वच्छ हवा और स्वास्थ्य के लिए जनता की आम भलाई के लिए समाधान निकालने का प्रयास है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में लखनऊ के निवासी इसे एक मजबूत आंदोलन का रूप देंगे।
इस मौके पर नेटवर्क का नेतृत्व करने वाले डॉ ए पी माहेश्वरी ने कहा कि यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि नागरिक समाज आंदोलन और नागरिक समाज सहयोग के बराबर कोई बल नहीं है। उन्होंने कहा मेरा मानना है कि जब तक नागरिक समाज के सदस्य दृढ़ संकल्प नहीं लेते तब तक विभिन्न निर्धारकों का कोई भी प्रयास सफलता नहीं दिला सकता है। उन्होंने कहा हम राज्य के अन्य हिस्सों में भी समान नेटवर्क स्थापित करना चाहते हैं तथा इसके लिए नागरिकों से आगे आने और सरकार एवं अन्य हित धारकों के साथ हाथ मिलाने के लिए आमंत्रित करते हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छ हवा मानव जाति के जीवित रहने और अस्तित्व के लिए सबसे आवश्यक तत्वों में एक है।
लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी, मेदांता अस्पताल के चेस्ट सर्जन डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि वायु प्रदूषण एक मूक हत्यारा है। यह हमारे शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है, इससे होने वाले रोगों में अस्थमा, सीओपीडी, स्ट्रोक, मधुमेह आदि शामिल हैं। यह सिर्फ वयस्कों और बच्चों को नहीं बल्कि मां के गर्भ में पल रहे अजन्मे बच्चों को भी प्रभावित करता है।
स्वच्छ वायु कोष के कंट्री लीड वैभव चौधरी ने कहा कि स्वच्छ हवा एक गेम चेंजर हो सकती है जो लोगों के स्वास्थ्य और व्यवसाय के लिए ठोस लाभ ला सकती है। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण और स्केलिंग समाधानों के बारे में जागरूकता पैदा करना समय की आवश्यकता है। उन्होंने एक स्लोगन से आह्वान किया। ‘आइए हम सभी से हाथ मिलाएं यूपी राज्य को स्वच्छ हवा का चैंपियन बनाएं। इस मौके पर एपिक इंडिया की रिसर्च एंड पार्टनरशिप लीड श्रुति भीमसारिया ने कहा कि शिकागो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक केवल एक और चेतावनी है कि हमारे देश में गंभीर वायु प्रदूषण हम सभी को एक बड़े स्वास्थ्य जोखिम में डालता है उन्होंने कहा की उत्तर प्रदेश का प्रदूषण स्तर दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर है। कार्यक्रम में पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, केजीएमयू के कुलपति ले.ज. डॉ बिपिन पुरी, केजीएमयू पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकांत ने भी अपने विचार रखे।