Saturday , November 23 2024

संजय गांधी पीजीआई की उपलब्धियों की पुस्‍तक में जुड़ा एक और स्‍वर्णिम अध्‍याय

-उत्‍तर प्रदेश में पहली बार रोबोटिक सर्जरी से किया गया सफल किडनी प्रत्‍यारोपण

संजय गांधी पीजीआई में रोबोटिक सर्जरी से किडनी ट्रांसप्‍लांट

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में किडनी ट्रांसप्लांट के इतिहास में आज एक मील का पत्थर स्थापित हो गया जब संस्थान के रीनल साइंसेज विभाग (नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी) द्वारा रोबोटिक सर्जरी से एक 42 वर्षीय महिला को सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट को संपन्न किया गया। उत्‍तर प्रदेश में रोबोटिक सर्जरी से पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है। 6 अगस्‍त को की गयी इस सर्जरी के बाद महिला रोगी ठीक है तथा उसकी किडनी आशा के अनुरूप कार्य कर रही है।

यह जानकारी देते हुए संस्थान द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि बाराबंकी की रहने वाली मरीज को 2019 में अंतिम स्टेज की रीनल डिजीज की डायग्नोसिस संस्‍थान के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रोफ़ेसर नारायण प्रसाद ने की थी। इसके बाद अप्रैल 2019 से महिला हीमोडायलिसिस पर चल रही थी। इस बीच मरीज की मां ने अपनी किडनी देने की पेशकश की साथ ही प्रत्‍यारोपण के लिए रोबोटिक सर्जरी की भी सहमति मरीज की ओर से दी गयी। मरीज की ओर से सहमति मिलने के बाद इसकी तैयारी शुरू कर हुई थी, इसके बाद यूरोलॉजी व रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग के विभागाध्यक्ष एवं डीन प्रोफ़ेसर अनीश श्रीवास्तव ने 6 अगस्त को सर्जरी प्लान की।

निश्चित समय पर सर्जन्‍स की मजबूत टीम ने प्रोफ़ेसर अनीश श्रीवास्तव के मार्गदर्शक और नेतृत्व में सर्जरी की, इसके अलावा सर्जरी की सफलता में एक बड़ी भूमिका विजिटिंग सर्जन डॉ राजेश अहलावत ने निभायी। इसके अतिरिक्त एनेस्थीसिया के प्रोफेसर अनिल अग्रवाल और प्रोफ़ेसर संदीप साहू के नेतृत्व में एनेस्‍थीसिया की टीम ने प्रत्यारोपण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस तरह संजय गांधी पीजीआई के इतिहास में प्रथम रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण का पन्ना जुड़ गया।

रोबोटिक सर्जरी पर संस्थान के निदेशक डॉक्टर आरके धीमन ने बारीकी से नजर बनाए रखी, उन्होंने हमेशा उपचार की नई टेक्निक को बढ़ावा देने का कार्य किया है। सर्जरी को अंजाम देने वाले रीनल साइंसेज विभाग द्वारा कोविड काल के बावजूद पिछले 2 सालों में 200 से ज्यादा रोबोटिक सर्जरी की हैं। नेफ्रोलॉजी डॉक्टरों का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने प्रत्यारोपण के बाद पर्याप्त मात्रा में मूत्र बनने पर खुशी जताई।

ज्ञात हो प्रोफेसर अनीश श्रीवास्तव ने कई मेडिकल कॉलेजों व सरकारी संस्थानों में प्रत्यारोपण कार्यक्रमों का मार्गदर्शन किया है इनमें एम्स जोधपुर, एम्स ऋषिकेश सहित देश के कई संस्थान शामिल हैं। प्रोफेसर अनीश श्रीवास्तव लखनऊ स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया संस्थान और कमांड अस्पताल में भी प्रत्यारोपण कार्यों को सपोर्ट दे रहे हैं।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि रोबोटिक सर्जरी में थोड़ा सा अतिरिक्त व्‍यय जरूर आता है लेकिन इसके बाद बहुत जल्दी रिकवरी होती है। यह तकनीक ज्यादा वजन वालों के लिए अत्यंत उपयोगी है। रोबोटिक सर्जरी से पारंपरिक प्रत्यारोपण सर्जरी की तुलना में बहुत छोटे चीरे से सर्जरी करना संभव हो जाता है, साथ ही सर्जरी के बाद के दर्द में भी बहुत कमी रहती है। रोबोटिक सर्जरी से किडनी के सफल प्रत्यारोपण के लिए निदेशक प्रोफेसर धीमन ने यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, एनस्थीसियोलॉजी और अन्य सहायक विभागों की प्रत्यारोपण टीम और संस्थान के अत्यंत अत्यधिक उत्साही कुशल पैरामेडिकल स्टाफ को संस्‍थान के मजबूत स्तंभ बताते हुए उन्हें बधाई दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.