जीवन जीने की कला सिखाती कहानी – 44
प्रेरणादायक प्रसंग/कहानियों का इतिहास बहुत पुराना है, अच्छे विचारों को जेहन में गहरे से उतारने की कला के रूप में इन कहानियों की बड़ी भूमिका है। बचपन में दादा-दादी व अन्य बुजुर्ग बच्चों को कहानी-कहानी में ही जीवन जीने का ऐसा सलीका बता देते थे, जो बड़े होने पर भी आपको प्रेरणा देता रहता है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ भूपेन्द्र सिंह के माध्यम से ‘सेहत टाइम्स’ अपने पाठकों तक मानसिक स्वास्थ्य में सहायक ऐसे प्रसंग/कहानियां पहुंचाने का प्रयास कर रहा है…
प्रस्तुत है 44वीं कहानी – सारस की शिक्षा
एक गांव के पास एक खेत में सारस पक्षी का एक जोड़ा रहता था। वहीं उनके अंडे थे। अंडे बढ़े और समय पर उनसे बच्चे निकले, लेकिन बच्चों के बड़े होकर उड़ने योग्य होने से पहले ही खेत की फसल पक गयी। सारस बड़ी चिंता में पड़े किसान खेत काटने आवे, इससे पहले ही बच्चों के साथ उसे वहां से चले जाना चाहिए और बच्चे उड़ सकते नहीं थे। सारस ने बच्चों से कहा -” हमारे न रहने पर यदि कोई खेत में आवे तो उसकी बात सुनकर याद रखना।”
एक दिन जब सारस चारा लेकर शाम को बच्चों के पास लौटा तो बच्चों ने कहा – ” आज किसान आया था। वह खेत के चारों ओर घूमता रहा एक दो स्थानों पर खड़े होकर देर तक खेत को घूरता था। वह कहता था कि खेत अब काटने के योग्य हो गया है। आज चलकर गांव के लोगों से कहूंगा कि वह मेरा खेत कटवा दें।”
सारस ने कहा – ” तुम लोग डरो मत! खेत अभी नहीं कटेगा अभी खेत कटने में देर है।”
कई दिन बाद जब एक दिन सारस शाम को बच्चों के पास आए तो बच्चे बहुत घबराए थे- ” वे कहने लगे, अब हम लोगों को यह खेत झटपट छोड़ देना चाहिए। आज किसान फिर आया था, वह कहता था, कि गांव के लोग बड़े स्वार्थी हैं। वह मेरा खेत कटवाने का कोई प्रबंध नहीं करते, कल मैं अपने भाइयों को भेजकर खेत कटवा लूंगा।
सारस बच्चों के पास निश्चिंत होकर बैठा और बोला – ” अभी तो खेत कटता नहीं दो-चार दिन में तुम लोग ठीक-ठीक उड़ने लगोगे अभी डरने की आवश्यकता नहीं है।”
कई दिन और बीत गए सारस के बच्चे उड़ने लगे थे और निर्भय हो गए थे। एक दिन शाम को सारस से वे कहने लगे – ” यह किसान हम लोगों को झूठ-मूठ डराता है। इसका खेत तो कटेगा नहीं, वह आज भी आया था, और कहता था कि मेरे भाई मेरी बात नहीं सुनते सब बहाना करते हैं, मेरी फसल का अन्न सूखकर झर रहा है, कल बड़े सवेरे में आऊंगा और खेत काट लूंगा।
सारस घबराकर बोला – ” चलो जल्दी करो ! अभी अंधेरा नहीं हुआ है | दूसरे स्थान पर उड़ चलो, कल खेत अवश्य कट जाएगा।
बच्चे बोले – ” क्यों ? इस बार खेत कट जाएगा यह कैसे ?”
सारस ने कहा – ” किसान जब तक गांव वालों और भाइयों के भरोसे था, खेत के कटने की आशा नहीं थी, जो दूसरों के भरोसे कोई काम छोड़ता है, उसका काम नहीं होता, लेकिन जो सवयं काम करने को तैयार होता है, उसका काम रुका नहीं रहता। किसान जब स्वयं कल खेत काटने वाला है, तब तो खेत कटेगा ही।”
अपने बच्चों के साथ सारस उसी समय वहां से उड़कर दूसरे स्थान पर चला गया ”
मित्रों” जो दूसरों के भरोसे कोई काम छोड़ता है। उसका काम नहीं होता, लेकिन जो स्वयं काम करने को तैयार होता है, उसका काम रुका नहीं रहता।”