Sunday , November 24 2024

कोविड में माता या‍ पिता या दोनों को खोने वाले बच्‍चों के प्रति सभी रहें संवेदनशील

-यूनिसेफ के कार्यक्रम में ऐसे बच्चों की देखभाल एवं सुरक्षा के लिए धर्म गुरुओं ने की जनता से अपील

-मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का लाभ ऐसे बच्‍चों तक पहुंचाना सभी की जिम्‍मेदारी

-ऐसे किसी भी बच्चे की जानकारी 1098 या 181 पर देने की अपील

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कोविड-19 महामारी से प्रभावित बच्चों की सुरक्षा एवं देखभाल के लिए विभिन्न धर्म गुरुओं ने जनता से अपील की है। शनिवार को महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश एवं यूनिसेफ द्वारा आयोजित धर्म गुरु सम्मेलन में धर्म गुरुओं ने कहा कि कोविड प्रभावित बच्चों के बचपन को बचाने के लिए हर व्यक्ति को अपना कर्तव्य निभाना होगा। धर्म गुरुओं ने बच्चों को बाल श्रम से बचाने पर भी ज़ोर दिया। सम्मेलन में प्रदेश के सभी 75 जिलों से 800 धर्म गुरुओं ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया एवं अपने समुदाय में कोविड प्रभावित बच्चों के प्रति संवेदनशीलता बनाए रखने के लिए जनता से अपील की।

यूनिसेफ उत्तर प्रदेश की चीफ ऑफ़ फील्ड ऑफिस रूथ लीयनो ने कहा, “कोविड महामारी में बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण आदि सब कुछ प्रभावित हुआ है और जिन बच्चों ने महामारी के कारण अपने माता पिता दोनों अथवा किसी एक को खोया है, उनके लिए यह समय और भी चुनौतीपूर्ण है। ऐसे बच्चों को विशेष देखभाल एवं स्नेह की आवश्यकता है”। उन्होंने धर्म गुरुओं से टीकाकरण को भी बढ़ावा देने का अनुरोध किया ताकि कोविड-19 से होने वाली मृत्यु कम हों और जल्द ही स्थितियां सामान्य हो सकें।

महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश के निदेशक, मनोज कुमार राय ने कहा, “कोविड प्रभावित बच्चों के लिए सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरुआत की गई है। हमारा उद्देश्य है कि योजना का लाभ प्रत्येक कोविड प्रभावित बच्चे तक पहुंचे। ऐसे किसी भी बच्चे की जानकारी 1098 अथवा 181 पर अवश्य साझा करें और बच्चों को गलत हाथों में पड़ने से रोकने में अपना सहयोग करें।“

उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक लगभग 3000 कोविड प्रभावित बच्चों के विषय में पता चला है जिन्होंने माता-पिता में से किसी एक अथवा दोनों को खोया है।

मनकामेश्वर मठ लखनऊ की महंत देव्यागिरि ने कहा, “महामारी के कारण भय का वातावरण है। बच्चों के साथ ही बड़े भी अपनों को खोने के बाद भयभीत हैं और मानसिक रूप से टूट चुके हैं। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम मिल कर ऐसे लोगों की सहायता के लिए सामने आयें। हमें सुनिश्चित करना होगा कि माता-पिता के देहांत के बाद कोई भी बच्चा गलत व्यक्ति अथवा संस्थान के पास न जाए और प्रत्येक प्रभावित बच्चा सरकार द्वारा चलाई जा रही सेवाओं से जुड़ कर लाभ ले सके।“

ऐशबाग ईदगाह के शाही इमाम मौलाना खालिद रशीद फ़रंगी महली ने कहा, “हर मजहब हमें जरूरतमंदों की मदद करने की सीख देता है। आज जब तमाम मासूम बच्चे अपने माता-पिता को खोने के बाद अकेले हो गए हैं तो हमारी ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। इस समय ऐसे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाना ही असली इबादत है।“ उन्होंने बालश्रम निवारण के लिए भी कदम उठाने पर ज़ोर दिया।

सिख समुदाय द्वारा बच्चों के लिए किये जा रहे प्रयासों को साझा करते हुए गुरुद्वारा गुरु का ताल आगरा के संत बाबा प्रीतम सिंह ने कहा, “सिख धर्म हमे सिखाता है कि हम हर किसी को अपनेपन की भावना से देखें, अतः हर बच्चे को अपना समझें और उसकी रक्षा करें।“ उन्होंने बताया कि महामारी में गुरुद्वारों ने भोजन एवं ऑक्सीजन लंगरों के माध्यम से बहुत से लोगों की मदद करने का प्रयास किया है।

फादर वरगिस कुन्नाथ, रीज़नल डाइरेक्टर इंटरफ़ेथ डायलॉग ने कहा, “किसी भी समाज और देश की तरक्की के लिए उसके बच्चों का स्वस्थ, शिक्षित और सुरक्षित होना अनिवार्य है। बच्चे ईश्वर का अवतार हैं और आज हमारे देश के बच्चों को हमारी ज़रूरत है। उनसे प्रेम करें और उनकी सहायता करें।“ 

सम्मेलन में एक ओपेन सत्र का भी आयोजन किया गया जिसका संचालन यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के प्रोग्राम मैनेजर अमित मेहरोत्रा द्वारा किया गया। उन्होंने कोविड महामारी में भ्रांतियों को दूर करने एवं कोविड उपयुक्त व्यवहारों के लिए लोगों को प्रेरित करने में धर्म गुरुओं की भूमिका की सराहना की।