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अस्‍पतालों में पर्याप्‍त स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी नहीं, जो हैं उनकी सरकार को परवाह नहीं : इप्‍सेफ

-अनेक बार अनुरोध के बाद भी नहीं सुन रही सरकार

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस एम्पलाइज फेडरेशन (इप्‍सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्रा एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने चिंता व्यक्त की है कि समूचे देश में कोविड-19 जैसी भयंकर महामारी से देश की जनता एवं कर्मचारी भारी संख्या में संक्रमित होते जा रहे हैं। इलाज से जुड़े डॉक्टर, नर्सेज, लैब टेक्नीशियन, फार्मेसिस्ट, प्रयोगशाला सहायक एवं एक्स-रे टेक्निशियन सहित अन्य पैरामेडिकल स्टाफ तथा सफाई व्यवस्था से जुड़े वार्ड बॉय सफाई कर्मचारी की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। इप्सेफ की ओर से प्रधानमंत्री एवं राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कई बार पत्र भेजकर आग्रह किया गया था कि रिक्त पदों पर यदि तत्काल भर्ती नहीं की गई तो मरीजों का इलाज संभव नहीं हो पाएगा परंतु खेद है कि ना तो भारत सरकार ने ध्यान दिया और न राज्यों की सरकारों ने। इसी का परिणाम है कि कोविड-19 महामारी में संक्रमित लोगों की न जांच हो पा रही है और वार्डों में ठीक से देखभाल। संक्रमित होने से कर्मचारी भी भयभीत हो गए हैं। सरकार यदि पहले से अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ की भर्ती कर दी गई होती तो आज या दुर्दशा ना होती।

वी पी मिश्रा ने नाराजगी व्यक्त की है कि भारत सरकार एवं प्रदेश सरकारों के मुख्यमंत्री एवं मंत्री चुनावी दौरे पर राज्यों में भ्रमण पर हैं और जनता कोविड-19 की बीमारी से ग्रसित होकर मौत के मुंह में जा रही है। 

इप्सेफ के राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के उच्च चिकित्सा संस्थानों, मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में आउटसोर्सिंग से रखे गए डॉक्टर, कर्मचारी मरीजों का इलाज कर रहे हैं। रेगुलर स्टाफ लगभग न के बराबर है। जिला चिकित्सालयों को तोड़कर मेडिकल कॉलेज बना दिए गए परंतु वहां पर नियमित डॉक्टर,  नर्सेज एवं पैरामेडिकल स्टाफ एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती ही नहीं हुई। अस्पतालों में दवाओं का भी अभाव है। एस जी पी जी आई, डॉ आर एम एल आयुर्विज्ञान संस्थान,  केजीएमयू, सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल के दर्जनों डॉक्टर एवं कर्मचारी स्वयं संक्रमित हो गए हैं। कई की मौत भी हो गई है। केजीएमयू  के कुलपति,  एस जी पी जी आई के निदेशक, सिविल अस्‍पताल के  चिकित्सा अधीक्षक  स्वयं संक्रमित हो गए हैं अन्य विभागों में भी भारी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं।

श्री मिश्रा ने खेद व्यक्त किया है कि डॉक्टरों एवं कर्मचारियों की एवं संक्रमित उनके परिवार की देखभाल के लिए राज्य सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की है। उनके परिवार की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। कोविड-19 से मरने वाले डॉक्टरों एवं कर्मचारियों के परिवार को कोई आर्थिक सहायता भी नहीं दी जा रही है। ऐसे परिवार महासंकट से ग्रस्त हैं, फिर भी वे जान पर खेलकर इलाज में लगे हैं।

इप्सेफ ने प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को दोबारा पत्र भेजकर मांग की है कि काटी गई महंगाई भत्ते की किस्तों का भुगतान, पुरानी पेंशन की बहाली एवं सभी राज्यों में सातवें वेतन आयोग का पूरा लाभ तथा कोविड-19 में लगे कर्मचारियों की मृत्यु पर 50 लाख की आर्थिक सहायता उनके देयकों का भुगतान तथा मृतक आश्रित को नियमित नौकरी तथा परिवारिक पेंशन का लाभ तत्काल दिया जाए। यदि ऐसी व्यवस्था नहीं की गई तो इप्सेफ को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व भारत सरकार एवं राज्यों की सरकारों का होगा।