-लम्बित मांगों को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का आंदोलन जारी
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। राज्य कर्मचारियों द्वारा अपनी मांगों को लेकर के किया जा रहा आंदोलन जारी है, आज वन विभाग के परिषद कार्यालय में प्रांतीय अध्यक्ष सुरेश रावत की अध्यक्षता में प्रांतीय पदाधिकारी, सम्बद्ध घटक संघ के अध्यक्ष/महामंत्री व लखनऊ जनपद शाखा के पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में तय किया गया कि 18 मार्च को प्रदेश के सभी जिलों में कर्मचारी उपवास रखकर धरना देंगे।
बैठक में इप्सेफ के अध्यक्ष वी पी मिश्रा, परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश मिश्रा, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव, उपाध्यक्ष सतीश यादव, जनपद अध्यक्ष सुभाष श्रीवास्तव, मंत्री संजय पांडे, सचिव डॉ पी के सिंह, वित्त मंत्री राजीव तिवारी, फार्मेसिस्ट फेडरेशन के महामंत्री अशोक कुमार, फॉरेस्ट मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के महामंत्री आशीष पांडेय, सहायक वन कर्मचारी संघ के महामंत्री अमित श्रीवास्तव, गन्ना विभाग के अभय पाण्डेय, व्यापार कर मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के महामंत्री जे पी मौर्या, गन्ना पर्यवेक्षक संघ के अध्यक्ष मनोज राय, बेसिक हेल्थ वर्कर एसोसिएशन के अध्यक्ष धनंजय तिवारी, एक्स रे एसोसिएशन के महामंत्री आर के पी सिंह सहित कई पदाधिकारी, परिषद के मीडिया प्रभारी सुनील कुमार, कार्यालय सचिव कमल श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों में जनजागरण जारी है। आगरा, बरेली, आजमगढ़ व झांसी मण्डल के जनपदों में परिषद के शीर्ष नेतृत्व ने भ्रमण किया सभी जनपदों में कर्मचारियों में काफी आक्रोश व्याप्त है जो निश्चित रूप से सरकार अगर नहीं चेती तो बड़े आंदोलन की तरफ कर्मचारियों के रुख को देखकर बढ़ना पड़ेगा।
आज वन विभाग में कर्मचारियों की सभा में कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में निर्णय किए गए मांगों पर शासनादेश निर्गत न किए जाने पर गहरा असंतोष व्यक्त किया, परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश मिश्रा ने बताया कि रोडवेज में विभिन्न डिपो में गेट मीटिंग हो रही हैं। बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रांतीय उपाध्यक्ष को मंडलीय प्रभारी बनाया गया है।
वी पी मिश्रा ने कहा कि कर्मचारियों का भविष्य बचाने के लिए आंदोलन आवश्यक है, सरकार निजीकरण के माध्यम से भर्तियां कर निजीकरण को बढ़ावा दे रही है।
सरकारी संस्थानों को बदनाम किया जा रहा है जबकि कोविड काल मे सरकारी कर्मचारियों ने सामने आकर बिना जान की परवाह किये मजबूती से कार्य किया। संविदा और आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में है, इसलिए कर्मचारी आंदोलन को विवश है। गिरीश मिश्रा ने कहा कि पूरे देश के कर्मचारी संकट में हैं, सरकारी संस्थान समाप्त हो रहे हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण देश की जनता के लिए अत्यंत घातक है। बैठक में तय किया गया कि 18 मार्च के पूर्व लखनऊ के सभी कार्यालयों में पदाधिकारियों द्वारा भ्रमण किया जाएगा।