नसों में रक्तप्रवाह में रुकावट से पड़ता है पैर काला, हो जाता है घाव
केजीएमयू में कन्वेंशनल वैस्कुलर सर्जरी टू इंडो वैैस्कुलर सोल्यूशन विषय पर व्याख्यान
लखनऊ। किसी व्यक्ति के पैर में खून के प्रवाह में अगर रुकावट आती है तो पैर काला पड़ जाता है या घाव हो जाता है तो उसे वैस्कुलर सर्जन से सम्पर्क करना चाहिये क्योंकि रक्त प्रवाह में रुकावट का इलाज किये बिना समस्या का समाधान नहीं हो पायेगा।
यह बात शनिवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के कार्डियो वेस्कुलर थोरेसिक सर्जरी सीवीटीएस विभाग में आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में नयी दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के निदेशक वैस्कुलर कैथ लैब, डायबेटिक फूट केयर सेंटर डॉ अजय यादव ने कही। सीएमई का उद्घाटन कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने किया। डॉ अजय ने कन्वेंशनल वैस्कुलर सर्जरी टू इंडो वैैस्कुलर सोल्यूशन विषय पर अपने व्याख्यान में बताया कि ऐसे मरीजों में वैस्कुलर सर्जरी के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। मधुमेह रोगियों को अपने ब्लड शुगर की जांच कराने, हृदय की जांच कराने के साथ ही साथ अपने डॉक्टर को अपने पैर की नसों को भी दिखाना चाहिए। हृदय की तकलीफ, धूम्रपान और उम्र बढऩे की वजह से पैर की नसों में ब्लॉकेज होने लगता है जिससे पैर में खून नहीं जाता है और गैंग्रीन होने लगता है पैर काला होना शुरू होने पर हमें पैर की नसों की एंजियोप्लास्टी करनी पड़ती है या ओपेन सर्जरी करनी पड़ती है। वैरिकोज वेन को लेजर या रेडियो फ्रीक्वेंसी से ठीक किया जाता है। दिल की नस को छोड़ शरीर की अन्य जगह की नसों को वैस्कुलर सर्जन सही करता है।
कार्यक्रम में कुलपति ने कहा कि चिकित्सा विश्वविद्यालय में क्लीनिकल और टीचिंग की गुणवत्ता में सुधार लाने संकाय सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम आने वाले अतिथि वक्ता विषेष योगदान देते हैं।
कार्यक्रम के समापन अवसर चिकित्सा विश्वविद्यालय के सीवीटीएस विभाग के प्रो शैलेन्द्र कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। कार्यक्रम में उपस्थित व्यक्तियों में सीएमएस प्रो. एसएन संखवार, एमएस प्रो विजय कुमार, हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वीएस नारायण, प्रो0 एसके सिंह, प्रो संदीप तिवारी सहित अन्य संकाय सदस्य एवं रेजिडेण्ट डॉक्टर्स उपस्थित रहे।
केजीएमयू में हो रहा दूरबीन विधि से नसों के ब्लॉकेज का इलाज
प्रो शैलेन्द्र यादव ने बताया कि केजीएमयू के सीवीटीएस विभाग में दिल को छोडक़र बाकी कहीं की भी नसों में ब्लॉकेज खोलने के लिए दूरबीन विधि से सर्जरी की जा रही है।