-मेडिकल एथिक्स विषय पर कार्यक्रमों की एक श्रंखला में एसजीपीजीआई में कार्यक्रम आयोजित
-अपर मुख्य सचिव ने कहा, मेडिकल पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिये एथिक्स का पाठ
-निदेशक प्रो आरके धीमन ने कहा, वर्तमान में मास्क ही सबसे प्रभावी वैक्सीन
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा और संसदीय मामलों के मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा है कि लोग दुख के समय, बीमारी के समय चिकित्सकों की तरफ देखते हैं और यह हर स्वास्थ्य कर्मी का कर्तव्य बनता है कि वह अपने दायित्व का निर्वाह पूरी जिम्मेदारी के साथ करें। सुरेश खन्ना ने संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की भूरि-भूरि प्रशंसा की कि और कहा कि यहाँ के हर स्वास्थ्य कर्मी ने कोविड-19 के समय पूरे समर्पण और पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का पालन किया।
श्री खन्ना ने यह बात अपने संदेश के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा मेडिकल एथिक्स विषय पर कार्यक्रमों की एक श्रंखला में कही। ज्ञात हो पूर्व में श्री खन्ना के निर्देशों के अनुसार ही यह कार्यक्रम आरंभ किया गया था। इसी क्रम में 24 अक्टूबर को अपरान्ह 12:30 से 1:30 पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका विषय था – “त्योहारों के समय में कोविड-19 के परिपेक्ष्य में हमारा नीतिपरक व्यवहार”। इस विषय पर वार्ता का उद्देश्य आने वाले त्योहारों के अवसर पर अनेक प्रकार के नियमों का पालन करते हुए कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकना था।
संजय गांधी पीजीआई केकोविड-19 महामारी ने पूरे विश्व के समक्ष अभूतपूर्व नीतिपरक चुनौतियां प्रस्तुत कीं। यह चुनौतियां न केवल स्वास्थ्य कर्मियों के लिए थी, बल्कि संपूर्ण विश्व के सभी प्रभावित देशों के हर व्यक्ति के लिए थीं। जो लोग कोविड-19 संक्रमण के शिकार हुए, उन्हें दो तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ा, एक तो खुद को संक्रमण से मुक्त करना और दूसरा अन्य संक्रमित व्यक्तियों के प्रति अपने नैतिक दायित्व का निर्वहन भी करना।
अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश सरकार, डॉ रजनीश दुबे ने कहा कि विद्यार्थियों को मेडिकल कॉलेजों में पाठ्यक्रम में ही एथिक्स का पाठ्यक्रम होना चाहिए जिससे उनके अंदर नीतिपरक मूल्यों का प्रारंभ से ही समावेश किया जा सके।
क्लिक करके देखें वीडियो : संजय गांधी पीजीआई में 24 अक्टूबर 2020 को मेडिकल एथिक्स पर ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान मंत्री सुरेश खन्ना का संदेश
निदेशक डॉ आर के धीमन ने कहा कि वर्तमान समय में मास्क ही सबसे प्रभावी वैक्सीन हैं और उन्होंने संस्थान के प्रत्येक स्वास्थ्य कर्मी को कोविड संक्रमण से लड़ने के लिए एक बहुत अच्छे रिस्पॉन्स के लिए धन्यवाद दिया। संस्थान की बायोएथिक्स सेल की इंचार्ज प्रोफेसर विनीता अग्रवाल ने सत्र का संचालन किया और कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी समाज के हर व्यक्ति की है।
एक्जीक्यूटिव रजिस्ट्रार प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने कहा कि मरीजों की देखभाल और उनके उपचार में नीतिपरक व्यवहार होना चाहिए। उत्तर प्रदेश के 52 मेडिकल कॉलेजों और संस्थान के अनेक लोगों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। डॉ अमिता अग्रवाल ने त्योहारों के मौसम में सामाजिक दूरी बनाए रखने पर विशेष महत्व दिया और कहा कि हमें अपने मिलने जुलने वालों से केवल डिजिटल प्लेटफार्म पर ही मिलना चाहिए।
लखनऊ विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉक्टर आलोक राय ने प्रत्येक स्वास्थ्य कर्मी का धन्यवाद दिया और कहा कि विश्वविद्यालय ने इस संक्रमण काल में अनेक प्रकार की पहल की, जैसे सामुदायिक रसोईघर, मास्क बैंक, बड़ी सफलता के साथ इस समय में भी परीक्षाओं का संचालन किया। अस्पताल प्रशासन विभाग में कार्यरत क्वालिटी नर्स कोऑर्डिनेटर निखिल ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों को रोगियों की देखभाल करते समय बहुत ही संवेदनशील और धैर्यवान रहकर अपनी सेवाओं को प्रदान करना चाहिए।
संस्थान के एंडोक्राइनोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर रेजिडेंट अजय शुक्ला ने त्योहारों के समय में कोविड-19 के प्रबंधन के लिए नैतिक जिम्मेदारियों और चुनौतियों एक अलग परिप्रेक्ष्य पर चर्चा की और कहा कि हम सभी को सर्वशक्तिमान ईश्वर में विश्वास करना चाहिए और सर्वे भवंतु सुखिनः को मूल मंत्र मानते हुए अपने अहंकार और दंभ से दूर रहना चाहिए। यह मौलिक प्रवृत्ति सभी संबंधित समस्याओं का स्वाभाविक रूप से समाधान कर सकती हैं।