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कर्मचारी भर्ती के फैसले पर जताया योगी का आभार, दूसरी सरकारों से गुहार

-इप्‍सेफ ने प्रधानमंत्री व अन्‍य मुख्‍यमंत्रियों से भी किया खाली पदों पर भर्ती का आग्रह

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप केंद्र सरकार एवं अन्य राज्यों की सरकारें भी रिक्त पदों पर भर्ती एवं पदोन्नतियाँ का 6 माह में आदेश जारी करें तथा स्क्रीनिंग करके जबरन रिटायर न करें।

यह जानकारी देते हुए इप्सेफ के राष्‍ट्रीय सचिव अतुल कुमार मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को इप्सेफ की ओर से धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मांग की गयी है कि 2 वर्ष से लंबित वेतन समिति की संस्तुतियों के अनुरूप सातवें वेतन आयोग की वेतन विसंगतियां व अन्य भत्ते तथा कैडर पुनर्गठन पर शीघ्र कैबिनेट से मंजूरी कराकर निर्णय करके सद्भाव का वातावरण बनाकर प्रदेश के विकास की गति को नया स्वरूप दें। शासन से कर्मचारियों के बीच आपसी सामंजस्य से सरकार के कार्य दिखाई देते हैं। प्रदेश का कर्मचारी विकास कार्यों में उनके साथ है। बशर्ते उनका मूलभूत समस्याएं पूरे हो जाय।

इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने प्रधानमंत्री एवं अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है कि

1. रिक्त पदों पर भर्ती एवं पदोन्नतिया तत्काल करके नियुक्तियां जारी किया जाए।

2. कोरोना के मरीजों के इलाज में लगे मृत डॉक्टर, नर्सेज, फार्मासिस्ट,लैब टेक्नीशियन, प्रयोगशाला सहायक, तकनीकी एवं सफाई कर्मचारी को तत्काल 50 लाख रुपए की सहायता राशि उनके परिवार को दी जाए।

3. खेद का विषय है कि भारत सरकार एवं राज्यों की सरकारों ने कोविड-19 से मृत कर्मचारियों की सूची प्रकाशित नहीं की है। इप्सेफ की जानकारी के अनुसार लगभग 500 कर्मचारी की मृत्यु हुई है।

4.अन्य विभागों के कोरोना के कारण मृत कर्मचारियों को भी 50 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाए तथा उनके देयकों का भुगतान तथा मृतक के आश्रित को योग्यता के अनुरूप नियुक्ति की जाए।

5. सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियाँ केंद्र व राज्यों में तत्काल लागू किया जाए। उत्तर प्रदेश में वेतन समिति की संस्तुति या 2 वर्ष से लंबित पड़ी है। इससे कैडर पुनर्गठन ,वेतन विसंगतियां, भत्ते पेंडिंग पड़े हैं। जिससे कर्मचारी नाराज है।

6. 30 वर्ष की सेवा या 50-55 वर्ष की आयु पर जो पहले हो पर रिटायर करने की कार्यवाही को तत्काल रोका जाए। नॉर्मल रूप से वर्ष 1985 से स्क्रीनिंग होती रहती है, जिसमें अनुपयोगी एवं भ्रष्ट कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही होती रहती है। 30 वर्ष की सेवा पर जबरन रिटायर करने से उस कर्मचारी का परिवार संकट में पड़ जाता है। उक्त कर्मचारी को दंड दिया जा सकता है परंतु परिवार ने कौन सा अपराध किया है इसे ध्यान में रखना चाहिए।

इप्सेफ के राष्ट्रीय सचिव अतुल मित्र, मुख्य सलाहकार दीपक ढोलकिया, उपाध्यक्ष डॉ केके के सचान, अशोक कुमार, सुनील कुमार यादव ने कर्मचारियों से अपील की है कि 14 अक्टूबर के प्रदर्शन को देशभर पूर्णतया सफल बनाकर प्रधानमंत्री एवं देश के मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भेजें।