– सुबह 9 से शाम 8 तक एक समय में 50 प्रतिशत दुकानें खोलने की अनुमति
-निजी कार्यालयों को वर्क फ्रॉम होम की सलाह, संभव न हो तो अपनायें 50-50 का फॉर्मूला
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए किये गये लॉकडाउन के अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लॉकडाउन के समय लागू पाबंदियों में जिस प्रकार शिथिलता दी गई और उसके बाद से दिनोंदिन खराब होती स्थिति के मद्देनजर अंततः जिले के प्रशासनिक मुखिया ने कुछ पाबंदियां लगाने के निर्देश दिए हैं। इनमें एक साथ भीड़ को कम करने के दृष्टिकोण से बाजारों में जहां एक बार में 50% दुकानें खोलने का हिसाब बनाया है वहीं प्राइवेट कार्यालयों में भी अगर वर्क फ्रॉम होम संभव नहीं है तो एक बार में 50 फीसदी कर्मचारियों को बुलाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने गुरुवार को यहां जारी अपने आदेशों में अनेक बिंदुओं का जिक्र किया है। जिलाधिकारी ने कहा है कि कंटेनमेंट जोन में सभी गतिविधियां पूर्णतया बंद रहेंगी, इन क्षेत्रों को सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार पूर्ण रूप से सील किया जाएगा। इसके अलावा बाजारों एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों के खुलने का समय प्रातः 9 से सायं 8 बजे तक निर्धारित किया गया है। जिन बाजारों, मल्टीकॉम्प्लेक्स, मॉल आदि में 10 या 10 से ज्यादा दुकानें हैं वहां ऑड-इवेन सिद्धांत पर दुकानें खोलने के निर्देश दिए गए हैं। इन दुकानों पर हरे एवं नारंगी रंग के स्टीकर चिपकाने के निर्देश दिए हैं इनमें जो दुकानें सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को खुलेंगी उनमें एक रंग और मंगलवार, गुरुवार व शनिवार को खुलने वाली दुकानों में दूसरे रंग के स्टीकर चिपकाए जाएंगे। इस कार्यवाही को व्यापारी नेताओं के सहयोग से आगामी 2 दिनों में पूरा कराने को कहा गया है।
इसी प्रकार मॉल, बहुमंजिले व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं डिपार्टमेंटल स्टोर के प्रबंधक अपने मॉल या प्रतिष्ठान में संग्रहित सामानों को पारदर्शी पॉलिथीन से कवर करके रखेंगे, इसके अतिरिक्त प्रतिष्ठान और मॉल में आने वाले ग्राहकों को नियमित सैनिटाइजेशन के बाद ही सीमित संख्या में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही ग्राहकों को किसी भी सामान को छूने की इजाजत नहीं होगी, ग्राहक को जो सामान चाहिए होगा, वह वहां के कर्मचारी से कह कर निकलवा सकेगा। प्रतिष्ठानों में भीड़ को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी संबंधित प्रबंध तंत्र की होगी।
साप्ताहिक बंदी पर सभी प्रकार के व्यापारिक प्रतिष्ठान पूर्णतया बंद रहेंगे इसकी निगरानी स्थानीय स्तर पर गठित क्विक रिस्पांस टीम करेगी। यही नहीं अन्यथा की स्थिति में महामारी अधिनियम के सुसंगत प्रावधानों के अनुसार संबंधित के विरुद्ध विधि सम्मत कार्यवाही प्रस्तावित करेगी, साथ ही संबंधित दुकानों के पंजीकरण, लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्यवाही की जाएगी। रिस्पांस टीम इसके साथ ही व्यापारी वर्ग का सहयोग करते हुए प्रतिदिन 500 मास्क का वितरण सुनिश्चित करेगी। निर्देश के अनुसार ये पाबंदियां मेडिकल स्टोर, दूध, फल, सब्जी, खाद्य सामग्री की दुकानों, पेट्रोल पंप, सीएनजी पंप, रसोई गैस एजेंसी पर लागू नहीं होंगी। इन जगहों पर पूर्व की भांति कोविड-19 के सभी प्रोटोकॉल का अनुपालन करना अनिवार्य होगा। ठेले खोमचे अथवा पटरी दुकानदार निर्धारित वेंडिंग जोन में ही दुकान लगा सकेंगे इसके अलावा कहीं और दुकान लगाने की अनुमति नहीं मिलेगी। ये लोग भ्रमणशील रहकर गली, मोहल्लों में सामान की बिक्री कर सकते हैं।
निजी संस्थाओं के अधिष्ठान, कार्यालय के लिए आदेश दिए गए हैं कि यथासंभव न खोले जाएं एवं आवश्यक कार्यों को वर्क फ्रॉम होम प्रणाली के तहत घर से ही करने की कार्य योजना बनाई जाए। ऐसे सभी कार्यालयों, संस्थाओं के अध्यक्ष अपने स्तर से कार्य योजना बनाकर उसका अनुपालन सुनिश्चित कराएं। यदि निजी कार्यालय, संस्थाएं अथवा संगठन कार्यालय इत्यादि खोलना आवश्यक हो तो प्रत्येक दशा में कार्यरत 50% की संख्या में कार्मिकों से कार्य लिया जाए। इसके अतिरिक्त सभी निजी कार्यालयों, संस्थाओं, प्रतिष्ठानों में कोविड हेल्प डेस्क की स्थापना किया जाना अनिवार्य होगा, साथ ही उस संस्थान कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों को आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कराया जाना संबंधित संस्थान के प्रशासक, प्रबंधक का दायित्व होगा। विदेशों में कहा गया है कि शहर में चल रहे व्यावसायिक वाहन, थ्री व्हीलर, फोर व्हीलर सीमित संख्या में ही चलें। संभागीय परिवहन अधिकारी के स्तर पर थ्री व्हीलर, ऑटो रिक्शा, ई रिक्शा के संचालन के लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वह अपने निर्धारित रूट के अतिरिक्त भ्रमणशील न रहें, साथ ही वाहन चालक सोशल डिस्टेंसिंग एवं मेडिकल प्रोटोकॉल का पूर्णतया अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। निर्देशों में कहा गया है इन आदेशों का पालन न करने वालों के खिलाफ महामारी अधिनियम 1897 में दिए गए प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा तथा राष्ट्रीय प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अधीन दंडनीय अपराध की श्रेणी में संबंधित के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।