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‘एकसाथ 14 दिन न लगाकर 7+7 दिन लगा दीजिये कोविड ड्यूटी’

-संजय गांधी पीजीआई आरडीए ने चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री से किया आग्रह

-क्‍वारेंटाइन की व्‍यवस्‍था समाप्त करने के फैसले को मानने को तैयार

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई की रेजीडेंट्स डॉक्‍टर एसोसिएशन (आरडीए) ने कोविड-19 वार्डों में 14 दिन की लगातार ड्यूटी करने में दिक्‍कत बताते हुए इसे 7+7 करने का आग्रह किया है। इस सम्‍बन्‍ध में एसोसिएशन ने चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री को पत्र लिखते हुए कहा है शासन द्वारा‍ निर्धारित की गयी 14 दिन की ड्यूटी और प्रस्‍तावित 7+7 दिन की ड्यूटी में कुल ड्यूटी की अवधि में कोई फर्क नहीं है, इतना जरूर है कि प्रस्‍तावित 7+7 ड्यूटी रोस्‍टर से डॉक्‍टर्स पर एक साथ प्रेशर नही पड़ेगा। एसोसिएशन ने ड्यूटी के लिए प्रस्‍तावित रोस्‍टर भी भेजा है। इसके अतिरिक्‍त क्‍वारेंटाइन समाप्‍त किये जाने के फैसले पर क्‍वारेंटाइन को आवश्‍यक तो बताया है लेकिन साथ ही शासन की भावनाओं का सम्‍मान करते हुए इस निर्णय को स्‍वीकार भी कर लिया है।

आरडीए के अध्‍यक्ष डॉ आकाश माथुर, उपाध्‍यक्ष डॉ श्रुति तथा जनरल सेक्रेटरी डॉ अनिल गंगवार ने चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री को लिखे पत्र में प्रस्‍तावित 7+7 दिन की ड्यूटी का रोस्‍टर भी भेजा है, जिससे यह दर्शाने की कोशिश की गयी है कि शासन द्वारा निर्धारित की गयी कुल ड्यूटी की अवधि पर प्रस्‍तावित रोस्‍टर से कोई अंतर नहीं पड़ेगा।  

क्‍वारेंटाइन के मुद्दे पर एसोसिएशन ने पत्र में लिखा है कि स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों पर भारत में ज्‍यादा जोखिम डाला जा रहा है। पत्र में कहा गया है कि अमेरिका में 3 मई तक लगभग 1.1 मिलियन लोग कोरोना का शिकार हुए जिसमें लगभग 9200 स्वास्थ्य कर्मी थे इसका अर्थ यह हुआ कि हर 1000 मरीजों में 8 स्वास्थ्य कर्मी हैं, भारत में यही आंकड़ा प्रति 1000 मरीजों पर 19 स्वास्थ्य कर्मियों का है जो कि अमेरिका से 2.5 गुना ज्यादा है जबकि अमेरिका में भारत से 50 गुना ज्यादा कोरोना के मरीज हैं उन्होंने कहा ऐसे में स्पष्ट रूप से हम अपने स्वास्थ्य कर्मियों को अधिक जोखिम में डाल रहे हैं,  ऐसे में क्वॉरेंटाइन खत्म करने का निर्णय स्वास्थ्य कर्मियों के लिए और मुश्किलें खड़ी कर देगा।

पत्र में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि एम्स नई दिल्ली में ही स्वास्थ्य कर्मियों में कोरोना के 195 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें 2 लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं, ऐसे में वर्तमान नीति के अनुसार क्वॉरेंटाइन खत्म किया जाना निश्चित ही प्रदेश के हित में नहीं है।

पत्र में कहा गया है कि मध्य प्रदेश जैसे अन्य प्रदेश जहां स्थिति उत्तर प्रदेश से कहीं बद्तर है वहां भी शासन द्वारा क्वॉरेंटाइन की प्रथा प्रचलित है। पत्र में कहा गया है कि यदि शासन के पास क्वॉरेंटाइन फैसिलिटीज का अभाव है, जो कि इस भयानक महामारी के समय होना लाजमी भी है, तो विभिन्न संस्थानों के स्तर पर आसानी से इसका प्रबंध किया जा सकता है तथा यथासंभव होम क्‍वारेंटाइन का विकल्प भी दिया जा सकता है। हालांकि पत्र में कहा गया है की क्वॉरेंटाइन अत्यंत आवश्यक है किंतु हम समझते हैं कि शासन आईसीएमआर की गाइडलाइन से बंधा है तथा क्वॉरेंटाइन के मुद्दे पर हम शासन की भावना का सम्मान करते हैं।

7+7 ड्यूटी के बारे में पत्र में तर्क दिया गया है कि वर्तमान में 7 दिन की ड्यूटी में ही जिस तरह पीपीई किट पहनकर थकान तथा ड्यूटी के दौरान शरीर में पानी की कमी का अनुभव करते हैं उसके साथ 7 दिन और ड्यूटी कर क्या वह मरीजों के साथ न्याय कर पाएंगे, यह निश्चित नहीं है ऐसे में इस कदम को मरीजों के लिए हितकारी नहीं समझा जा सकता है।

पत्र में कहा गया है कि देश के अन्य किसी भी राज्य में लगातार 14 दिन ड्यूटी करने का प्रावधान नहीं है क्योंकि यह मानवीय रूप से संभव नहीं है। जहां अन्य राज्यों में 7 दिन से ज्यादा एक बार में ड्यूटी लगाई जा रही है वहां भी ड्यूटीज के बीच हर दूसरे तीसरे दिन अवकाश दिया जाता है पूर्व में हर डॉक्‍टर 7 दिन की ड्यूटी कर 14 दिन क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी कर रहा था, जिसके कारण प्रति डॉक्‍टर 14 दिन की ड्यूटी में 28 दिन का भार शासन द्वारा वहन किया जा रहा था ऐसे में 14 प्लस 14 यानी 14 दिन की ड्यूटी कर 14 दिन क्‍वारेंटाइन का आदेश पारित हुआ जिसके तहत प्रति डॉक्‍टर सिर्फ एक बार ही क्‍वारेंटाइन दी जानी थी ताकि 14 दिन का भार शासन कम कर सके। अब जबकि क्‍वारेंटाइन का नियम हटाया जा चुका है तब फिर लगातार 14 दिन की ड्यूटी की सार्थकता नहीं रह जाती है। पत्र में कहा गया है कि हम 14 की जगह 7 के आधार पर ड्यूटी रोस्टर प्रस्तावित कर रहे हैं जिसमें तथा वर्तमान ड्यूटी रोस्टर में कोई फर्क नहीं है। एसोसिएशन द्वारा मंत्री से प्रस्तावित रोस्‍टर को क्रियान्वित कराने का आग्रह किया गया है ताकि प्रदेश में बेहतर ढंग से मरीजों की सेवा सुश्रुषा सुनिश्चित की जा सके।

आपको बता दें इस मसले पर एसोसिएशन की संस्‍थान के निदेशक डॉ आरके धीमान के साथ लगातार वार्ता चल रही है, लेकिन अभी कोई नतीजा नहीं निकला है। एसोसिएशन ने बीती 29 मई से काला फीता बांधकर विरोध जताने की घोषणा भी की थी, लेकिन निदेशक के आश्‍वासन पर काला फीता का कार्यक्रम टलता आ रहा है। अब एसोसिएशन ने विभागीय मंत्री सुरेश कुमार खन्‍ना को अपनी समस्‍या बताते हुए पत्र लिखा है।

नर्सिंग एसोसिएशन भी कर रही है विरोध

दूसरी ओर संस्‍थान की नर्सिंग एसोसिएशन की भी यही समस्‍या है, अध्‍यक्ष सीमा शुक्‍ला का कहना है कि हमारी एसोसिएशन भी लगातार 14 दिन की ड्यूटी का विरोध करती है, इसके लिए निदेशक से बात चल रही है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है।