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तम्‍बाकू इफेक्‍ट : कोविड-19 से हुई मौतों में गैर संचारी रोग वाले ज्‍यादा हुए शिकार

-कैंसर, हृदयरोग, स्‍ट्रोक, श्‍वसनरोग का मुख्‍य वाहक है तम्‍बाकू, इसे तो छोड़ना ही पड़ेगा

आईआईएम इंदौर से आयोजित सतत् विकास ई-वार्ता में बोले मुख्‍य वक्‍ता डॉ सूर्यकांत

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। वर्तमान में चल रही वैश्विक महामारी कोविड-19 की गंभीर स्थिति और इससे मृत्‍यु का खतरा वृद्धों के साथ ही गैर संचारी रोगों वालों को भी ज्‍यादा है। यह बात विश्व स्तर पर कोविड-19 से प्रभावित देशों के आंकड़ों के अध्‍ययन से सामने आयी है। भारत की अगर बात करें यहां भी यह पाया गया है कि कोविड-19 से जिनकी मृत्‍यु हुई हैं, उनको कोई न कोई गैर संचारी रोग की शिकायत भी थी। इन गैर संचारी रोगों के कारणों के पीछे तम्‍बाकू, बीड़ी, सिगरेट का सेवन है। इसलिए जरूरी है कि तम्‍बाकू का सेवन हर हाल में बंद होना चाहिये, जिससे कोविड-19 के जोखिम के साथ ही गंभीर गैर संचारी रोगों से भी लोग बच सकें।

यह जानकारी किंग जॉर्ज के मेडिकल यूनिवर्सिटी के श्वसन चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. सूर्य कांत ने भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर द्वारा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य दिवस पर आयोजित अंतिम सतत् विकास ई-वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में भाग लेते हुए अपने सम्‍बोधन में दी। यह वार्ता विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य दिवस पर शुरू की गयी थी तथा इसका समापन विश्व पर्यावरण दिवस पर 5 जून को होगा, जिसमें सप्ताह में तीन ऑनलाइन सत्र शामिल होंगे।

डॉ सूर्यकांत ने कहा जो भी गैर संचारी रोग हैं उनके कारणों के पीछे तम्‍बाकू का सेवन पाया गया है। उन्होंने कहा कि तंबाकू और उसके उत्पाद 40 प्रकार के कैंसर और 25 अन्य रोगों के लिए, कुल 65 स्वास्थ्य बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं। कैंसर के कारणों में चबाने वाली तम्‍बाकू एक बड़ा कारण है, इसी प्रकार सिगरेट, बीड़ी पीने से हृदय रोग, स्‍ट्रोक (पक्षाघात) के साथ ही धूम्रपान श्वसन प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, फेफड़ों को क्षति पहुंचाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।

 

अपने सम्‍बोधन में प्रो सूर्यकांत ने कहा कि पहले से मौजूद फेफड़ों की क्षति के कारण, ये लोग अन्य संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जिनमें नॉवेल कोरोना वायरस भी शामिल है। प्रोफेसर सूर्य कान्त ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों के 86 प्रतिशत रोगियों में मधुमेह से संबंधित विकार, क्रॉनिक किडनी की समस्या, उच्च रक्तचाप तथा हृदय से संबंधित समस्याएं देखी गई हैं। तंबाकू इन सभी स्थितियों का मुख्य जोखिम होता है। सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू थूकना कोविड-19 के खतरे को जन्‍म देता है। उन्‍होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, “चबाने/धूम्रपान रहित तंबाकू उत्पाद (गुटखा, पान मसाला, तंबाकू के साथ पान मसाला और अन्य चबाने वाले तंबाकू उत्पाद) तथा सुपारी लार के उत्पादन में वृद्धि करते हैं और बाद में थूकने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होती है। इसीलिए आईसीएमआर ने धूम्रपान रहित तंबाकू उत्पादों और सार्वजनिक स्थानों पर थूकना से बचने का आग्रह किया है। मार्च 2020 में महामारी की वजह से उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने पान मसाला बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

प्रो सूर्यकान्त ने बताया कि हाल ही में दिल्ली में कोविड-19 लोगों के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि कोविड-19 की वजह से मरने वालों में से 45.28% की आयु 60 वर्ष से कम थी 54.72% 60 से ऊपर थे। प्रो सूर्य कांत ने कहा कि, “विश्व बैंक के अनुसार, तम्बाकू-संबंधी मौतें ऐसी त्रासदी हैं जिन्‍हें रोका जा सकता है। विश्व भर में धूम्रपान के कारण कुल आर्थिक क्षति (जिसमें मृत्यु और विकलांगता से चिकित्सा लागत और उत्पादकता की हानि शामिल है) दुनिया के वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.8 प्रतिशत के बराबर 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है। प्रो सूर्य कांत ने कहा कि चूंकि कोविड 19 के खिलाफ अभी कोई विशिष्ट उपचार या टीका नहीं है, इसलिए शारीरिक दूरी, मास्‍क लगाना, बार-बार हाथ धोना तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि ही केवल खुद को कोविड-19 से बचाने के उपाय हैं।