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अब केजीएमयू में बनेगा जले चेहरे के लिए स्‍पेशल मास्‍क

-केजीएमयू के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग में देश-विदेश के विशेषज्ञों का जमावड़ा
डॉ दिव्‍या मेहरोत्रा की देखरेख में थ्री डी प्रिंटिंग तथा सर्जिकल प्लानिंग यूनिट बनायेगी मास्‍क

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। जलने से विकृत हुए चेहरे के लिए अब स्‍पेशल मैटीरियल से नेचुरल दिखने वाला थ्री डी प्रिन्‍टेड प्रेशर मास्‍क बनाया जाना संभव हो गया है। इससे खाल सिकुड़ती नहीं है। यही नहीं इस मास्‍क को यहां किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय के दंत विभाग के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग में पिछले दिनों स्‍थापित थ्री डी प्रिंटिंग तथा सर्जिकल प्‍लानिंग यूनिट में बनाया भी जा सकेगा।

यह जानकारी देते हुए यहां केजीएमयू के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग की प्रोफेसर डॉ दिव्या मेहरोत्रा ने बताया कि विभाग में 25 फरवरी से 27 फरवरी तक इस सम्‍बन्‍ध में एक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में देश-विदेश के चिकित्‍सा विशेषज्ञों के साथ ही इंजीनियरिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ भी आये हैं। डॉ दिव्‍या ने बताया कि इस वर्कशॉप में मैक्सिलोफेशियल की विकृति को दूर करने के लिए किस प्रकार के ऐसे मास्‍क तैयार किये जायें जो कम खर्चीले हों, चिकित्‍सक ओर इंजीनियर को एक मंच पर लाने का उद्देश्‍य ही यह है कि यह पता चले इंजीनियर क्‍या बना रहे हैं, और डॉक्‍टर क्‍या चाह रहे हैं, जिससे दोनों के तालमेल से मरीज के लायक अच्‍छा और सस्‍ता मास्‍क तैयार हो सके।

डॉ दिव्‍या ने बताया कि यूनाइटेड किंगडम से आये स्‍टीव ने जले हुए मरीजों के लिए विशिष्ट थ्री डी प्रिंटेड फेस मास्क पर बात की। उन्‍होंने बताया कि जले वाले लोगों की खाल तो लगा दी जाती है लेकिन यह खाल इतनी सिकुड़ती है कि उन्‍हें प्रेशर गारमेंट पहनाना होता है, लेकिन अगर उनके फेस के नाप का अगर थ्री डी प्रिंटेड मास्‍क उन्‍हें पहना दिया जाये तो वह उनकी खाल को अपनी जगह रखेगा, इससे उनका पूरा चेहरा कवर हो जायेगा।

उन्‍होंने बताया कि आईआईटी धनबाद के केमिकल इंजीनियरिंग के छात्र ने थ्री डी प्रिंटिंग के लिए नई सामग्री पर बात की। इस मैटीरियल की खासियत यह है हम लोग जो मॉडल बनाते हैं, उसमें इसे इस्‍तेमाल किया जायेगा, यह मैटीरियल सस्‍ता होगा।

बीएचयू से आयी सुरुचि पोद्दार ने टिश्‍यू इंजीनिरिंग के बारे में बात करते हुए बताया कि वह थ्री डी प्रिन्‍टेड फोल्‍ड बना रही हैं जिसके लगाने के बाद स्किन बढ़ भी सकती है। यूनाइटेट किंगडम के अनुजा अरोड़ा ने मैक्सिलोफेशियल विकृति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग की भूमिका पर बात की।

आईआईटी पटना के डॉ चिरंजीव सिरकार ने innovative bidirectional distractor पर बात की। ब्रिटेन के मॉर्टिनन अस्पताल से आये पीटर इवांस ने रोगी के अनुकूल विशिष्ट कृत्रिम अंग पर बात की। एम्स जोधपुर से डॉ अमित गोयल ने बाल चिकित्सा ट्रेकोस्टॉमी ट्यूबों के बारे में बात की।

इस कार्यशाला का आयोजन डॉ दिव्या मेहरोत्रा प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ ओरल एंड मैक्सीलर्लोफैसियल सर्जरी के द्वारा किया जा रहा है इस कार्यशाला में यूके से 5 सदस्य टीम आई है इस टीम में डॉक्टर डोमिनिक एक बीयर मिस्टर पीटर ई ईवास केटी स्टीव और एमिली मुख्य सदस्य हैं।

डॉ दिव्‍या ने बताया कि इस कार्यशाला का आयोजन यूजीसी यूके आईएआरआई शोध कार्यक्रम के अंतर्गत किया जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि तीन दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला में थ्री डी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी द्वारा कृत्रिम अंगों को बनाकर मरीज में लगाने के विषय में किये जाने वाले शोध को प्रस्तुत किया जाएगा तथा भाग लेने वाले सदस्यों को इस अत्याधुनिक तकनीक के विषय में पूर्ण जानकारी दी जाएगी।

उन्‍होंने बताया कि देश के विभिन्न प्रतियोगिता संस्थानों जैसे आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मुंबई तथा चिकित्सा संस्थानों जैसे एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़ जैसे संस्थानों से प्रतिभागी आए हैं। शीघ्र ही डिपार्टमेंट ऑफ ओरल एंड मैक्सीलर्लोफैसियल सर्जरी किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में डॉ दिव्या मेहरोत्रा की देखरेख में थ्री डी प्रिंटिंग तथा सर्जिकल प्लानिंग की यूनिट पूर्णता कार्यान्वित हो जाएगी।

इस यूनिट में ऑर्थोगनेथिक तथा फेशियल रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की अत्याधुनिक एरोप्लेन एवं मी मिक्स सॉफ्टवेयर के द्वारा सर्जिकल प्लानिंग की जाएगी। इस अत्याधुनिक तकनीक के द्वारा टेढ़े-मेढ़े चेहरों को नया रूप दिया जा सकेगा। अभी जो सर्जिकल प्लानिंग मॉडल्स पर की जा रही है वह थ्री डी प्रिंटिंग और प्लानिंग के द्वारा कंप्यूटर द्वारा की जा सकेगी यह उत्तर भारत में अपने तरह की पहली थ्री डी प्लानिंग यूनिट होगी। इस यूनिट के द्वारा बहुत से मरीजों की फेशियल तथा ऑर्थोगनेथिक सर्जरी अत्यधिक सूक्ष्मता से की जा सकेगी और बहुत से मरीज लाभान्वित होंगे।

यह यूनिट थ्री डी प्लानिंग करके कस्टमाइज्ड इंप्लांट्स जिसमें कृत्रिम जॉइंट, टीएमजे तथा ऑर्बिट का निर्माण किया जाएगा जिससे ट्रॉमा के मरीजों और टीएमजे अंकेलोसिस के मरीजों को कस्टमाइज्ड इंप्लांट्स दिए जा सकेंगे।

इस कार्यशाला में नए मेडिकल कॉलेजेस के डेंटल विभाग के आचार्य की भी ट्रेनिंग की जा रही है। थ्री डी यूनिट को बनाने तथा इसमें शोध कार्यों को करने के लिए डी एच आर एचआरडी डी एच आर एम आर यू और डीएसटी फिस्ट के द्वारा डॉ दिव्या मेहरोत्रा को ग्रांट प्रदान की गई है।