-तीन सदस्यों वाली 275 टीमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में तलाशेंगी टीबी रोगी
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। देश से वर्ष 2025 तक टीबी को जड़ से ख़त्म करने उद्देश्य से राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2 से 11 नवम्बर तक सघन क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) चलाया जायेगा। मार्च में यह अभियान कोरोना संक्रमण के कारण स्थगित कर दिया गया था। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संजय भटनागर ने दी |
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. ए.के. चौधरी ने बताया – क्षय रोगी खोज अभियान के दौरान तीन सदस्यीय 275 टीमों द्वारा चिन्हित क्षेत्रों के 5.50 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। इसमें 2.30 लाख लोगों की स्क्रीनिंग ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 3.20 लाख लोगों की स्क्रीनिंग शहरी क्षेत्रों में की जाएगी। अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए कुल 275 टीमों के 825 सदस्यों द्वारा 10 दिन चिन्हित क्षेत्रों में घर-घर भ्रमण किया जाएगा। 55 सुपरवाइजर द्वारा टीमों की गहन मॉनिटरिंग की जाएगी। डीटीओ ने बताया- एसीएफ साल में दो बार चलाया जाता है जिसके तहत 10 प्रतिशत आबादी का लक्ष्य लेकर संभावित टीबी रोगियों को खोजा जाता है |
डा. संजय भटनागर ने बताया- भारत सरकार तथा प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में डायग्नोस्टिक सिस्टम को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पांच और आधुनिक ट्रूनॉट मशीन उपलब्ध करायी गयी हैं, जिन्हें सक्रिय क्षय रोग खोज अभियान के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गोसाईगंज, मोहनलालगंज, काकोरी, 100 शैय्या अस्पताल बख्शी का तालाब तथा राज्य कर्मचारी बीमा अस्पताल सरोजनी नगर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित करते हुए सुदूर क्षेत्रों को भी जीन एक्सपर्ट जांच की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। अभियान के दौरान ठाकुरगंज टी0बी0 अस्पताल, के0जी0एम0यू0 लखनऊ, डी0टी0सी0 राजेन्द्र नगर लखनऊ तथा डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जिला चिकित्सालय लखनऊ में पूर्व से संचालित सी0बी0 नॉट लैब द्वारा जीन एक्सपर्ट की जांच की व्यवस्था उपलब्ध रहेगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया-10 दिवसीय सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान के दौरान क्षय रोग के लक्षण पाए गए व्यक्तियों की तुरंत जांच कर क्षय रोग चिन्हित होने पर उपचार प्रारंभ करते हुए भारत सरकार के निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत इलाज के दौरान मिलने वाली 500 रुपये प्रति माह की धनराशि के भुगतान के लिए रजिस्टर किया जायेगा।
ए0सी0एफ0 के लिए चयनित टीम सदस्यों का चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण प्रारंभ कर दिया गया है, अभियान के दौरान टीम द्वारा घर-घर भ्रमण के समय पूर्व में उपचार ले चुके क्षय रोगियों का भी फॉलोअप किया जाएगा।
डा. ए.के.चौधरी ने बताया- टीबी और कोविड के लक्षण मिलते-जुलते हैं, इसलिए ऐसे में खास सावधानी बरतने की जरूरत है। इस तरह के लक्षण वालों की कोविड की जांच के साथ टीबी की भी जांच करायी जा रही है। इससे बचने के लिए मास्क पहनना जरूरी है क्योंकि इन दोनों ही बीमारियों में खांसने या छींकने से निकलने वाली बूंदों से संक्रमण का खतरा रहता है। ऐसा करने से हम अपने साथ दूसरों को भी सुरक्षित रख पाएंगे।
टीबी (क्षय) रोग कैसे फैलता है ?
जब क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति बोलता, खाँसता या छींकता है तब उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लाई उत्पन्न होते हैं, जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। यह बीमारी हवा के जरिये बहुत आसानी से फैलती है।
टीबी के लक्षण–
1 . दो हफ्ते से लगातार खांसी।
2 . बुखार।
3 . वजन में लगातार गिरावट।
4. रात में पसीना आना।
5 . भूख न लगना।