साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में व्याख्यान आयोजित
लखनऊ। योगासन मन को शांत करते है जिससे इंद्रियां वश में होती है, मन शांत होने से स्वस्थता हो सकती है। योगासन से जहां रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है वहीं इससे पॉजिटिव एनर्जी मिलती है। यह बात दिल्ली स्थित मोरारजी देसाई इंस्टीट्यूट ऑफ योगा के निदेशक डॉ ईश्वर वी बसावरड्डी ने 7 जून को यहां साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में एक व्याख्यान में कही।
जिस दिन योगासन की थकान बंद, उसी दिन से लाभ शुरू
डॉ ईश्वर ने अपने व्याख्यान की शुरुआत ऊं शांति शांति शांति से की। उन्होंने कहा चिकित्सा संस्थानों में आने का मेरा यह दूसरा अवसर है, इससे पूर्व मैं चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में आयोजित एक कार्यक्रम में गया था। उन्होंने कहा कि इस समय लखनऊ पर देश भर की निगाहें लगी हुई हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर यहां मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाग लेने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि योगासन का पूर्ण लाभ तब तक नहीं मिलता है जब तक योगासन करने से थकान महसूस होती रहती है, उन्होंने कहा कि एक बार जब योग करने से थकान महसूस होना बंद हो जाती है तभी से इससे असली लाभ मिलना आरंभ हो जाता है। ध्यान लगाना योगाभ्यास की शुरुआत है।
अनेक योगासनों का हुआ प्रदर्शन
उन्होंने विभिन्न प्रकार के योगासन के बारे में बताते हुए कुछ आसनों का प्रदर्शन अपने इंस्टीट्यूट की फैकल्टी ललित मदान और नीतू से मंच पर करवा कर दिखाया। उन्होंने कपालभाती प्राणायाम के बारे में बताते हुए कहा कि एक स्वस्थ व्यक्ति एक मिनट में 15-20 बार नाक से बाहर सांस छोडऩे से शुरुआत करके इसे एक मिनट में 120 बार सांस छोडऩे तक ले जा सकता है। उन्होंने बताया कि एक बार जब एक मिनट में 120 सांस छोडऩे की प्रैक्टिस हो जाये तो कपालभाती नियमित रूप से करना आवश्यक नहीं है।
जीवन के लिए संजीवनी है योग
प्राचीन जीवन पद्धति लिये योग आज के परिवेश में हमारे जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बना सकते
हैं। आज के प्रदूषित वातावरण में योग एक ऐसी औेषधि है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है,
बल्कि योग के अनेक आसन, प्राणायाम आदि ब्लड प्रेशर आदि को नॉर्मल करते हैं और जीवन के
लिए संजीवनी है। योग में ऐसे अनेक आसन हैं जिनको जीवन में अपनाने से कई बीमारियां समाप्त
हो जाती हैं और खतरनाक बीमारियों का असर भी कम हो जाता है।
उन्होंने कहा कि शास्त्रों से 128 प्रकार के योग की जानकारी मिलती है, जिनमें से मुख्य योग है वेदांत, सांख्य योग, तांत्रिक योग, जैन योग, बुधिष्ट योग, सूफी और पारम्परिक योग है। हमारे देश में 5000 वर्ष से योग संस्कृति चली आ रही है। उन्होंने स्वास्थ्य के तीन स्तम्भों के बारे में बताते हुए कहा कि आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य है। योग की अवधारणा आहार, विहार, आचार, विचार एवं व्यवहार से है।
योग दिवस पर केजीएमयू में भी होगा कार्यक्रम
इस मौके पर कुलपति प्रो. भट्ट ने कहा कि योगासन के माध्यम से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक सामाजिक समरसता से जुड़ा जा सकता है। सभी इंद्रियों को विग्रह करना पड़ता है ताकि हम एकाग्रचित्त होकर योग आसन पूर्ण कर सकें। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा चलाये जा रहे योग और स्वच्छता के सम्बंध में कहा कि जहां स्वच्छता अभियान से समाज में व्याप्त गंदगी समाप्त होगी वहीं योग के माध्यम से मनुष्य स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त रहेगा। उन्होंने कहा कि विश्व योग दिवस पर केजीएमयू में भी प्रात: 7 बजे से 7.45 तक योग का कार्यक्रम रखा गया है इसलिए जो लोग मुख्य समारोह में नहीं जा पा रहे हैं, वे केजीएमयू में योगाभ्यास कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं।
साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में आजकल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में जाने वाले प्रतिभागियों को योगाभ्यास कराने की प्रैक्टिस करायी जा रही है। केजीएमयू से कुलपति सहित लगभग 1200 लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ लखनऊ स्थित रमा बाई अम्बेडकर मैदान में आयोजित मुख्य समारोह में भाग लेंगे।
इस अवसर पर उपस्थित केजीएमयू के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एनएन संखवार, पैरामेडिकल संकाय के अधिष्ठाता डॉ विनोद जैन, योगाभ्यास के लिए जाने वाली टीम के संयोजक व प्रभारी योग इकाई डॉ दिवाकर दलेला सहित अनेक फैकल्टी तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे।