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भारत में 35 फीसदी लोग हाई बीपी के शिकार, इनमें सिर्फ 10 फीसदी का नियंत्रित

-ब्‍लड प्रेशर से जुड़ी एक-एक छोटी-बड़ी बात पर तीन दिन बीपीकॉन-2022 में चर्चा करेंगे देश भर के चिकित्‍सक

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप एक ऐसी बीमारी है जिसे रोका जा सकता है, हाई ब्लड प्रेशर भारत में विदेशों की अपेक्षा कम उम्र में ही हो जाता है, लगभग 35% भारतीय उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं जबकि इनमें से केवल 10% का ही रक्‍तचाप नियंत्रण में रहता है। अनियंत्रित रक्‍तचाप से लकवा की 70%, हार्ट फैलियर की 50 फीसदी तथा हृदयाघात की 33% संभावना बढ़ जाती है।

ये महत्‍वपूर्ण जानकारियां आज यहां होटल क्‍लार्क्‍स अवध में इंडियन सोसायटी आफ हाइपरटेंशन द्वारा कल से यानी 9,10 एवं 11 सितम्‍बर को केजीएमयू स्थित अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफि‍क कन्‍वेंशन सेंटर में आयोजित की जा रही तीन दिवसीय की बीपीकॉन 2022 को लेकर बुलायी गयी पत्रकार वार्ता में आयोजकों ने दी। पत्रकार वार्ता में आयोजन अध्‍यक्ष डॉ अनुज माहेश्‍वरी, साइंटिफि‍क चेयरपर्सन डॉ नरसिंह वर्मा, आयोजन सचिव डॉ साजिद अंसारी और मीडिया प्रभारी डॉ अजय तिवारी उपस्थित रहे।  

डॉ माहेश्वरी ने बताया भारत में युवाओं में भी उच्च रक्तचाप तेजी से बढ़ रहा है। डॉ माहेश्वरी ने बताया कि एचआईएमएस सफेदाबाद बाराबंकी में किए गए एक अध्ययन के अनुसार मेडिकल छात्र सबसे अधिक उच्च रक्तचाप से प्रभावित हैं, इसकी वजह प्रदर्शन का दबाव सीधे तौर पर तनाव पैदा करने वाला पायी गयी, जो देर रात तक जगने, गलत भोजन करने, बढ़ते वजन और पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्‍त शारीरिक निष्क्रियता जनसंख्या के सभी वर्गों में उच्च रक्तचाप के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है।

डॉ न‍रसिंह वर्मा ने बताया कि शहर के स्कूलों में किए गए एक सर्वे में यह पाया गया कि युवाओं में कम नींद का होना, भोजन में आए तेजी से बदलाव, मोबाइल तथा कंप्यूटर का अधिक प्रयोग, तनाव तथा तथाकथित पाश्चात्य शैली का अनुकरण, हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारणों में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 3 दिन की इस कॉन्फ्रेंस में लगभग 900 चिकित्‍सक  देश के विभिन्न भागों से शामिल हो रहे हैं।

उन्होंने बताया इसमें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 60 चिकित्सक अपने व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे, इन शिक्षकों में प्रमुख रूप से डॉ राजीव गुप्ता, डॉ नरसिंहन,  पद्मश्री डॉ कमलाकर त्रिपाठी, पद्मश्री डॉ शशांक जोशी, डॉ वसंत कुमार शामिल हैं।

इस कॉन्फ्रेंस में लगभग 70 नए शोध पत्र भी पढ़े जाएंगे। इस कांफ्रेंस की थीम है बड़े हुए रक्तचाप से होने वाली दिक्कतें यानी हाइपरटेंशन एंड कोमोर्बिडिटीज। डॉ साजिद अंसारी ने बताया कि कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह 10 सितंबर को शाम 6 बजे होगा। इसमें मुख्य अतिथि झांसी मेडिकल कॉलेज के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ पीके जैन होंगे तथा विशिष्ट अतिथि अजमेर के प्रो आरके गोखरू होंगे। इस कार्यक्रम में देश के 41 विशेष चिकित्सकों को फेलोशिप प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त युवा वैज्ञानिकों तथा चिकित्सकों को भी सम्मानित किया जाएगा, सम्मानित किए जाने वाले लोगों में केजीएमयू तथा अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों के पूर्व आचार्य भी शामिल हैं।  

डॉ नरसिंह वर्मा ने बताया जनसंख्या की दृष्टि से बात की जाए तो सर्वाधिक प्रभावित देश पाकिस्तान है, जहां 54 फीसदी लोग हाई ब्‍लड प्रेशर के शिकार हैं। उन्होंने बताया इस कॉन्फ्रेंस में अनेक प्रकार की जानकारियां दी जाएगी जैसे ब्लड प्रेशर क्यों, कैसे हो जाता है। इसके अतिरिक्‍त गांव में, शहर में होने वाले इसके शिकार लोगों में इसके होने के क्‍या कारण हो सकते हैं, बच्‍चों से लेकर अति बुजुर्गों तक में ब्‍लड प्रेशर के लिए दी जाने वाली अलग-अलग दवाओं के बारे में जानकारी दी जायेगी।  

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