Friday , April 19 2024

मासिक धर्म पर चुप्पी तोड़ो, खुलकर बोलो

सेनेटरी पैड का अहसास कराने के लिए टास्क देती रेखा।

वर्ल्ड मैन्सुरेशन हाईजीन डे पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

दस्तकमंच, लखनऊ कलेक्टिव, वाटर एड व शीरोज की संयुक्त पहल

लखनऊ। एक बहुत ही सामान्य और प्राकृतिक  लेकिन चुप्पी की चादर ओढ़े प्रक्रिया मासिक धर्म पर खुलकर बात करने की पहल की सार्थक कोशिश आज 27 मई को यहां गोमती नगर स्थित शीरोज हैंगआउट में आयोजित सादगी भरे कार्यक्रम में दिखी। रविवार 28 मई को वर्ल्ड मैन्सुरेशन हाईजीन डे के अवसर पर दस्तकमंच, लखनऊ कलेक्टिव, वाटर एड व शीरोज द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम वो सात सुर्ख दिन में अनेक लोगों ने अपने-अपने विचार रखे तथा इन विचारों को आमजन तक पहुंचाने का आह्वïान किया गया। कार्यक्रम पिछले एक सप्ताह से चल रहा था जिसमें सोशल मीडिया पर लोगों से इस विषय पर खुलकर बोलने और अपने अनुभव व विचार साझा किये गये।

एडीजी ने कहा, यूपी 100 कॉल सेंटर के टॉयलेट में है सेनेटरी पैड की सुविधा

कार्यक्रम के संचालन की डोर आरजे रह चुकी रेखा ने थामी। रेखा ने इस गंभीर विषय पर अपने प्रभावशाली तर्कों से लोगों की खूब तालियां बटोरीं।  कार्यक्रम में बतौर अतिथि शामिल हुए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनिल अग्रवाल ने यूपी 100 के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह ऑल वूमेन कॉल सेंटर विश्व का सबसे बड़ा वूमेन कॉल सेंटर है। माहवारी विषय पर खुल कर बोलने पर सहमति जताते हुए उन्होंने जानकारी दी कि इस बारे में हमारे कॉल सेंटर के लेडीज टॉयलेट में माहवारी के दौरान प्रयोग होने वाला सेनेटरी पैड के लिए डिस्पेंसर लगा है तथा इसी प्रकार गंदे पैड को नष्ट करने के लिए इंसीनरेटर की व्यवस्था भी है।

कार्यक्रम में बोलतीं डॉक्टर नीलम सिंह।

सरकारी कार्यालयों के महिला टॉयलेट हों सुविधाजनक : डॉ नीलम सिंह

वात्सल्य संस्था की संस्थापक व चिकित्सक डॉ नीलम सिंह ने कहा कि परतों मेंं छिपे मुद्दे पर चुप्पी तोडऩा बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर महिलाएं स्वयं महिलाओं से ही बोलने से कतराती हैं जबकि आवश्यकता इस बात की है कि इस समस्या के निराकरण के बारे में पुरुषों को भी जोडऩा जरूरी है। उन्होंने सरकारी दफ्तरों में लेडीज टॉयलट की डिजाइन महिलाओं की झिझक को दूर करने वाली होनी चाहिये उनका आशय यह था कि पुरुष और महिलाओं के टायलट का रास्ता एक नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि गांवों के परिप्रेक्ष्य में यह जरूरी नहीं है कि मासिक धर्म आने के दिनों में पैड ही प्रयोग करें साफ सूती कपड़ा भी प्रयोग में लाया जा सकता है बशर्ते उसको हाईजीनिक तरीके से साफ किया गया हो। उन्होंने बताया कि सूती कपड़े से बनाया एक पैड छह घंटे से ज्यादा तथा इस्तेमाल न करें इसे धोकर भी दो ही बार इस्तेमाल करना चाहिये।
इससे पूर्व कैम्पेन के लिए दीपक कबीर द्वारा लिखा गया गीत वो सात सुर्ख दिन को अपनी आवाज राहुल ने दी। गिटार थामे राहुल ने इसके अतिरिक्त पुराने फिल्मी नगमे भी सुनाये।

मित्र की चुप्पी से अस्वस्थता ने झिंझोड़ दिया मुझे : दीपक कबीर

दीपक कबीर ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया कि इस विषय पर कार्यक्रम करने का विचार उनके दिमाग में तब आया जब उन्होंने अपनी एक नजदीकी मित्र को मासिक धर्म के चलते बीमार होते देखा लेकिन सारी बातें उनसे साझा करने वाली उनकी दोस्त इस विषय पर शर्म और संकोच के कारण वह मुंह से कुछ नहीं कह पायी। दीपक ने कहा कि इसके बाद मैंने अपनी पत्नी वीना के साथ यह बात साझा की तथा इस कार्यक्रम के जरिये इस प्राकृतिक प्रक्रिया पर चुप्पी तोडऩे के लिए अभियान चलाने का कार्यक्रम बनाया।

वाटर एड ने चलाया डिजिटल कैम्पेन : फारुख रहमान

वाटर एड के रीजनल मैनेजर फारुख रहमान खान ने कहा कि हम लोगों ने अभी तक अनेक साधनों और सेवाओं को उपलब्ध कराने के लिए बहुत काम किया है। जागरूकता की इस मुहीम में वाटर एड ने डिजिटल कैम्पेन चलाया है और इससे 25 लाख लोग जुड़े हैं। उन्होंने भी कहा कि इस मुद्दे पर बात करने के लिए माहौल बनाने की जरूरत है।

आयोजकों के साथ ही श्रोताओं ने भी साझा किये अनुभव

इस मौके पर उपस्थित आरजे अपूर्वा ने एक गीत के माध्यम से यह बताने की कोशिश की कि बेटियां बोझ नहीं हैं। मनीषा का कहना था कि इस विषय पर बात करने में संकोच नहीं होना चाहिये जैसे गर्भावस्था पर बात होती है वैसे ही इस पर भी सबके साथ खुलकर बात होनी चाहिये। उन्होंने कविता के माध्यम से मलिन बस्ती में रहने वाली महिलाओं की इस विषय पर पीड़ा का वर्णन किया। वहीं ऐड एजेंसी से जुड़े अमित शुक्ला भी इस विषय पर खुलकर बात करने की वकालत करते हुए अपने विचार रखने से अपने को रोक नहीं सके। सुशील ने भी अपने अनुभव साझा किये। अर्शाना ने माहवारी के दिनों में दर्द को नजरंदाज न करके चिकित्सक के पास जाने पर जोर दिया। पूनम ने कहा कि यहां बैठे लोग  दस-दस बच्चों को इस विषय पर खुलकर बात करें और उन्हें जागरूक करें। गीता ने कहा कि विदेश में लोग जब लडक़ी की माहवारी शुरू होती है तो जश्न मनाते हैं।

वीडियो में दिखाया आज का सामाजिक नजरिया

संचालन कर रही रेखा ने अंत में एक वीडियो दिखाया जिसमें उन्होंने सेनेटरी पैड बेचने वाले कई दुकानदारों से बात की और इस विषय पर सामाजिक नजरिये की तस्वीर पेश की। रेखा ने कहा कि यह अजीब स्थिति है कि माहवारी के चलते लड़कियां स्कूल जाना छोड़ देती हैं। उन्होंने कहा कि यही ऐसी ब्लीडिंग है जिसमे वॉयस नहीं है। रेखा ने कार्यक्रम के दौरान उपस्थित लोगों में से चार लोगों को बुलाकर अलग-अलग वस्तुओं के साथ ही सेनेटरी पैड को छूकर पहचानने का अहसास एक रोचक अंदाज में कराया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.