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एसजीपीजीआई में रोबोटिक सर्जरी से निकाला 10 सेमी का थायरॉइड ट्यूमर

-उत्‍तर प्रदेश में पहली बार इतने बड़े ट्यूमर को रोबोटिक सर्जरी से निकाला गया

-गले में सर्जरी का निशान पड़ने को लेकर चिंतित महिला को मिला समाधान

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग द्वारा थायरॉइड के 10 सेमी के ट्यूमर को रोबोटिक सर्जरी से निकालने में सफलता प्राप्‍त हुई है। ऐसा पहली बार है जब उत्तर प्रदेश के किसी संस्‍थान में इतना बड़ा ट्यूमर बिना चीरा लगाये रोबोटिक विधि से सर्जरी कर निकाला गया है।

संस्‍थान द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि बाराबंकी निवासी 39 वर्षीय विवाहित युवती के गले में थायरॉइड की गांठ हो गई थी, जो लगातार बढ़ रही थी। उपचार के लिए अपने पति के साथ जब बाराबंकी अस्पताल पहुंची, तो जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें बताया गांठ काफ़ी बढ़ चुकी है और उसकी जटिलताओं के चलते इसकी सर्जरी बिना गले में चीरा लगाये संभव नहीं है। ऐसे में सर्जरी के बाद चीरे- टांके के निशान को लेकर महिला बहुत असहज और निराश थीं। इसीलिए बिना गले में चीरा लगाये सर्जरी कराने के लिए बाराबंकी अस्पताल के डाक्टरों ने उसको एसजीपीजीआई लखनऊ के रोबोटिक थायरॉइड सर्जन डॉ. ज्ञान चन्द के पास रेफर कर दिया।

डॉ ज्ञान चंद

डॉ ज्ञान चंद ने आवश्यक जांचों के उपरांत बताया कि रोगी के थायरॉइड का ट्यूमर काफी बड़ा है, लेकिन रोबोटिक विधि द्वारा सर्जरी करके बिना गले में चीरा लगाये इस ट्यूमर को कुशलता पूर्वक निकाला जा सकता है। रोगी और उसके परिवार की सहमति के बाद डॉ ज्ञान ने बीते शुक्रवार को चार घंटे चले ऑपरेशन में युवती के गले में से थायरॉइड ग्रंथि के ट्यूमर को बिना गले में चीरा लगाए सफलतापूर्वक निकाल दिया। 

ऑपरेशन में डॉ ज्ञान के साथ उनकी टीम में डॉ दिलीप, डॉ सारा इदरीस व डॉ प्राची शामिल थे। साथ ही एनेस्थीसिया  विभाग से डॉ सुजीत गौतम और उनकी टीम ने पूर्ण सहयोग प्रदान किया।

इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए डॉ ज्ञान चन्द ने बताया कि रोबोटिक थायरॉइड सर्जरी द्वारा इतनी बड़ी थायरॉइड ग्रंथि को निकालने की पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल है, किन्तु मरीज़ को भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से राहत देने वाली है, क्योंकि अमूमन मरीज़ को शल्य चिकित्सा के बाद गले पर पड़ने वाले बड़े निशान अवसाद की ओर ले जाते हैं, जहां युवतियों को आजीवन बंद गले के वस्त्र पहने पर विवश होना पड़ता है।

डॉ ज्ञान बताते हैं कि ऐसी कठिन सर्जरी करने की प्रेरणा उन्हे संस्थान के निदेशक डॉ आरके धीमन से मिली। उन्‍होंने कहा कि डॉ धीमन सदैव मरीज़ों के लिए संस्थान में उपलब्ध संसाधनो का रोगी हित में अधिकतम इस्तेमाल के पक्षधर रहे हैं, डॉ ज्ञान ने अपने विभागाध्यक्ष डॉ गौरव अग्रवाल के मार्गदर्शन को भी सराहा। उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की पहली रोबोटिक सर्जरी करने के लिए निदेशक प्रो आर के धीमन ने  डॉ ज्ञान चन्द और उनकी टीम को बधाई दी है। 

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