लखनऊ। होली पर रंग खेलने का मजा जितना बच्चों को आता है उतना ही बड़ों को भी आता है। लेकिन यहां आवश्यकता इस बात की है कि हम रंग किस प्रकार का इस्तेमाल कर रहे हैं कहीं वह ऐसा तो नहीं है कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो। आंख हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम रंगों से होने वाले नुकसान के प्रति पूरी तरह सतर्क रहें।
जहरीले सिंथेटिक रंगों से बचाएं आँखों को
आई-क्यू सुपर स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल के डॉ नीरज गुप्ता ने आज यहां एक प्रेस वार्ता में होली में आंखों की सुरक्षा को लेकर कुछ टिप्स दिये साथ ही आंखों की उन बीमारियों के इलाज के बारे में जानकारी दी जो अज्ञानता और जागरूकता की कमी के कारण होते हैं। उन्होंने कहा, रंगों के सम्पर्क में आने पर आंखों को क्षति होने का जोखिम सबसे ज्यादा रहता है। हर साल होली पर आंखें क्षतिग्रस्त होने और नजर खोने के 1,000 से ज्यादा मामले सामने आते हैं क्योंकि लोग असुरक्षित व नुकसानदेह तरीके से होली खेलते हैं। प्राकृतिक रंगों का स्थान सिंथेटिक रंगों ने ले लिया है जिनमें भारी धातुएं, तेजाब, अल्काली, पिसा शीशा, ऐस्बेस्टॉस, चॉक का पेस्ट आदि होते हैं। ये सभी जहरीले पदार्थ आंखों में ऐलर्जी, कंजक्टिवाइटिस, कैमिकल बर्न, कॉर्निया के घर्षण, आंख पर चोट और यहां तक कि अंधेपन की भी वजह बन सकते हैं।
होली खेलने से पहले आंखों के इर्दगिर्द लगा लें क्रीम की मोटी परत
डॉ नीरज ने बताया कि कुछ सावधानियां बरत कर हम सुरक्षित होली खेलकर हैप्पी होली मना सकते हैं इनमें पहला तो यह है कि सिंथेटिक रंगों की बजाय पर्यावरण के अनुकूल या ऑर्गेनिक रंगों से होली खेलें इसके अलावा होली खेलने जाते वक्त अपने लेंस निकाल लें, क्योंकि लेंस अगर केमिकल के सम्पर्क में आए तो जीवन भर के लिए आंखों की रोशनी जा सकती है। उन्होंने सलाह दी कि होली खेलते वक्त अपनी आंखों को धूप के चश्मे या रक्षात्मक आई वियर से सुरक्षित करें। उन्होंने बताया कि आंखों के इर्दगिर्द पहले ही नारियल तेल या क्रीम की मोटी परत लगा लें ताकि रंगों को आसानी से बिना नुकसान के उतारा जा सके। इसके अलावा रंग धोते वक्त गुनगुना पानी इस्तेमाल करें और अपनी आंखों को कस कर बंद रखें।
आंखों को रगड़े नहीं
उन्होंने बताया कि अगर आंखों में रंग चला जाए तो उन्हें रगड़ें नहीं, इससे जलन होगी या दृष्टि जा सकती है। बेहतर होगा कि तुरंत साफ पानी से आंखों को धोयें और अगर उनमें जलन या दर्द कम न हो तो तुरंत ही चिकित्सक से सम्पर्क करें। अगर किसी तरह की जलन/परेशानी महसूस हो और कोई अवांछनीय लक्षण हो तैसे दर्द/नजर धुंधलाना/निरंतर आंख लाल रहना या उनमें पानी आना, तो कोई भी दवा खुद से इस्तेमाल न करें बल्कि तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।
कार के शीशे बंद करके चलें
पानी के गुब्बारे आंखों के लिए सबसे हानिकारक साबित हो सकते हैं क्योंकि इनके लगने से नेत्रगोलक आई बॉल टूट सकते हैं और यहां तक कि रेटिना भी अलग हो सकता है। इसलिए कार से सफर करते समय खिड़कियां बंद रखें।
डॉ नीरज ने बताया कि आई-क्यू सुपर स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल्स की स्थापना प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अजय शर्मा और रजत गोयल ने 2007 में की थी, इसका उद्देश्य छोटे शहरों में किफायती मूल्य पर उच्च क्वालिटी की नेत्र उपचार सेवाएं मुहैया कराना है। वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात एवं महाराष्ट्र में इसके 44 सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल हैं।