लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में आज 18वां अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस मनाया गया। चिकित्सा विवि के इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व आईएएस व उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने कार्यकारी अध्यक्ष शम्भूनाथ थे। समारोह को सम्बोधित करते हुए शम्भूनाथ ने कहा कि उन सभी भाषाओं, जिनमें हम अभिव्यक्ति करते हैं, उनको आज नमन करने का दिन है। उन्होंने कहा कि हिन्दी को साहित्य से निकाल कर वैज्ञानिक भाषा बनाना पड़ेगा तभी जाकर हिन्दी की और उन्नति हो सकेगी। इस अवसर पर इस दिवस के दुख भरे इतिहास को याद कर भारत में प्रचलित विभिन्न भाषाओं में दी गयी जानकारियों को अपनी मातृभाषा में अनुवाद करने पर भी जोर दिया गया।
केजीएमयू ने मनाया अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस
अधिष्ठाता नर्सिंग संकाय प्रो पुनीता मनिक ने कहा कि ईश्वर ने सभी प्राणियों को स्वर दिया है, मनुष्य ने अपने स्वर से भाषा का विकास किया। उन्होंने कहा कि भारत में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं, सभी का अपना-अपना महत्व है। हमें उन सबके विकास का प्रयत्न करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भाषा में लिखी गयी पुस्तकों में अच्छी जानकारियों का अनुवाद मातृभाषा में करना होगा तभी हम उन किताबों में दी गयी जानकारियों का लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विचार में मातृभाषा उस मां के समान है जो विकास यात्रा में मानव को शिशु के समान अंगुली पकडक़र चलना सिखाती है।
दुख भरा है दिवस का इतिहास
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की सम्पादक डॉ अमिता दुबे ने कहा कि आपको मरीज से बात करते समय मातृभाषा हिन्दी को चुनना पड़ेगा जिससे मरीज अपनी परेशानियों को ज्यादा आसानी से बता सके। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा का इतिहास बहुत दुखद है। उन्होंने बताया कि 21 फरवरी 1952 को जब आज का बांगलादेश पाकिस्तान में था, वहां के ढाका विश्वविद्यालय, जगन्नाथ कॉलेज और ढाका मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने बांगला भाषा के अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। 17 नवम्बर 1999 को यूनेस्को द्वारा 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस की संज्ञा प्रदान की गयी और पहला अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस वर्ष 2000 में मनाया गया।
कार्यक्रम में केजीएमयू इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स के डायरेक्टर व अधिष्ठाता पैरामेडिकल संकाय डॉ विनोद जैन, सहायक अधिष्ठाता डॉ शीतल वर्मा व पैरामेडिकल एवं नर्सिंग संकाय के छात्र-छात्राओं सहित अनेक लोग उपस्थित थे।