लखनऊ। मेल बच्चों के लिंग में जन्मजात विकृति (नियत स्थान पर मूत्र छिद्र न होना ) यानी हाईपोस्पेडियास की समस्या को अब नई तकनीक से सौ फीसदी सफलता पूर्वक ठीक किया जा सकता है। इस नई तकनीक का इजाद केजीएमयू के पीडियाट्रिक यूरो सर्जन प्रो.एसएन कुरील ने किया है। इस विकृति को समाप्त करने के लिए अब तक जो सर्जरी की जा रही हैं वह पूरी तरह सफल नहीं है। यह जानकारी संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय कार्यशाला में प्रो.कुरील ने स्वयं अपनी नई तकनीक को प्रस्तुत करते हुये दी।
क्या होती है बीमारी हाईपोस्पेडियास
प्रो.कुरील ने बताया कि हाईपोस्पेडियास की समस्या पैदाइशी होती है,इसमें पेशाब का छिद्र नियत स्थान पर न होकर नीचे की ओर होता है, लिहाजा पेशाब पैरों पर गिरती है। अगर इसका इलाज न कराया जाये तो वयस्क होने पर ऐसे व्यक्ति को बच्चे पैदा करने में भी दिक्कत होती है।
पुराने छेद को बंद कर बना देते हैं नया छेद
हाईपोस्पेडियास की संरचना पर शोध करने वाले प्रो.कुरील ने बताया कि हाईपोस्पेडियास की समस्या पैदाइशी होती है, इसके इलाज में अभी तक अपनाई जा रही सर्जरी में अधिकांश मामलों में टांके खुलने की समस्या आती है, अत्यंत बारीक स्किन होने की वजह से दोबारा ठीक करना बहुत जटिल होता है। लिहाजा मरीज बच्चे समेत परिवारीजनों को काफी दिक्कत आती हैं, लेकिन उनकी नई तकनीक से इस समस्या से निजाद मिल गई है। रिवर्स एडवांसमेंट ऑफ इनरपिपियूज यूज एक्जिएल पैटर्न डार्टोस लैप नाम की नई तकनीक के बारे में उन्होंने बताया कि पेनिस की स्किन के नीचे डार्टोस नाम की फेशिया परत से हाईपोस्पेडियास की सर्जरी कर पुराना छिद्र बंद कर नियत स्थान पर छिद्र तैयार कर देते हैं।
गर्भवती न करें डिब्बाबंद भोजन व हार्मोन का सेवन
उन्होंने बताया कि बीमारी का कारण गर्भवती द्वारा बिना धोये व डिब्बा बंद भोजन के सेवन से होती है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं द्वारा हार्मोन सेवन से भी यह बीमारी हो जाती है। पहले यह बीमारी 500 बच्चों में एक को होती थी, मगर अब बढक़र 300 में एक बच्चे में पाई जाती है।