अपोलो हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक रोबोटिक यूरोसर्जन डॉ वी श्रीपति ने बच्चों के 200 से ज्यादा सफल ऑपरेशन किये हैं अब तक
लखनऊ। रोबोटिक सर्जरी का अर्थ है रोबोट द्वारा मरीज की सर्जरी किया जाना, और इस रोबोट की कमान होती है उस सर्जन के हाथ में जो ऑपरेशन टेबुल से दूर रहकर पूरी सर्जरी को अंजाम देता है। इस सर्जरी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि शरीर के भीतर उन स्थानों पर जहां मैनुअली सर्जरी करते समय सर्जन को अपना हाथ घुमाने में न सिर्फ दिक्कत होती है बल्कि सर्जरी वाले स्थान के आसपास के ऊतकों, धमनियों को बचाये रखना भी एक बड़ी चुनौती होती है। इस चुनौती से बखूबी निपटने में रोबोटिक सर्जरी पूरी तरह से सम्भव है।
यह बात शनिवार को बच्चों में होने वाली मूत्र संबन्धी बीमारियों का इलाज करने वाले चेन्नई स्थित अपोलो चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक रोबोटिक यूरोसर्जन डॉ वी श्रीपति ने पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने मिनिमल इन्वेसिव सर्जरी (एमआईएस) की तुलना रोबोटिक सर्जरी से करते हुए बताया कि सच यह है कि एमआईएस में सर्जरी की सफलता काफी हद तक उस असिस्टेंट के हाथ में होती है जो कैमरे वाले उपकरण को पकड़ता है, इसी उपकरण के जरिये सर्जन को सर्जरी के दौरान मॉनीटर पर सर्जरी करनी होती है, इस असिस्टेंट की एक चूक मरीज के लिए हानिकारक हो सकती है। जबकि इससे अलग रोबोटिक सर्जरी में जिस उपकरण से सर्जन ऑपरेट करता है उसी में कैमरा लगा होता है, यानी पूरा कंट्रोल सर्जन के हाथ में रहता है।
उन्होंने बताया कि शल्य चिकित्सा की अगर बात करें तो शुरुआत हुई शरीर में चीरा लगाकर शरीर खोलकर सर्जरी करने से, इसके बाद आयी मिनिमल इन्वेसिव सर्जरी (एमआईएस) इस सर्जरी में जरूरत के अनुसार तीन-चार छेद करके सर्जरी हुई, इसी दिशा में रोबोटिक सर्जरी ने एमआईएस की गुणवत्ता को बढ़ाती हुई आयी रोबोट से सर्जरी करने की तकनीक माइक्रो मिनिमल इन्वेसिव सर्जरी आधुनिकतम है। इस सर्जरी से बच्चों में होने वाली मूत्र संबन्धी बीमारियों का इलाज करने वाले अपोलो चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल चेन्नई के पीडियाट्रिक रोबोटिक यूरोसर्जन डॉ वी श्रीपति शनिवार को लखनऊ आये। यहां प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने रोबोटिक सर्जरी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रोबोट के जरिये माइक्रो मिनिमल इन्वेंसिव सर्जरी भी संभव हो चुकी है, जिससे गुणवत्ता के मामले में ओपन व लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से बेहतर परिणाम मिल रहें हैं।
डॉ.श्रीपति ने कहा कि समय के साथ सर्जरी की तकनीक में तरक्की होती रही है, ओपन सर्जरी में लंबा चीरा लगाने के साथ ही मरीजों को कई दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है, जिसके बाद लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ने न केवल छोटे चीरों से बड़ी से बड़ी सर्जरी को सुलभ व गुणवत्ता युक्त बना दिया, बल्कि कम ब्लीडिंग और अस्पताल में कम दिन रहने की सुविधा भी मिल गई। इसी क्रम में ही रोबोट सर्जरी तकनीक ने लेप्रोसर्जरी की गुणवत्ता को बढ़ाते हुए जटिल से जटिल सर्जरी को आसान बना दिया है।
डॉ.श्रीपति ने बताया कि रोबोट सर्जरी में, रोबोट डॉक्टर और मरीज के बीच का माध्यम होता है। इसमें डॉक्टर दूर कम्प्यूटर पर बैठकर, रोबोट को हैंडल करता है और ओटी टेबल पर लेटे मरीज में छोटा सा छेद कर सर्जरी उपरांत टांके लगाने का काम भी कराता है। रोबोट के हाथों में चिकित्सकीय उपकरणों के साथ कैमरा भी रहता है जिससे मरीज के अंदर सर्जरी के दौरान डॉक्टर देखता रहता है। यही नहीं किसी भी छोटी से छोटी धमनियों से लेकर अंग को जूम कर दस गुना बड़ा कर आसानी से कम्प्यूटर की स्क्रीन पर देखकर सर्जरी की जाती है।
उन्होंने बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार किये गये डा विंकी रोबोटिक इंटरफेस लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें सर्जरी के दौरान अंग को थ्री डायमेंशन में कुदरती रंग के साथ देखने और कैमरा और रोबोट के हाथों को सहूलियत के अनुसार इधर-उधर घुमाने की सुविधा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2०12 में यूएस से रोबोटिक सर्जरी का प्रशिक्षण लेने के बाद भारत में पहली बार संपन्न की गई रोबोटिक सर्जरी के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटना में घायल अफ्रीकन बच्चे की उन्होंने पहली रोबोटिक सर्जरी की थी। इसी सफल सर्जरी के साथ ही पीडियाट्रिक रोबोटिक सर्जरी भारत में लॉन्च हो गई। उसके बाद अब तक 2०० से ज्यादा सफल सर्जरी कर चुके हैं, रोबोटिक सर्जरी में उन्होंने थेजीनीटो यूरीनरी टैक्ट, लिवर व पित्त मार्ग , गैस्टो इंटरस्टाइनल टैक्ट तथा थोरैक्स शामिल हैं।
डॉ.श्रीपति ने बताया कि अब रोबोटिक सर्जरी का युग आ चुका है, इसलिए चिकित्सकों की अगली पीढ़ी को ‘सेफ एंड इंफेक्टिव रोबोटिक सर्जरी इन चिल्ड्रन’ शीर्षक से ट्रेनिंग दे रहें हैं, साथ ही उन्होंने बताया कि इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए अपोलो हॉस्पिटल के चेयरमैन की मदद से अस्पताल में सर्जरी कराने वालों को लागत में सब्सिडी भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि बच्चों में मिनिमल इन्वेंसिव सर्जरी का भविष्य रोबोटिक सर्जरी में ही है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आजकल देखा गया है कि करीब 10 फीसदी बच्चों में जन्म के समय से ही मूत्र रोग होते हैं, ऐसी स्थिति में अगर जल्दी से जल्दी सर्जरी करवाकर रोग को दूर करवा लिया जाय तो किडनी को नुकसान नहीं होता है वरना किडनी फेल्योर होने का डर रहता है। इस स्थिति में रोबोटिक सर्जरी बहुत कारगर है। उन्होंने बताया कि उन्होंने सबसे कम 5० दिन यानि दो माह से कम का बच्चे की सफल रोबोटिक सर्जरी की थी। इस बच्चे का वजन मात्र चार किलो था, रोबोट सर्जरी में कम चीरे से बेहतर सर्जरी संभव हो सकी। इस सर्जरी से लाभ यह हुआ कि शिशु को दर्द भी कम हुआ, बच्चा जल्दी ठीक भी हो गया और अभिवावक भी जल्दी डिस्चार्ज होने से खुश हो गये।